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    गोरखपुर में एजेंटों के जरिए मरीज को फंसाकर महंगी दवाएं दिलाते थे दुकानदार, ऐसे खुला मामला

    गोरखपुर के जिला अस्पताल में मरीजों को महंगी दवाएं बेचने वाले मेडिकल माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी है। एजेंटों के माध्यम से गुमराह करने वाले दुकानदारों को चिन्हित किया गया है। मारपीट की घटना के बाद मामले का खुलासा हुआ। पुलिस डीएम और ड्रग विभाग को लाइसेंस रद्द करने के लिए पत्र भेजेगी। धोखे से महंगी दवा बेचने वाली दुकानें बंद कराई जाएंगी।

    By Satish pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 24 Aug 2025 08:58 AM (IST)
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    जिला अस्पताल में मेडिकल माफिया पर शिकंजा। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जिला अस्पताल में मरीजों को महंगी दवाएं थोपने वाले मेडिकल माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी है। जबरन दवा बेचने और एजेंटों के जरिए तीमारदारों को बरगलाने वाले दुकानदारों को पुलिस ने चिन्हित किया है। लाइसेंस रद कराने के लिए डीएम के साथ ही ड्रग विभाग को पत्र भेजा जाएगा।इसके अलावा दुकान पर काम करने वाले कर्मचारियों का वेरिफिकेशन कराने के लिए पांच सदस्यीय टीम बनाई गई है।

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    20 अगस्त को सहजनवां विधानसभा के बसपा नेता सुशील कुमार भारती से मारपीट और रुपये लूटने की घटना ने इस खेल का पर्दाफाश कर दिया। सुशील सिर्फ इतना कर बैठे थे कि एजेंट से दवा लेने के बजाय खुद बाहर से सस्ती दवा खरीद लाए।

    इसके बाद एजेंटों ने अस्पताल परिसर में ही उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा और लूट का आरोप भी सामने आया। पुलिस ने दो आरोपितों को जेल भेजा और अगले दिन सीओ कोतवाली ओंकार दत्त तिवारी ने छापा मारकर पांच पांच एजेंटों को पकड़ा।

    पूछताछ के बाद उनका शांतिभंग में चालान कर दिया गया। पूछताछ में जिन दुकानों के नाम सामने आए हैं, उनके लाइसेंस निरस्त कराने की तैयारी की जा रही है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा कि जबरन दवा बेचने वालों पर अब सीधी कार्रवाई होगी। यह तय किया गया है कि जो दुकानें मरीजों को धोखे से महंगी दवाएं बेचती हैं, उनकी दुकानें बंद कराई जाएंगी।

    मरीजों को घेरकर दुकानों तक ले जाते थे एजेंट

    जासं.गोरखपुर: जिला अस्पताल में भर्ती रोगी व उनके तीमारदार सबसे ज्यादा परेशान मेडिकल स्टोर के एजेंटों से रहते हैं। एजेंट अस्पताल परिसर में घूमते रहते हैं और मरीजों को बहलाकर अपनी दुकानों तक ले जाते हैं।सस्ती दवा दिलाने का वादा कर वे मरीजों को झांसे में लेते हैं, लेकिन दुकानों पर पहुंचते ही महंगी दवाएं थमा दी जाती हैं।

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    प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र पर वही दवाएं सस्ते दाम पर मौजूद होती हैं, लेकिन एजेंट और दुकानदार की मिलीभगत के कारण गरीबों को लूटा जाता है। कई बार तो मरीजों की हालत गंभीर देख, परिजनों को डराकर दबाव बनाया जाता है कि दवा यहीं से खरीदनी होगी।

    लंबे समय से चल रहे इस खेल की शिकायत होने पर कई बार पुलिस व प्रशासन ने कार्रवाई की लेकिन कुछ दिन बाद गिरोह फिर सक्रिय हो गया।