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    गोरखपुर AIIMS में मेडिसिन की डाक्टर ने ज्वाइन किया, बाकी का इंतजार

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 12:54 PM (IST)

    गोरखपुर एम्स में मेडिसिन विभाग में नई असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. प्रियंका बाधवानी ने रोगियों का उपचार शुरू कर दिया है। सुपरस्पेशियलिटी डॉक्टरों का इंतजार है। पिछले महीने हुए इंटरव्यू में हृदय न्यूरो बाल रोग पेट और कैंसर के सर्जन मिले। चयनित डॉक्टरों को जल्द पदभार ग्रहण करने के लिए पत्र भेजे गए हैं। एम्स में यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं।

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    हार्ट, न्यूरो, बच्चों की सर्जरी, पेट की सर्जरी, कैंसर के भी सर्जन मिले

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स में नवचयनित मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. प्रियंका बाधवानी से रोगियों का उपचार करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही अन्य चयनित डाॅक्टरों के जल्द एम्स पहुंचने की उम्मीद है। सबसे ज्यादा इंतजार सुपरस्पेशियलिटी के डाॅक्टरों का हो रहा है।

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    एम्स में पिछले महीने हुए साक्षात्कार में हार्ट, न्यूरो, बच्चों, पेट और कैंसर के सर्जन मिले थे। न्यूरो सर्जन तीन मिले तो हार्ट के दो सर्जन मिले। पहली बार मधुमेह व हार्मोनल समस्याओं के निदान के लिए भी विशेषज्ञ मिले हैं।

    चयन के साथ ही इन डाॅक्टरों को जल्द से जल्द कार्यभार ग्रहण करने के लिए पत्र भी लिख दिया गया। जिन डाॅक्टरों का चयन हुआ है उनमें कार्डियक सर्जन, जनरल मेडिसिन, न्यूरोलाजी, न्यूरो सर्जरी, डाॅ. नीरज कनौजिया, डाॅ. सार्थक मेहता, डाॅ. देवेंद्र कुमार, पीडियाट्रिक सर्जरी डाॅ. श्रेयस, रेडियोलाजी में डाॅ. संतोष बाबू केबी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलाजी डाॅ. भानु प्रताप सिंह, सर्जिकल आंकोलाजी डाॅ. भवानी पाठक शामिल हैं।

    मीडिया सेल की चेयरपर्सन डाॅ. आराधना सिंह ने कहा कि सभी नवचयनित डाक्टरों को सूचना दे दी गई है। जल्द ही सभी के कार्यभार ग्रहण करने की उम्मीद है।

    यूरोलाजी के डाॅक्टर नहीं मिल सके

    एम्स में अभी यूरोलाजी और नेफ्रोलाजी के डाक्टर नहीं मिल सके हैं। नेफ्रोलाजिस्ट के रूप में खुद चेयरमैन पद्मश्री डाॅ. हेमंत कुमार हैं लेकिन वह अन्य व्यस्तताओं के कारण रोगियों को बहुत ज्यादा समय नहीं दे सकते हैं। वह टेली व वीडियो कंसल्टेंटिंग के माध्यम से किडनी रोगियों के उपचार की शुरुआत करेंगे।

    विभागों में प्रोफेसरों की बहुत कमी

    एम्स के कई महत्वपूर्ण विभागों में एक प्रोफेसर तक नहीं है। सर्जरी विभाग एडिशनल प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है तो नेत्र रोग, नाक कान व गला रोग, मानसिक रोग, गैस्ट्रो, न्यूरोलाजी, हार्ट आदि विभागों में भी प्रोफेसर नहीं हैं।

    इमरजेंसी में सात डाक्टरों की तैनाती है लेकिन सभी असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वरिष्ठ डाक्टरों की उपलब्धता न होने का खामियाजा रोगियों को भुगतना पड़ता है। सभी विभागों में प्रोफेसरों की उपलब्धता हो जाने पर जूनियर और सीनियर रेजिडेंट के पद भी बढ़ जाएंगे।

    इससे ज्यादा से ज्यादा डाॅक्टर पढ़ाई के लिए एम्स में आएंगे। यह डाॅक्टर ओपीडी और इमरजेंसी में भी सेवा देंगे। इससे रोगियों को उपचार के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

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    आवास की कमी भी बड़ी समस्या

    एम्स की स्थापना के समय डाक्टरों के लिए सिर्फ 48 आवास ही बनाए गए। एम्स अब डाॅक्टरों की संख्या बढ़ाकर 213 करने जा रहा है। ऐसी स्थिति में सिर्फ 48 आवास होने से ज्यादातर डाक्टरों को परिसर से बाहर रहना पड़ता है।

    एम्स परिसर में सुरक्षा, बच्चों के खेलने की व्यवस्था, अच्छा माहौल होने और ओपीडी व इमरजेंसी में तत्काल पहुंचने की सुविधा होने से डाक्टर यहीं रहना चाहता हैं। इस कारण आवास के लिए बहुत मारामारी मची रहती है। आवास न होने से भी डाॅक्टर एम्स में आने से बच रहे हैं।