गोरखपुर फिर शुरू होगा ABC सेंटर, आवारा कुत्तों से मिलेगी राहत
गोरखपुर में एबीसी सेंटर का संचालन पुरानी फर्म द्वारा बंद करने के बाद, नई फर्म का चयन किया गया है। उम्मीद है कि सेंटर का संचालन जल्द ही पूर्व की तरह शुरू हो जाएगा, जिससे आवारा कुत्तों की समस्या से राहत मिलेगी। शहर में कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

पुरानी फर्म के काम बंद करने से दो माह से एबीसी सेंटर पर लटक रहा ताला जल्द खुलेगा
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहरवासियों के लिए राहत भरी खबर है। नगर निगम की ओर से लंबे समय से बंद पड़ा एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर जल्द ही दोबारा चालू होने जा रहा है। सेंटर के संचालन का ठीका पीलीभीत की फर्म सोसाइटी फार ह्यूमन एंड एनिमल वेलफेयर को मिला है। टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और अगले सप्ताह तक वर्क आर्डर जारी किए जाने की संभावना है। उम्मीद जताई जा रही है कि नवंबर से एबीसी सेंटर में फिर से बंध्याकरण (स्टरलाइजेशन) और रेबीज रोधी टीकाकरण का काम शुरू हो जाएगा।
पिछले दो महीने से गुलरिहा स्थित एबीसी सेंटर पर ताला लटका हुआ है। पुरानी फर्म ने 9 सितंबर को ही काम बंद कर दिया था, जिसके बाद शहर में कुत्तों की पकड़, बंध्याकरण और टीकाकरण की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई। नई एजेंसी की तलाश में नगर निगम को करीब डेढ़ महीने का समय लग गया। दो बार रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) जारी करने के बाद भी किसी ने रुचि नहीं दिखाई। अंततः तीसरी बार जारी आरएफपी पर प्रक्रिया आगे बढ़ने पर पीलीभीत की फर्म का चयन कर लिया गया है।
एबीसी सेंटर के बंद रहने के कारण शहर में आवारा और आक्रामक कुत्तों का आतंक और बढ़ गया है। हालत यह है कि रोजाना 300 से अधिक लोग जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। दाउदपुर, नंदानगर, रूस्तमपुर, रसूलपुर, अलीनगर, रेती रोड, राप्तीनगर, पादरी बाजार, मियां बाजार और देवरिया बाईपास जैसी कई कालोनियों में रात के बाद लोगों का पैदल चलना मुश्किल हो गया है।
रिहायशी इलाकों की गलियों में झुंड बनाकर घूमते कुत्तों के डर से लोग देर रात बाहर निकलने से बचते हैं। कई लोगों ने नगर निगम में शिकायतें भी दर्ज कराईं, लेकिन सेंटर के बंद होने की वजह से फिलहाल कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही थी।
हर कुत्ते को लगानी होगी माइक्रो चिप
राज्य सरकार ने निराश्रित और आक्रामक कुत्तों के बढ़ते हमलों को देखते हुए हाल ही में नगर निगमों को कई सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के अनुसार, यदि कोई सड़क पर घूमने वाला कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है, तो नगर निगम को उस कुत्ते को 10 दिनों तक एबीसी सेंटर में निगरानी में रखना अनिवार्य होगा।
इस दौरान उसका बंध्याकरण और रेबीज रोधी टीकाकरण किया जाएगा। इसके अलावा, एबीसी सेंटर से छोड़े जाने से पहले हर कुत्ते में माइक्रो चिप लगाना होगा, जिससे उसकी पहचान और ट्रैकिंग आसान हो सके। यह प्रणाली दोबारा होने वाले हमलों को रोकने में भी मदद करेगी।
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सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि माइक्रो चिप लगे किसी कुत्ते द्वारा दूसरी बार ‘अप्रेरित हमला’ किया जाता है, तो ऐसे कुत्ते को सड़क पर छोड़ने के बजाय आजीवन एबीसी सेंटर में ही रखा जाएगा। इस नियम का मकसद आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इधर क्यों बढ़ी है कुत्तों की आक्रामकता
पशु चिकित्साधिकारियों के अनुसार, सितंबर से अक्टूबर का समय कुत्तों के प्रजनन काल (ब्रीडिंग सीजन) का होता है। इस दौरान नर कुत्तों में हार्मोनल बदलाव के कारण आक्रामकता बढ़ जाती है। वे अन्य कुत्तों और इंसानों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। वहीं मादा कुत्ते अपने नवजात शावकों की सुरक्षा के लिए स्वाभाविक रूप से आक्रामक हो जाती हैं।
तापमान में बदलाव भी उनके व्यवहार को प्रभावित करता है, जिसके कारण यह समय दुर्घटनाओं और हमलों की दृष्टि से अधिक संवेदनशील होता है। लेकिन, अब शहरवासियों को उम्मीद है कि सेंटर के शुरू होने के बाद आक्रामक कुत्तों के आतंक पर नियंत्रण होगा और रेबीज संक्रमण के खतरे में भी कमी आएगी।
एबीसी सेंटर का संचालन करने वाली पुरानी फर्म ने गत दिनों काम बंद कर दिया था। नई फर्म का चयन कर लिया गया है। जल्द ही सेंटर का संचालन पूर्व की तरह शुरू हो जाने की उम्मीद है।
- डा. रोबिन चंद्रा, पशु कल्याण एवं चिकित्साधिकारी, नगर निगम

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