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    यूपी के इस जिले को नए साल में मिलेगा 182 बेड का ICU, शुरू होगी हार्ट की बाईपास सर्जरी 

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 03:49 PM (IST)

    गोरखपुर के स्वास्थ्य तंत्र में 2026 तक बड़े बदलाव होंगे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 182 बेड की क्रिटिकल केयर सुविधा और हार्ट बाईपास सर्जरी शुरू होगी। जिल ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। नया साल 2026 पूर्वांचल के स्वास्थ्य तंत्र के लिए बड़ी उपलब्धियां लेकर आ रहा है। लंबे समय से संसाधनों की कमी, रोगियों की भीड़ और रेफरल की मजबूरी झेल रहे बीआरडी मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में अब बड़े बदलाव दिखेंगे। गंभीर मरीजों के उपचार के लिए 182 बेड की अत्याधुनिक क्रिटिकल केयर सुविधा शुरू होगी।

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    वहीं हृदय रोगियों के लिए सबसे बड़ी राहत यह होगी कि अब बाईपास सर्जरी गोरखपुर में ही संभव हो सकेगी। अब तक हृदय की गंभीर सर्जरी के लिए मरीजों को लखनऊ, वाराणसी या दिल्ली का रुख करना पड़ता था, जिससे समय और धन दोनों अधिक लगते थे।

    बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 100 बेड का लेवल-टू ट्रामा सेंटर, 50 बेड की क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) निर्माणाधीन है, जिसके नए साल में तैयार हो जाने की उम्मीद है। 32 बेड का आइसीयू बनकर तैयार है। नए साल के शुरुआती महीनों में इसे क्रियाशील कर दिया जाएगा। इससे सड़क दुर्घटनाओं, गंभीर सिर की चोट, मल्टी ट्रामा, सेप्सिस, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों को तत्काल उच्च स्तरीय उपचार मिल सकेगा।

    अब तक स्थिति यह रही है कि आइसीयू बेड कम होने के कारण गंभीर रोगियों को या तो इंतजार करना पड़ता था या रेफर किया जाता था। कई बार उपचार में देरी जानलेवा साबित होती थी। 182 नए बेड जुड़ने से न केवल गोरखपुर बल्कि गोरखपुर-बस्ती मंडल के रोगियों को राहत मिलेगी। इससे रेफरल की दर में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।

    सबसे अहम उपलब्धि बीआरडी मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में हृदय रोग सेवाओं का विस्तार होगा। यहां हृदय की बाईपास सर्जरी शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इसके लिए कानपुर स्थित लक्ष्मीपति सिंहानिया इंस्टीट्यूट से कार्डियक वैस्कुलर थोरेसिक सर्जन की टीम आएगी। शुरुआत में चयनित रोगियों की सर्जरी की जाएगी, बाद में इसे नियमित सेवा के रूप में विकसित किया जाएगा।

    इसके साथ ही कैथ लैब, कार्डियक आईसीयू और पोस्ट आपरेटिव केयर की व्यवस्था भी सुदृढ़ की जा रही है। यह पहल सिर्फ बीआरडी तक सीमित नहीं रहेगी। जिला अस्पताल और ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे में भी बड़े बदलाव किए जाएंगे। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, ताकि आम मरीजों को छोटी-छोटी समस्याओं के लिए मेडिकल कालेज की ओर न दौड़ना पड़े।

    जिला अस्पताल में 128 स्लाइस की अत्याधुनिक सीटी स्कैन मशीन लगाने की योजना भी अंतिम चरण में है। इससे ब्रेन स्ट्रोक, एक्सीडेंट, कैंसर और जटिल बीमारियों की जांच और अधिक सटीक हो सकेगी। साथ ही जिला अस्पताल में भी छह बेड का ट्रामा सेंटर शुरू होगा, जिससे शहर और आसपास के इलाकों में दुर्घटना पीड़ितों को तुरंत इलाज मिल सकेगा। हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं। नई इमारतों और मशीनों के साथ-साथ प्रशिक्षित मानव संसाधन की उपलब्धता सबसे बड़ी जरूरत होगी। इसके लिए डाक्टर, नर्स और तकनीकी स्टाफ चाहिए। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इस दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है।

    15 पीएचसी का होगा कायाकल्प
    नए साल में जिले के 15 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का कायाकल्प किया जाएगा। इन पीएचसी पर भवन मरम्मत, साफ-सफाई, बिजली-पानी की व्यवस्था के साथ आधुनिक जांच सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यहां ओपीडी, दवाइयों की उपलब्धता और लैब जांच को मजबूत किया जाएगा। गर्भवती, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष सेवाएं शुरू होंगी। इससे ग्रामीण इलाकों के मरीजों को छोटी बीमारियों के उपचार के लिए शहर नहीं आना पड़ेगा और जिला अस्पताल, एम्स व बीआरडी मेडिकल कालेज पर रोगियों का दबाव भी कम होगा।

    जिला अस्पताल में लगेगी 128 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन
    जिला अस्पताल में 128 स्लाइस की अत्याधुनिक सीटी स्कैन मशीन लगने से जांच सुविधाओं में बड़ा सुधार होगा। यह मशीन ब्रेन स्ट्रोक, सिर की चोट, फेफड़ों और हृदय की बीमारियों की सटीक जांच में मददगार होगी। अभी मरीजों को सीटी स्कैन के लिए निजी सेंटरों पर जाना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता है। नई मशीन से न केवल समय बचेगा, बल्कि जरूरतमंद मरीजों को भी सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जांच मिल सकेगी।

    जिला अस्पताल में शुरू होगा ट्रामा सेंटर
    शहर में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर शुरू किया जाएगा। यहां एक्सीडेंट पीड़ितों को तत्काल प्राथमिक उपचार, सर्जरी और आइसीयू सुविधा मिलेगी। इससे गंभीर मरीजों को सीधे बीआरडी भेजने की मजबूरी कम होगी। ट्रामा सेंटर के चालू होने से ‘गोल्डन आवर’ में उपचार संभव होगा, जिससे जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी। ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है, नए साल में इसे क्रियाशील करने की तैयारी चल रही है।

    सीएचसी पर बन जाएंगे एम्स व बीआरडी पर्चे
    ग्रामीण मरीजों को राहत देने के लिए सीएचसी स्तर पर एम्स और बीआरडी मेडिकल कालेज के पर्चे बना दिए जाएंगे। इसकी तैयारी चल रही है। इससे रेफर रोगियों को एम्स व बीआरडी जाकर पर्चा बनवाने के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। वे सीधे ओपीडी में जाकर उसी दिन डाक्टर से परामर्श ले सकेंगे।

    इन योजनाओं के पूरा होने से उपचार व्यवस्था और सुदृढ़ हो जाएगी। इससे न केवल रोगियों को लाभ होगा, बल्कि मेडिकल शिक्षा और शोध को भी बढ़ावा मिलेगा। डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की संख्या बढ़ाने, आधुनिक मशीनें लगाने और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार देने की भी तैयारी चल रही है। -डा. राजेश झा, सीएमओ

    नया साल 2026 गोरखपुर और पूर्वांचल के रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आ रहा है। योजनाएं समय पर पूरी करने की कोशिश की जा रही है। इन्हें पूरी क्षमता के साथ लागू किया जाएगा। इससे पूर्वांचल, बिहार व नेपाल के गंभीर रोगियों को लखनऊ, दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। -डा. रामकुमार जायसवाल, प्राचार्य बीआरडी मेडिकल कालेज