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Gandhi Jayanti Special: जानें- गोरखपुर के गांधी गली का क्या है इतिहास, बापू के नाम पर क्यों है इसकी पहचान

गांधी गली गोरखपुर शहर के गोरलघर के बीचोबीच से बैंक रोड के लिए निकली है। इस गली का नाम बापू के नाम पर पड़ने के पीछे दो वजह बताई जाती है। वजह चाहे जो भी हो लेकिन इस गली का अस्तित्व गांधी मैदान से है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sun, 02 Oct 2022 03:29 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 03:29 PM (IST)
Gandhi Jayanti Special: जानें- गोरखपुर के गांधी गली का क्या है इतिहास, बापू के नाम पर क्यों है इसकी पहचान
कभी गांधी मैदान थी आज की गांधी गली। -जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर शहर या आसपास के इलाकों से आने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने कभी न कभी गोलघर के बीचोबीच से निकलकर बैंक रोड से जुड़ने वाली गांधी गली का इस्तेमाल न किया हो। पर इसके विपरीत एक बात और भी उतनी ही सही है कि शायद ही किसी को पता होगा कि इसे गांधी गली कहते क्यों हैं। जिसके मन में इसे लेकर थोड़ी जिज्ञासा जगी भी तो वह गली के मुहाने पर 1958 से स्थापित गांधी आश्रम की दुकान को देखकर शांत हो गई।

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क्या है गांधी गली का इतिहास

जानकार आश्चर्य होगा कि गली को यह नाम इस दुकान की वजह से नहीं मिला। नाम की वजह कभी वहां गांधी मैदान का होना थी। बाद में लोगों की सुविधा के लिए जब मैदान के दायरे में ही एक गली ने रूप लिया तो उसे भी गांधी गली कहा जाने लगा। नाम के पुख्ता पहचान की रही-सही कसर भी तब पूरी हो गई, जब रायगंज की गांधी आश्रम की दुकान को गोलघर में गली के मुहाने पर शिफ्ट कर दिया गया।

गांधी मैदान अस्तित्व में आया कैसे?

गांधी मैदान के नाम पर यहां अब सिर्फ छोटी सी जमीन है, जिसे गांधी पार्क कहा जाता है। यह पार्क दवा के थोक बाजार भालोटिया मार्केट के सामने है। अब यह सवाल लाजिमी है कि यह गांधी मैदान अस्तित्व में आया कैसे? पड़ताल में दो वजहें सामने आईं। पहली वजह चर्चा पर आधारित है। इसके मुताबिक असहयोग आंदोलन के दौरान जब आठ फरवरी 1921 में महात्मा गांधी गोरखपुर आए तो उनकी जनसभा इसी मैदान में आयोजित होनी थी। प्रशासनिक सख्ती की वजह से उसे बाले मियां के मैदान में आयोजित करना पड़ा। दूसरी वजह स्थापित है। इसके अनुसार मशहूर व्यवसायी राम प्रसाद भालोटिया ने इंडियन नेशनल कांग्रेस को 16000 फीट जमीन दान में दी। कांग्रेसियों ने उस जमीन को महात्मा गांधी के नाम समर्पित किया। नाम बड़ा था, सो उस दौरान खाली मैदान से दिखने वाले क्षेत्र को गांधी मैदान कहा जाने लगा। खैर वजहें भले ही अलग-अलग हैं लेकिन यह बात में संदेह नहीं कि गांधी गली को नाम गांधी मैदान से ही मिला।

क्या कहते हैं जानकार

  • वरिष्ठ कांग्रेस नेता शरदेंदु कुमार पांडेय ने बताया कि गांधी मैदान में महात्मा गांधी की सभा आयोजित होने और बाद में स्थगित होने की जानकारी तो है लेकिन यह जानकारी चर्चा आधारित ही ही। गांधी मैदान और गांधी गली को महात्मा गांधी का नाम मिलने की औपचारिक वजह राम प्रसाद भालोटिया द्वारा कांग्रेस को जमीन देना और कांग्रेस द्वारा उस जमीन को गांधी मैदान नाम देना ही है। पहले का गांधी मैदान अब निर्धारित जमीन तक सिमट कर गांधी पार्क हो गया है।
  • वरिष्ठ भोजपुरी साहित्यकार रवींद्र श्रीवास्तव ‘जुगानी’ ने बताया कि आज जहां गांधी गली और भालोटिया मार्केट है, वह पूरा इलाका ही पहले मैदान हुआ करता था। कभी-कभी वहां मेला भी लगता था। असहयोग आंदोलन के दौरान गांधी की सभा में हिस्सा लेने वाले बताते थे कि पहले वह जनसभा बाले मियां की जगह सिविल लाइन के एक मैदान में होने वाली थी। तत्कालनी प्रशासनिक सख्ती वजहों से सभा तो नहीं हुई लेकिन मैदान का नाम गांधी के नाम से जरूर मशहूर हो गया।

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