MMMUT में 40 छात्रों काे फर्जी तरीके से प्रवेश दिलाने वाला लिपिक गिरफ्तार, कई और पर कसा जा रहा शिकंजा
गोरखपुर एमएमयूटी में 40 छात्रों को फर्जी तरीके से प्रवेश दिलाने के आरोप में वरिष्ठ लिपिक रवि मोहन श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने प्रति छात्र पांच लाख रुपये लेकर सूची में नाम बढ़ाए थे। इस घोटाले में कई और लोगों के भी शामिल होने की आशंका है। पुलिस मामले की छानबीन में जुटी हुई है। आरोपी लिपिक से पूछताछ जारी है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एमएमयूटी में फर्जी तरीके से 40 छात्रों को प्रवेश दिलाने वाले मास्टमाइंड वरिष्ठ लिपिक रवि मोहन श्रीवास्तव को कैंट पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बेलीपार थाना के महावीर छपरा का रहने वाले रवि को वर्ष 2006 में चतुर्थ श्रेणी में नौकरी मिली थी। वर्ष 2009 में परीक्षा देकर यह बाबू बन गया।
इसके ही टेबल से प्रवेश की सूची आगे बढ़ती थी। इसका फायदा उठाते हुए इसने काउंसलिंग के बाद सूची में नीचे छात्रों का नाम बढ़ा दिया था। इसके बदले उसने प्रति छात्र पांच लाख रुपये लिए थे। पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया।
फर्जी प्रवेश पाने वाले छात्र राहुल गुप्ता के पिता श्रीप्रकाश गुप्ता ने एसएसपी को प्रार्थना पत्र दिया था। एमएमएमयूटी के कुलसचिव कार्यालय में तैनात वरिष्ठ लिपिक रवि मोहन श्रीवास्तव पर धोखाधड़ी और कोटे से प्रवेश दिलाने के नाम पर 2.70 लाख रुपये हड़पने का आरोप लगाया था।
एसएसपी के निर्देश पर कैंट पुलिस केस दर्ज करते हुए जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि एमएमयूटी प्रशासन ने भी इस फर्जीवाड़े में कमेटी गठन किया था। 20 जुलाई 2023 को कार्य परिषद के समझ कमेटी ने रिपोर्ट भी पेश की थी। जिसमें तीन शिक्षकों और पांच कर्मचारियों पर कार्य में लापरवाही का आरोप पाया गया था।
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इसमें कुछ की संलिप्तता भी पाई गई थी। आरोपित लिपिक उनमें से एक था। इधर, पुलिस की जांच में भी लिपिक के विरुद्ध साक्ष्य मिलने पर उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद कई और लोग राडार पर आ गए हैं, कैंट पुलिस उनके विरुद्ध साक्ष्य जुटा रही है।
जनवरी 2023 को एमएमयूटी ने किया था पर्दाफाश
एमएमयूटी प्रशासन ने 10 जनवरी 2023 को इस फर्जीवाड़े का फर्दाफाश किया था। बताया था कि 40 छात्र-छात्राओं ने फर्जी कागजात के जरिए प्रवेश ले लिया है। इसमें सत्र 2020-21 के कुल 22 और सत्र 2021-22 के 18 विद्यार्थी शामिल थे।

कैंट थाने के लाकअप में फर्जी तरीके से प्रवेश दिलाने वाला एमएमयूटी का लिपिक। सौ. इंटटरनेट मीडिया
इन सभी छात्रों का प्रवेश निरस्त कर दिया गया था। तीन शिक्षक व पांच कर्मचारी जांच की जद में आए थे। इसमें वर्ष 2020 में प्रवेश लेने वाले छात्रों ने तीन वर्ष और वर्ष 2021 में प्रवेश लेने वाले छात्रों ने दो वर्ष की पढ़ाई पूरी की थी। इस दौरान छात्रों ने छात्रवृत्ति भी ली थी।
आरोपों से बचने के लिए लिपिक ने की थी मदद
एमएमयूटी से निष्कासित होने वाले छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस दौरान कोर्ट में छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए कागजातों को लेकर लिपिक ने मदद की थी। एमएमयूटी प्रशासन द्वारा कार्रवाई करने के बाद भी उसने चोरी से कार्यालय से कई कागजात निकालकर छात्रों को दिया था।
पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि आरोपों से बचने के लिए उसने यह काम किया। हालांकि कोर्ट से छात्रों को अभी राहत नहीं मिली है। केस डबल बेंच से सिंगल बेंच के पास लौटा दिया गया।
आरोपित वरिष्ठ लिपिक रवि मोहन श्रीवास्तव को साक्ष्यों के आधार पर कैंट पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है। इस पूरे प्रकरण की जांच जारी है। जांच व साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। लिपिक ने कुछ और लोगों के भी नाम लिए है। इसके विरुद्ध 2.70 लाख रुपये हड़पने का आरोप लगा था। पूछताछ में मामला प्रति छात्र पांच लाख रुपये से अधिक का सामने आ रहा है। -अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
लिपिक ने बढ़ाया नाम, अधिकारी भी करते गए हस्ताक्षर
लिपिक रवि मोहन श्रीवास्तव ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि जिस पटल पर वह काम करता है। वहीं से प्रवेश की सूची जारी होती है। छात्रों और उनके अभिभावक को कोटे से प्रवेश दिलाने के नाम पर पांच-पांच लाख रुपये लिए। इसके बाद सूची तैयार होने पर उसने लगातार दो वर्ष 22 व 18 छात्रों का नाम बढ़ाया।
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अब सवाल यह उठता है कि एमएमयूटी में सीट निर्धारित होगी। ऐसे में जब लिपिक ने छात्रों के नाम बढ़ाकर सूची को आगे हस्ताक्षर के लिए बढ़ाया होगा तो अधिकारियों ने उसे क्रास चेक तो किया ही होगा, अगर नहीं किया तो वह भी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे। अब पुलिस भी इन्हीं बिंदुओं पर जांच कर रही है। साक्ष्य मिलने के बाद और भी आरोपितों के गिरफ्तार होने की आशंका है।

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