450 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर पांच करोड़ से अधिक रुपये खर्च कराए, फर्जी IAS की ठगी की परतें खुलीं
गोरखपुर में फर्जी आईएएस ललित किशोर की गिरफ्तारी के बाद ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। बिहार के एक ठीकेदार ने पुलिस को बताया कि कैसे उसे 500 करोड़ का ठे ...और पढ़ें

काले जैकेट में मुख्य आरोपी। जागरण
जागरण संवाददाता,गोरखपुर। फर्जी आइएएस ललित किशोर उर्फ गौरव की गिरफ्तारी के बाद उसके छल-कपट की परतें अब एक-एक कर सामने आ रही हैं। अब तक चुप रहे ठगी के शिकार लोग भी आगे आने लगे हैं। बिहार के मोकामा निवासी ठीकेदार ने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि जालसाज के रौब, हथियारबंद गनर को देखकर वह झांसे में फंस गया।
व्यापारी ने पुलिस को बताया कि फर्जी आइएएस ललित कुमार उर्फ गौरव कुमार से उनकी पहली मुलाकात सितंबर 2024 में बिहार के अररिया जिले के एक होटल में हुई थी। उन्हें एक परिचित ने बताया था कि एक बड़े आइएएस अधिकारी से मुलाकात होने वाली है, जो केंद्रीय स्तर के ठीके दिलाने में मदद कर सकता है।
होटल के बाहर का दृश्य ही ऐसा था कि किसी को शक की गुंजाइश नहीं बचती। कई महंगी गाड़ियों का काफिला, आगे-पीछे सुरक्षा में तैनात 24 हथियारबंद बाडीगार्ड और बीच में उतरा व्यक्ति ललित किशोर, जो खुद को गौरव कुमार आइएएस बता रहा था। जैसे ही वह होटल के कमरे से बाहर निकलता, गार्ड एक साथ खड़े होकर जय हिंद सर कहते थे।
यह दृश्य देखकर लगा कि वह वास्तव में बड़ा अधिकारी है।होटल के हाल में परिचय के दौरान गौरव ने उन्हें अपने बगल की कुर्सी पर बैठाया। बातचीत के दौरान वह लगातार कान में ईयरफोन लगाए फोन पर अधिकारियों को निर्देश देता दिखा। वह कह रहा था कि वह मुजफ्फरपुर से छापा मारकर लौट रहा है और वहां के अफसरों को राइट टाइम कर दिया है।
उसने दावा किया कि अगले दिन यह कार्रवाई अखबारों में प्रमुखता से छपेगी। इस तरह की बातें सुनकर ठीकेदार का भरोसा और गहरा हो गया।उसी रात करीब नौ बजे होटल में 20 वर्षीय युवती पहुंची। उसने खुद को गौरव का करीबी बताया। गौरव ने ठीकेदार से कहा कि वह उसकी बहन की बेटी है और उसे कमरे में लेकर चला गया।
पूरी रात वह कमरे से बाहर नहीं निकला। अगली सुबह एक गार्ड ने मजाक में युवती को “भाभी” कह दिया। यहीं पहली बार ठीकेदार के मन में हल्का-सा शक पैदा हुआ, लेकिन आइएएस अधिकारी होने की छवि इतनी मजबूत थी कि उन्होंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया।
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इसके बाद फोन पर बातचीत का सिलसिला चलता रहा। 15 अप्रैल 2025 को पटना में दोबारा मुलाकात हुई। इस बार गौरव ने ठीकेदार की कमजोरी भांप ली थी। उसने पूछा कि वह क्या काम करते हैं। जब ठीकेदार ने बताया कि वह सरकारी विभागों के टेंडर लेकर निर्माण कार्य कराते हैं, तो गौरव ने सीधे 500 करोड़ रुपये का केंद्रीय ठीका दिलाने का झांसा दे दिया।
यहीं से ठगी का असली खेल शुरू हुआ।गौरव ने खुद को गोरखपुर के गुलरिहा क्षेत्र का निवासी बताया। ठीकेदार कई बार वहां जाकर उससे मिले। भरोसा बढ़ाने के लिए गौरव ने वाट्सएप पर 450 करोड़ रुपये के टेंडर से जुड़े फर्जी दस्तावेज और अखबारों की कटिंग तक भेजी। तीन से चार महीनों के भीतर उसने ठीकेदार से पांच करोड़ रुपये से अधिक खर्च करा लिए।गोरखपुर पुलिस सभी तथ्य की गहनता से पड़ताल कर रही है।

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