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    छह महीने से फर्जी IAS बनकर घूम रहा था ललित, साला और सहयोगी भी गिरफ्तार

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 09:33 AM (IST)

    गोरखपुर में ललित नामक एक व्यक्ति को फर्जी IAS अधिकारी बनकर घूमने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वह पिछले छह महीने से यह काम कर रहा था। पुलिस ने उसक ...और पढ़ें

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    फर्जी आइएएस (काले रंग के जैकेट में) और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार करने के बाद मामले का पर्दाफाश करते एसपी सिटी अभिनव त्यागी और बायी तरफ बैठे सीओ गोरखनाथ। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फर्जी आइएस बनकर लोगों से ठगी करने वाले ललित किशोर, उसके साले और सहयोगी को गुलरिहा पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया। नौकरी और सरकारी विभागों में टेंडर दिलवाने का झांसा देकर ये लोगों से ठगी करता था। लाल बत्ती लगे वाहनों से घूमकर लोगों को आइएएस गौरव कुमार के रूप में खुद को संबाेधित करता था।

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    इसने तीन लाख रुपये महीने पर 10 गनर और 60 हजार रुपये महीने पर एक स्टेनों भी रखा था। साथ में एक-दो युवकों को भी लेकर चलता था। जो इसकी वाहवाही कर लोगों को भरोसा दिलाते थे। पुलिस ने इसके पास से सवा चार रुपये समेत अन्य कागजात बरामद किए है।

    बुधवार को पुलिस लाइंस के व्हाइट हाउस में एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने मामले का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया पुलिस को एक गुमनाम शिकायती पत्र मिला था, जिसमें बताया गया था कि एक युवक फर्जी आइएएस गौरव कुमार नाम से घूम रहा है और लोगों से ठगी कर रहा।

    जांच के क्रम में पता चला कि मूलरूप से बिहार सीतामढ़ी जनपद के स्थानीय थाना, मेहसौल गांव का रहने वाला ललित कुमार फर्जी आइएएस गौरव कुमार बनकर घूम रहा है। सीतामढ़ी जनपद के रीगा थाना, रामनगरा का रहने वाला उसका साला अभिषेक कुमार और गोरखपुर के गोरखनाथ थाना के संतोषनगर लच्छीपुर निवासी परमानंद गुप्ता इसके सहयोग में साथ चलते है।

    छह महीने पहले ये गोरखपुर में अपना ठीकाना बनाया था। चिलुआताल में 30 हजार रुपये महीने भाड़े पर मकान लेकर ये रह रहा था। झुगिया बाजार में इसने अपना कार्यालय बना रखा था, जहां से ठगी का जाल फैलाता था। इसके कार्यालय के बाहर आइएएस गौरव कुमार की नेम प्लेट, सरकारी पट्टिकाएं और हूटर लगी गाड़ियां खड़ी रहती थीं। 10 से 12 की संख्या में गनर भी खड़े रहते थे। जिसे देख लोग आसानी से इसके झांसे में आ जाते थे।

    यहां रहते हुए ललित ने कई प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण किया था। खामियां बताकर स्कूल प्रबंधन से लाखों की वसूली किया था। इसके अलावा विभिन्न आयोजनों में गेस्ट बनकर भी शामिल होता था। यहां आने के बाद आरोपित ने परमानंद से संपर्क किया था, जो वेतन पर आरोपित के बारे में लोगों को विश्वास दिलाता था कि साहब की पकड़ बहुत ऊपर तक है। जो कहते हैं, करते है। परमानंद की बातों में आकर भी कई लोगों ने फर्जी आइएएस से संपर्क कर काम कराने के लिए रुपये दिए थे।

    चार राज्यों में कर चुका है धोखाधड़ी, बिहार के मुकुंद ने की थी शिकायत
    आरोपित ललित अब तक यूपी, बिहार, झारखंड और मध्यप्रदेश फर्जी आइएएस बनकर लोगों से धोखाधड़ी कर चुका है। गुलरिहा पुलिस की जांच के क्रम में बिहार, पटना के मोकामा निवासी मुकुंद माधव ने पुलिस से मुलाकात की थी। बताया था कि आरोपित ललित से उनकी मुलाकात सितंबर 2024 में अररिया के एक होटल में हुई थी।

    ललित ने स्वयं को आइएएस बताते हुए बड़े सरकारी टेंडर दिलाने का दावा किया। भरोसा जीतने के बाद उसने उन्हें गोरखपुर कार्यालय बुलाया। कार्यालय की साज-सज्जा और तामझाम देखकर वह पूरी तरह से भ्रमित हो गया और पहले ही दिन 10 लाख रुपये नकद दे दिए। इसके बाद अप्रैल 2025 से आरोपित ने विभिन्न बैंक खातों में कुल एक करोड़ 70 लाख रुपये ट्रांसफर कराए। अलग-अलग मौकों पर 25 लाख रुपये नकद और दो वाहन, स्कार्पियो और इनोवा भी लिया। जिससे वह बत्ती और हूटर लगाकर घूमता था।

    तीन महीने बाद जुलाई 2025 में जब उसने आरोपित से टेंडर की स्थिति पूछी तो एआई से तैयार फर्जी अनुमोदन पत्र, भवन आवंटन की फाइलें और अखबारों की कटिंग भेजकर उसे गुमराह कर दिया। आशंका होने पर जब उसने रुपये लौटाने की मांग की तो आरोपित के सहयोगियों ने धमकी देना शुरू कर दिया। भय में आकर वह कुछ दिनों तक शांत रहा, फिर छह दिसंबर को गुलरिहा थाने में गुमनाम एक शिकायती पत्र भेजकर कार्रवाई की गुहार लगाई थी।

    तीन महीने पहले भटहट के स्कूल का किया था निरीक्षण
    आरोपित ललित उर्फ फर्जी आइएएस गौरव ने तीन महीने पहले भटहट स्थित एक प्राइवेट विद्यालय का निरीक्षण किया था। ये हुटर बजाते हुए स्कोर्ट के साथ विद्यालय पहुंचा, जिससे विद्यालय प्रबंधक भी सकते में आ गया। करीब आधे घंटे रहकर इसने फाइलों समेत अन्य की जांच की।

    इसके बाद कई खामियां बताकर कार्रवाई की बात कहीं और फिर चला गया। इसके जाने के कुछ देर बाद इसके सहयोगी प्रबंधक से संपर्क किए और कार्रवाई से बचाने के नाम पर 55 लाख रुपये की मांग की। पुलिस का कहना है कि बातचीत के दौरान मामला 15 से 20 लाख रुपये के बीच में सहमति बनी थी। हालांकि इसकी शिकायत न होने से जांच चल रही है।

    फर्जी आइएएस की है चार गर्लफ्रेंड, तीन गर्भवती
    पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि फर्जी आइएएस की चार गर्लफ्रेंड है। जिसमें तीन गर्भवती है। इसमें से एक ने पुलिस कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है। जिसकी जांच पुलिस कर रही है। जबकि आरोपित ललित ने युवती को भगाकर प्रेम विवाह किया है। इस मामले में मोकामा थाने में इसके विरुद्ध केस भी दर्ज है।

    कोचिंग से निकाले जाने के बाद बना फर्जी आइएस
    आरोपित ललित बिहार के एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाता था। यहां पर इसने एक छात्र के पिता से दो लाख रुपये की ठगी की। काम नहीं होने पर जब छात्र के पिता ने शिकायत की तो इसे कोचिंग संस्थान से निकाल दिया गया। इसके बाद से ये फर्जी आइएएस बनकर लोगों के साथ ठगी करने लगा।

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    मैथ से कर रहा था पीएचडी, बनना चाहता था डीआइओएस
    ललित किशोर एमएससी करने के बाद मैथ से पीएचडी कर रहा था। ये जिला विद्यालय निरीक्षक बनने के लिए तैयारी भी कर रहा था। लेकिन, फर्जी आइएएस बनने के बाद रुतबा और रुपये के लालच में इसने लोगों से ठगी करना शुरू कर दिया।

    एक गनर को देता 30 हजार रुपये
    फर्जी आइएएस अपने साथ हर समय 10 गनर लेकर चलता था। ये हर महीने एक गनर को 30 हजार रुपये वेतन देता था। पुलिस की पूछताछ में आरोपित ने बताया कि हर महीने ये चार से पांच लाख रुपये सिर्फ वेतन पर खर्चा करता था। इसके बाद महिला दोस्तों पर।

    एआइ से अधिकारियों की जगह लगाता था अपनी फोटो
    आरोपित ललित लोगों को झांसे में लेने के लिए अलग-अलग जिलों के अधिकारियों का फोटो एआइ से हटाकर अपनी फोटो लगा देता था। इसके बाद लोगों को उसी फोटो के आधार पर झांसे में लेता था। इसने लखीमपुर के डीएम की फोटो हटाकर अपनी फोटो लगाई थी। पुलिस की जांच में इसके मोबाइल फोन से दर्जनों ऐसे फोटो और फर्जी तरीके से कुछ अखबारों चलाई गई खबरों को बरामद किया है।

    फर्जी आइएएस ललित किशोर समेत तीन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इसके मोबाइल फोन से कई फोटो और अन्य साक्ष्य मिले हैं। इसके द्वारा 12 से अधिक लोगों से ठगी की है। पुलिस इन सभी मामलों की जांच कर रही है। इसके अलावा जिन लोगों से ठगी हुई है, वे लोग पुलिस कार्यालय आकर शिकायत कर सकते हैं।

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    -अभिनव त्यागी, एसपी सिटी