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    फर्जी IAS ने ठगी के रुपये से लखनऊ में खरीदा फ्लैट, भंडाफोड़ होते ही गाड़ियाें के साथ ही गार्ड को ले गया बिहार का कारोबारी

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:37 AM (IST)

    गोरखपुर में फर्जी आईएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार के ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। गौरव ने ठगी के रुपये से लखनऊ में एक फ्लैट खरीदा था। उसके सुरक्षा ...और पढ़ें

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    काले जैकेट में मुख्य आरोपी फर्जी आईएएस बनकर ठगी करता था। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फर्जी आइएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार के ठगी नेटवर्क की परतें तेज़ी से खुल रही हैं। पुलिस जांच में यह सामने आया है कि गौरव ने ठगी के रुपये से लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में लगभग 50 लाख रुपये कीमत का फ्लैट खरीदा था। यही नहीं, उसके साथ चलने वाली लग्जरी गाड़ियां, सुरक्षा गार्ड व ड्राइवर किसी सरकारी विभाग के नहीं, बल्कि बिहार के मोकामा के एक व्यापारी की ओर से उपलब्ध कराए गए थे। मामला उजागर होते व्यापारी अपने वाहन व गार्ड वापस ले गया।

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    पुलिस के मुताबिक पूरा खेल तब खुला जब सात नवंबर को जीआरपी ने रेलवे स्टेशन पर मोकामा निवासी व्यापारी मुकुंतत माधव को 99.09 लाख रुपये के साथ पकड़ा। रुपये किसके थे, यह पूछताछ में साफ होने लगा और धागा सीधे फर्जी आइएएस गौरव कुमार सिंह तक जा पहुंचा। इस पकड़ के बाद गौरव को भनक लग गई कि जांच की दिशा अब उसकी ओर बढ़ चुकी है।

    उसने गोरखपुर में किराए के मकान से अपना सामान तुरंत समेटा और शहर छोड़ दिया। उसके बाद वह लगातार ठिकाने बदलता रहा।कभी बिहार, कभी लखनऊ, कभी गोरखपुर में नई पहचान के साथ छिपाता रहा। पुलिस का कहना है कि उसके साथ गाड़ियों और सुरक्षा का पूरा प्रबंध बिहार के व्यापारी ने किया था, जो गौरव के वादों और सरकारी संपर्कों के झांसे में फंसा था।

    गौरव की गिरफ्तारी की राह तब खुली जब उसकी प्रेमिका पुलिस के संपर्क में आई। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने काल डिटेल, इंटरनेट मीडिया चैट और मोबाइल लोकेशन निकाली, जिससे यह पुष्टि हुई कि गौरव कुछ दिनों से लखनऊ के आलमबाग क्षेत्र में छिपकर रह रहा था।

    जांच में कई आर्थिक लेन-देन, संदिग्ध खातों और संपत्ती के दस्तावेज सामने आए हैं।पुलिस ने संबंधित बैंकों को पत्र भेजकर उसके खातों के विस्तृत बयान मांगे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने किन-किन लोगों से नौकरी, ट्रांसफर, सरकारी टेंडर या योजना स्वीकृत कराने के नाम पर रुपये लिए।

    बांका से भागने के बाद ललित किशोर बना था गौरव कुमार

    नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार विरुद्ध बांका (बिहार) जिले में तीन मामले दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।बांका के टाउन थाने में उसके विरुद्ध वर्ष 2023 में कई लोगों ने नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने की शिकायत की थी।

    केस दर्ज होने के बाद से आजतक उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास नहीं हुए। यहां तक कि कोर्ट तक में भी वारंट के लिए प्रयास नहीं हुए। इसी लापरवाही का फायदा उठाकर वह बांका से फरार हुआ और बाद में उत्तर प्रदेश को अपना नया ठिकाना बना लिया।

    जानकारी के अनुसार, 2017 में ललित ने वेलफेयर सोसायटी नामक एनजीओ का जिला समन्वयक बनकर बांका में प्रवेश किया। एनजीओ के दिन लदने के बाद उसने आदित्य 30 नामक कोचिंग संस्थान की शुरुआत की। इसके लिए बाबू टोला, अलीगंज व बांका-कटोरिया रोड में तीन स्थानों पर अपना कार्यालय खोला। समाजसेवा के नाम पर एक बार उसने झारखंड के रांची में एक एनजीओ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में एक राज्यपाल के हाथों प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर भौकाल बनाया था।

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    कोचिंग की आड़ में गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाई से लेकर गरीब महिलाओं के बीच साड़ी व कंबल वितरण भी किया करता था। कोरोना काल में मास्क सैनिटाइजर तक बांटे। फिर उसने एक शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी का रिश्तेदार बताकर सरकारी स्कूलों में अपने कोचिंग में नामांकन के लिए परीक्षा का आयोजन कराने लगा। इससे भी जब मन नहीं भरा तो उसने यूट्यूबर बनकर जिला प्रशासन के ग्रुप में शामिल हो गया।

    वैसे उसकी संदिग्ध गतिविधियों को लेकर तत्कालीन डीएम तक कुछ लोगों ने बात पहुंचाई थी। पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। दो साल पहले अपने तीनों आवास को रातोंरात खाली कर फरार हुआ तो बांका, मुंगेर एवं झारखंड के गोड्डा की कुछ महिलाओं ने नौकरी लगाने के नाम पर ठगी की शिकायत की।

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    खुद उसका मकान मालिक जब उसके दिये गये पते पर सीतामढ़ी जिला स्थित घर गया तो खपरैल के बंद घर में ललित के बारे में उसके स्वजन को कुछ जानकारी नहीं मिली। इसी बीच बांका से भागने के बाद उसने अपना नाम बदलकर गौरव कुमार सिंह कर लिया और गोरखपुर में फर्जी आइएएस अधिकारी बनकर ठगी का नया खेल शुरू कर दिया। पुलिस का कहना है कि ललित पर दर्ज मामले की जांच कराई जा रही है।