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    तंत्र के गण: हौसले को मिली मदद तो बदल गई कई जिंदगियां, आज विश्वभर में है 'टेराकोटा' की पहचान

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 12:45 PM (IST)

    गोरखपुर जिले में भटहट गांव के रहने वाले शिल्पकार रविंद्र प्रजापति ने टेराकोटा कला को नई पहचान दी। सरकारी योजनाओं और अपनी लगन से उन्होंने न सिर्फ खुद को ऊंचाइयों तक पहुंचाया बल्कि हजारों शिल्पकारों को भी रोजगार के अवसर प्रदान किए। इनकी सफलता की कहानी बहुत ही रोचक और प्रेरणादायी है। इन्हों साबित किया कि अगर हौसले बुलंद हों तो मिट्टी से भी इतिहास लिखा जा सकता है।

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    टेराकोटा की कलाकृति बनाते रविंद्र प्रजापति। जागरण

    जागरण संवाददाता, भटहट/गोरखपुर। जहां दूसरों के लिए मिट्टी सिर्फ धरती का हिस्सा है, वहीं भटहट के रविंद्र प्रजापति के लिए यही मिट्टी उनकी जिंदगी का आधार बन गई। बचपन में पिता और भाइयों के साथ टेराकोटा के छोटे-छोटे काम से शुरू हुई उनकी कहानी आज हजारों शिल्पकारों को नई राह दिखा रही है।

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    सरकारी योजनाओं के सहयोग और अपनी लगन के दम पर रविंद्र ने न सिर्फ खुद को ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि उन परिवारों की उम्मीद भी बन गए, जो कभी अंधेरे में खोए हुए थे। टेराकोटा कला को नई पहचान देकर रविंद्र ने साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो मिट्टी से भी इतिहास लिखा जा सकता है।

    रविंद्र के पिता जगदीश प्रजापति व भाई राजन परिवार के भरण-पोषण के लिए टेराकोटा का काम करते थे। स्कूल से घर आने के बाद रविंद्र भी पिता व भाई के काम में हाथ बंटाने लगे और धीरे-धीरे वह भी कलाकृतियों को बनाना सीख गए। परिवार की आर्थिक स्थिति सही होने से रविंद्र ने पढ़ाई छोड़कर टेराकोटा को ही अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया और पिता व भाई के साथ वह भी कलाकृतियां बनाने लगे।

    टेराकोटा। जागरण (फाइल फोटो)


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    हालांकि इनके इस कला को मुकाम तब मिला जब प्रदेश की बागडोर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिली। मुख्यमंत्री ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना को लागू कर टेराकोटा को भी उसमें शामिल किया। इस योजना का लाभ लेते हुए रविंद्र ने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी और उनकी कलाकृतियों को राज्य से लेकर पूरे देश और विदेश तक मांग होने लगी।

    इसके बाद रविंद्र ने नाबार्ड द्वरा भटहट आर्टिजन प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया और भाई राज को निदेशक और खुद सदस्य बन गया। इनकी कंपनी में 100 और शिल्पकार सदस्य है। जो नाबार्ड की देखरेख में काम करते हैं। इनके वर्कशाप में इस समय प्रतिदिन 35 से 40 शिल्पकार टेराकोटा की कलाकृतियों को तैयार करते हैं।

    रविंद्र ने केंद्र व प्रदेश सरकार की गुरु-शिष्य परंपरा योजना व कौशल विकास योजना के अंतर्गत 500 शिल्पकारों को प्रशिक्षण भी दिया है। रविंद्र बताते हैं कि हर महीने उन्हें 70 से 80 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। इसके अलावा उनके यहां काम करने वाले शिल्पकारों को वह वेतन पर रखे हुए हैं।

    टेराकोटा। जागरण (फाइल फोटो)


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    पिता व भाई के साथ रविंद्र को भी मिल चुका है राज्य पुरस्कार

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर टेराकोटा शिल्पकारों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के लाभ का असर इस कदर हुआ कि रविंद्र के परिवार में पुरस्कारों की झड़ी लग गई। पिता और दो भइयों के साथ रविंद्र प्रजापति को भी राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

    पिता जगदीश प्रजापति को वर्ष 2021-22 में, भाई नागेंद्र प्रजापति को वर्ष 2019-20 में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जबकि भाई राजन प्रजापति को राष्ट्रपति पुरस्कार के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक लाख का पुरस्कार मिल चुका है।