चीन-नेपाल सीमा से सटे गांवों को नए सिरे से आबाद कर रही भारत सरकार, आखिर क्या है कारण?
भारत सरकार चीन और नेपाल सीमा से सटे उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों को नए सिरे से आबाद कर रही है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत आर्थिकी सुधार आजीविका विकास और पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य सीमाओं की सुरक्षा मजबूत करना और पलायन को रोकना है। ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा सड़क संपर्क और संचार सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। चीन और नेपाल से सटे उत्तराखंड की सीमाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए गांवों को नए सिरे से आबाद किया जा रहा है। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल राज्य के तीन सीमांत जिलों के पांच विकासखंडों के 51 गांवों के विकास को कार्य किए जा रहे हैं। इनमें आर्थिकी सुधार के लिए आजीविका विकास और पर्यटन गतिविधियों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।
उत्तराखंड की कुल 658 किलोमीटर सीमा चीन और नेपाल से लगती है। ये सीमा पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी जिलों के अंतर्गत आती है। सीमाओं से सटे गांवों को सीमाओं का सजग प्रहरी भी माना जाता है। राज्य गठन के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांव खाली हो रहे हैं। इससे सीमाओं की सुरक्षा को लेकर संकट खड़ा हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार ने भी इस बात को समझा।
पास किया गया 758 करोड़ का बजट
यही कारण है कि वाइबे्रंट विलेज कार्यक्रम के तहत इन गांवों का कायाकल्प किया जा रहा है। इसके लिए 758 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इसके पीछे मंशा इन गांवों से पलायन को थामना भी है। इसी कड़ी में वाइब्रेंट योजना में शामिल राज्य के गांवों के लिए कार्ययोजना तैयार हो चुकी है।
अब वहां आजीविका विकास समेत अन्य गतिविधियां तेजी से संचालित होंगी। इस कड़ी में यहां ऊर्जा व नवीकरणीय ऊर्जा, सड़क संपर्क और संचार की सुविधाएं विकसित किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही यहां पूर्व सैनिकों को भी रोजगार व स्वरोजगार से जोडऩे पर फोकस किया गया है। राज्य में तैनात सेना व आइटीबीपी के कार्मिक स्थानीय निवासियों को प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
ऑल वेदर रोड के जरिये सीमाओं तक पहुंच
प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से चार धाम आल वेदर रोड के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इस परियोजना में कुल 889 किमी लंबी सड़क बनाई जानी है। इसके लिए लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। इस परियोजना के तहत 70 प्रतिशत से अधिक कार्य हो चुका है। पर्वतीय क्षेत्रों की सड़क चौड़ी होने से यहां सीमा तक बड़े वाहनों की पहुंच आसान हुई है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन भी देगी मजबूती
प्रदेश में इस समय ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर भी कार्य चल रहा है। इस रेल परियोजना के पूरा होने से चमोली तक रेल के जरिये भारी वाहन व उपकरण पहुंचाए जा सकेंगे। इससे सीमा तक उपकरण पहुंचाने में आसानी होगी। इसके लिए 16,200 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है।
हवाई संपर्क भी हो रहा है मजबूत
प्रदेश में हवाई संपर्क को भी लगातार मजबूत किया जा रहा है। पिथौरागढ़ के नैनीसैनी में एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गया है। गौचर में भी हवाई जहाज उतारने के लिए एयरपोर्ट बनाने का कार्य चल रहा है। साथ ही सीमांत क्षेत्रों के आसपास लगभग 20 नए हेलीपोर्ट बनाए जा रहे हैं। इससे सेना के जवान व उपकरणों को आसानी से सीमा तक पहुंचाया जा सकेगा।
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल गांव
जिला | गांव |
पिथौरागढ़ | 27 |
चमोली | 14 |
उत्तरकाशी | 10 |
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