Gorakhpur BRD: स्ट्रेचर पर उपचार, हाथ में बोतल लेकर खड़े तीमारदार
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में ड्रिप स्टैंड की कमी से मरीजों के तीमारदार परेशान हैं। पर्याप्त स्टैंड न होने के कारण उन्हें घंटों तक हाथ में बोतल पकड़नी पड़ती है। प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल ने समस्या की जानकारी न होने की बात कही है और जल्द ही व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल काॅलेज के ट्रामा सेंटर में सभी बेडों पर ड्रिप स्टैंड नहीं हैं। बेडों की संख्या 43 है, जिसमें से 10 बेड आइसीयू के हैं। बेड फुल हो जाने पर एक तो स्ट्रेचर पर उपचार किया जा रहा है। रोगियों को जब ड्रिप चढ़ाई जाती है तो पर्याप्त ड्रिप स्टैंड न होने से तीमारदारों को हाथ बोतल लेकर घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है।
ट्रामा सेंटर के मेडिसिन इमरजेंसी में तीन बेड हैं, केवल एक बेड पर ड्रिप स्टैंड है। आर्थो सर्जरी इमरजेंसी में 12 बेड हैं, जिसमें से छह बेड पर स्टैंड है। जनरल सर्जरी के इमरजेंसी में 20 बेड हैं, जिसमें से 18 बेड पर स्टैंड लगा है। जो बेड लगाए गए हैं, उन सभी पर ही ड्रिप स्टैंड नहीं हैं।
रोगियों की संख्या बढ़ने पर बेड मिल भी जाए तो तीमारदारों को बोतल हाथ में लेकर खड़ा रहना पड़ रहा है, तब रोगी को ड्रिप चढ़ पा रही है। जब बेड फुल हो जाते हैं तो स्ट्रेचर पर उपचार होता है, वहां भी यही स्थिति है। इससे तीमारदारों को सांसत झेलनी पड़ रही है।
एक रोगी के साथ एक से अधिक तीमारदार की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि एक व्यक्ति काफी देर तक बोतल हाथ में लेकर खड़ा नहीं रह सकता। बारी-बारी से वे हाथ में बोतल थाम कर किसी तरह अपने रोगी का उपचार करा रहे हैं। जब तक रोगी वार्ड में शिफ्ट नहीं हो जाते, तब तक ज्यादातर रोगियों के तीमारदारों को इसी तरह उपचार कराना पड़ रहा है।
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किसी ने इस बारे में कभी बताया ही नहीं। ड्रिप स्टैंड की कमी नहीं है। ट्रामा सेंटर में इसकी पर्याप्त व्यवस्था करा दी जाएगी। गंभीर रोगी सबसे पहले ट्रामा सेंटर में ही पहुंचते हैं। उनका उपचार व सुविधा हमारी प्राथमिकता है।
-डाॅ. रामकुमार जायसवाल, प्राचार्य बीआरडी मेडिकल काॅलेज
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