ईयरफोन के उपयोग से बढ़ रहा बहरापन व माइग्रेन, कान की नसों को हो रहा नुकसान
Side Effects of Using Earphones ईयरफोन के उपयोग से लोगों में बहरापन की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। ईयरफोन के अधिक उपयोग से कान सीटियां बजने की भी शिकायतें आ रही हैं। चिकित्सकों ने ईयरफोन का कम से कम उपयोग की सलाह दी है।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। ईयरफोन, हेडफोन व ईयर बड्स के उपयोग से सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है अर्थात बहरापन बढ़ रहा है। तेज आवाज सीधे कानों के भीतर जाकर नसों को नुकसान पहुंचा रही है। अनेक रोगियों में टिन्निटस की समस्याएं भी देखने को मिली हैं, इसमें कानों में लगातार या रह-रह कर गूंजने की, सीटियां बजने की, भिनभिनाने या फुफकारने की ध्वनियां सुनाई देती हैं। ये उपकरण सिर्फ कानों को ही प्रभावित नहीं कर रहे, इनका असर मस्तिष्क पर भी हो रहा है। सिर दर्द, माइग्रेन की समस्या तो बढ़ ही रही है। पहले से चक्कर आने से परेशान रोगियों की समस्याएं और ज्यादा बढ़ जा रही हैं। डाक्टरों ने इनका उपयोग न करने या बहुत कम करने की सलाह दी है।
कान में बज रही सीटी
मेडिकल कालेज रोड के रामआसरे को यूट्यूब पर श्रीराम कथा व भजन सुनने की आदत है। वह ज्यादातर समय ईयरफोन लगाकर कथा व भजन सुनते रहते हैं। वह उच्च रक्तचाप के मरीज हैं और उनकी छह माह से चक्कर आने की भी दवा चल रही है। दवा खाने के बाद उनका चक्कर कम होने की बजाय बढ़ता गया। डाक्टर ने ईयरफोन का उपयोग बंद करा दिया। तबसे वह ठीक हैं। पुर्दिलपुर के अवनीश अग्रहरि को कान में सीटियां बजने जैसा महसूस होता है। पिछले तीन माह से उन्हें सुनाई भी कम दे रहा है। डाक्टर ने जब पूछा तो पता चला कि लगभग साल भर से वह ज्यादातर समय बात करने, मोबाइल पर टीबी देखने के दौरान ईयरबड्स का उपयोग करते हैं। डाक्टर ने इस उपकरण के उपयोग पर रोक लगा दी।
पहले से चक्कर आ रहे रोगियों की समस्याएं और जयादा बढ़ गईं
ऐसे बड़ी संख्या में रोगी नाक-कान-गला विशेषज्ञों व न्यूरोलाजिस्टों के पास पहुंच रहे हैं। पूछताछ में पता चला कि उनमें से ज्यादातर ईयरफोन, ईयरबड्स या हेडफोन का उपयोग लंबे समय से कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कान के अंदर एक पर्दा होता है जिसे ईयर ड्रम कहते हैं। इसमें तमाम नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग से जुड़े होते हैं। जब ईयरफोन या हेडफोन लगाकर हम तेज आवाज सुनते हैं तो उसका कंपन दबाव के साथ ईयर ड्रम से टकराता है और उसे क्षति पहुंचा देता है। इसका तत्काल उपचार नहीं किया गया तो यह स्थायी समस्या बन जाती है और तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा देती है।
गुर्दे की पथरी बहुत कड़ी होती है। उसे एक प्रकार के ध्वनि तरंगों से ही तोड़ा जाता है। इसलिए ध्वनि तरंगें तेजी के साथ जब कान में जाती हैं तो नसों को क्षति पहुंचा देती हैं। कान में मैल भी जमा होने लगती है। इसकी वजह से सुनाई कम देना या टिन्निटस की समस्याएं आ रही हैं। - डा. वीरेंद्र गुप्ता, नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ।
कान में सीधे तेज आवाज जाने से नसों को नुकसान पहुंच रहा है जो दिमाग से सीधे जुड़ी होती हैं। इसकी वजह से माइग्रेन, सिर दर्द व चक्कर आने की समस्याएं बढ़ रही हैं। जो लोग पहले से चक्कर आने की समस्या से परेशान हैं, ईयरफोन से उनकी समस्या और बढ़ जा रही है। - डा. पवन कुमार सिंह, न्यूरो फिजिशियन।
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