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    बिजली-पानी की समस्या से जूझ रहे गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक, आक्रोश

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 02:47 PM (IST)

    गोरखपुर विश्वविद्यालय की कालोनी में शिक्षक दो महीने से बिजली-पानी की समस्या से जूझ रहे हैं जिससे उनमें आक्रोश है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं लेकिन समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल रहा है। कुलपति ने समस्या का संज्ञान लेते हुए समाधान का आश्वासन दिया है।

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    इंटरनेट मीडिया पर व्यवस्था को कोस निकाल रहे भड़ास

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कालोनी में रहने वाले शिक्षक बीते दो महीने से बिजली-पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। 10-10 घंटे बिजली न रहने और पानी न मिलने के चलते परेशान हो गए हैं। सबसे ज्यादा समस्या विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी कालोनी हीरापुरी में आ रही है।

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    जिम्मेदारों के संज्ञान न लेने से शिक्षकों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। समस्या को लेकर शिक्षक अपना आक्रोश व भड़ास इंटरनेट मीडिया पर दिखा रहे हैं। व्यवस्था को जमकर कोस रहे हैं। कुछ शिक्षक तो कालोनी छोड़ने की बात भी कहते नजर आ रहे हैं।

    शिक्षकों ने बताया कि हर बार समस्या का कारण विश्वविद्यालय प्रशासन अलग-अलग बता रहा है। कभी जर्जर तारों के चलते फाल्ट आने की बात कह रहा है तो कभी पंप खराब होने का बहाना बना रहा है। कई बार ओवरलोड की समस्या बताकर पल्ला झाड़ रहा तो कभी पेड़ कटने की बात पिंड छुड़ा रहा।

    यह समस्या और भी विकट इसलिए दिखाई दे रही है क्योंकि ज्यादातर जिम्मेदार भी उसी कालोनी में रहते हैं। कार्य अधीक्षक, इंजीनियर से लेकर प्रति कुलपति तक भी इस समस्या को झेल रहे हैं लेकिन कोई स्थायी हल नहीं निकाल रहे हैं।

    यहां तक कि कई घरों में गंदा आने की शिकायत से पल्ला झाड़ ले रहा। बीते एक सप्ताह में इसे लेकर समस्या और बढ़ गई है, इसलिए आक्रोश को लेकर स्थिति और खराब हो गई है। कुछ घरों में 10-10 घंटे तक बिजली नहीं आ रही है।

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    शिक्षकों के जरिये यह समस्या मेरे सामने आई है। इसका संज्ञान लिया जा रहा है। पानी की आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए दो बड़ा पंप लगाया जा रहा है। उसे जेनसेट से जोड़ा जा रहा है। पेड़ काटे जाने की वजह से बिजली बाधित हो रही थी, अब यह समस्या समाप्त हो जाएगी। जर्जर तारों की वजह से भी यह समस्या आ रही है। इसलिए कुछ जर्जर तारों को बदलने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।

    प्रो. पूनम टंडन, कुलपति, दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय