गोरखपुर में बोले सीएम योगी, 'समाज में कोई अयोग्य है तो इसका मतलब शिक्षण संस्थाओं ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई'
गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के स्थापना सप्ताह समारोह में सीएम योगी ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए ताकि कोई अयोग ...और पढ़ें

शिक्षा परिषद के कार्यक्रम में संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 93 वे संस्थापक सप्ताह समारोह की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह वर्ष हम सबके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगल 6 वर्ष के भीतर शिक्षा परिषद शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आत्ममंथन केवल स्वयं के विकास के लिए नहीं एक छात्र के सर्वांगीण विकास और राष्ट्र व समाज के लिए हमने अपनी भूमिका कितनी निभाई, इसका आत्ममंथन करना है। हमारे महापुरुष हों या देश की रक्षा के लिये जान देने वाले सैनिक हों। सभी हमे प्रेरणा देते हैं।
सीएम ने कहा, जैसे हमारी कोई न कोई पहचान होती है वैसे ही राष्ट्र की भी पहचान होती है। वहां किस संस्कृति, परंपरा व महापुरुषों से होती है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद हो या देश के अलग अलग क्षेत्र के महापुरुषों द्वारा स्थापित संस्थाए हों वो मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में इस संस्था की स्थापना की थी। आज 50 से अधिक संस्थाएं अलग अलग क्षेत्र में शिक्षण प्रशिक्षण के क्षेत्र में राष्ट्र को समर्पित नागरिक देने के योगदान दे रही हैं। नएपन की श्रृंखला का हिस्सा है दो विशिष्ट पत्रिका का विमोचन हुआ। शोध पत्रिका दिग्विजयम इसी तरह मिशन मंझरिया गांवों के प्रति हमारी जिम्मेदारी बताती है।
कहा, हम किसी को अयोग्य कहते है तो उसकी मनुष्यता पर सवाल खड़ा करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अयोग्य हैं तो इसका मतलब कोइ योजक नहीं है। यदि कोई अयोग्य हो तो इसका मतलब शिक्षण संस्थाओं ने ठीक से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। 2047 में ऐसा भारत जहां कोई। भेदभाव न हो। कोई अभाव न हो। किसी आपदा के शिकार कोई व्यक्ति नहीं हो। इसके लिए प्रधानमंत्री में कहा था कि हर व्यक्ति पंच प्रण पर ध्यान दें। यह सबपर समान रूप से लागू होते हैं। पहला प्रण विरासत पर गर्व करना होगा।
उन्होंने आगे कहा कि दूसरा प्रण गुलामी के अंशों को पूरी तरह समाप्त करना। आज से 2 हजार साल पहले भारत की अर्थव्यवस्था 46 प्रतिशत हिस्सा था। 400 साल पहले 26 प्रतिशत था। जब देश आजाद हुआ तो यह डेढ़ प्रतिशत रह गया है। कहते हैं कि अंग्रेज व विदेश आक्रांता जितना लूटकर ले गए वह 32 से 35 ट्रिलियन डॉलर के बराबर थी। आज 4 ट्रिलियन डॉलर है। भारत को खोखला बनाकर रख दिया। लेकिन पिछले 11 सालों में भारत ने एक नए भारत की पहचान बनाई। आज भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है। हम यह माने कि जो दुनिया के हो रहा है वो अच्छा है। भारत मे जो है वह कमतर है। यह गुलामी की मानसिकता है। तीसरा प्रण अपने सैनिक, जवानों के प्रति सम्मान का भाव रखना है। यदि बगल की आग बुझाने नहीं गए तो वह एक दिन आपतक भी पहुंच सकती है। हर व्यक्ति का संकल्प होना चाहिए सामाजिक भेदभाव की खाई को दूर करना चौथा प्रण है।
यह भी पढ़ें- सीएम योगी आदित्यनाथ ने दी महंत रामदास को श्रद्धांजलि, बोले- मानव जीवन के कल्याण का धर्म है सनातन
कहा कि पांचवां प्रण नागरिक कर्तव्यों का निर्वहन करना है। अगर कानून दूसरे के लिए है तो मेरे लिए भी है। यह भाव होना चाहिए। एक शिक्षक का नागरिक कर्तव्य है कि अपने छात्र का सर्वांगीण विकास करे। एक व्यापारी का दायित्व है कि अपने व्यवसाय को ईमानदारी से आगे बढ़ाए। एक जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है कि जनता की सेवा करे। पंच प्रण का पालन करेंगे तो देश विकसित होगा। यह भारत सभी 140 करोड़ देशवासियों के होगा। इसी भाव को लेकर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना हुई।
मुख्य अतिथि व आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ले. जनरल योगेंद्र डिमरी ने कहा कि सभी प्रतिभागी विजेता होते हैं। भाग लेना जरूरी और मायने रखता है। जिन खेलों में आप प्रतिभाग करेंगे वो आपके जीवन मे खुशी लाएगी। जीतना या हारना ज्यादे दिन तक नहीं रहेगी लेकिन प्रतियोगिता में भाग लेने की खुशी हमेशा रहेगी। अपने आप पर, अपनी प्रतिभा पर और परमात्मा पर विश्वास रखिये। उत्कृष्टता का मार्ग कठिनाई से होकर गुजरता है।
कहा कि असफलता से निराश नहीं होना। असफलता आपको सिखाएगी। आपके सामने आने वाली हर चुनौती आपको मजबूत व बुद्धिमान बनायेगी। अपने जीवन ।के अनुशासन, साहस व धैर्य को धारण करिये। एक अच्छा सैन्य अधिकारी बनने के लिए यह जरूरी है। जो विद्यार्थी जीवन मे अनुशासन को अपनाता है वो किसी भी समस्या का सामना कर सकता है।
आगे कहा कि ईमानदारी से पढ़ाई, दूसरों की मदद भी देशभक्ति है। आज की दुनिया बहुत तेज गति से बदल रही है आगे बढ़ रही है। तकनीक हमारा जीवन आसान बना रही है लेकिन हमें भटका भी रही है। ऐसे में तकनीकी समझ व मजबूत चरित्र हमें मजबूत बनाएगी। इस अवसर पर परिषद के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों ने शोभा यात्रा भी निकली।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।