एक दिन में चेक क्लीयर की नई सुविधा बनी परेशानी का सबब, ग्राहकों को हो रही परेशानी
चेक क्लीयरेंस की नई सुविधा ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। पहले चेक आसानी से क्लीयर हो जाते थे, लेकिन अब नई प्रणाली के कारण समय लग रहा है। बैंक कर्मचारी भी इस नई प्रणाली को समझने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, जिससे ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की 4 अक्टूबर से एक दिन में चेक क्लीयर करने की नई सुविधा लोगों और व्यापारियों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। 12-14 दिन बाद भी क्लीयरेंस नहीं होने की वजह से गोरखपुर के विभिन्न बैंकों में 4000 से भी ज्यादा चेक फंसे हुए हैं। इसके कारण करोड़ों रुपये के भुगतान अटके हुए हैं, जिससे व्यापारियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
व्यापारी अपने अटके भुगतानों के कारण आर्थिक दबाव झेलने को मजबूर हैं। व्यापारियों से लेकर आम आदमी तक को बैंक के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं लेकिन बैंक की ओर से भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआइ) ने चार अक्टूबर से 'निरंतर समाशोधन और निपटान' नामक एक नई चेक क्लियरिंग प्रणाली शुरू की है, जिसका उद्देश्य चेक क्लियर होने की प्रक्रिया को तेज करना है। इस नई प्रणाली से चेक कुछ ही घंटों में क्लियर होने चाहिए, जबकि पुरानी प्रक्रिया में एक से दो कार्यदिवस लगते थे। आरबीआई की यह नई व्यवस्था फिलहाल लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
शहर के जाने-माने दवा व्यवसायी अमित सिंघानिया के बैंक ऑफ बड़ौदा में खाते हैं। उनका कहना है कि 30 सितंबर से उनके चेक क्लीयरेंस में फंसे हुए हैं। उनका काफी पैसा फंसा हुआ है और व्यापारिक लेनदेन प्रभावित हो रहा है। इसी तरह, एक अन्य व्यवसायी हर्ष बांका के भी कई लाख रुपये के चेक क्लीयर नहीं हो पाए हैं।
4 अक्टूबर के बाद से उनके कई चेक अटके हुए हैं, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बांका ने बताया कि बैंकों के पास इस समस्या का कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। कर्मचारी इसे 'सिस्टम का मामला' बताकर टाल रहे हैं। नगर निगम के एक अधिकारी का भी तीन बार में भी क्लियर नहीं हो पाया है। बताया कि बैंक की ओर से पिछले कुछ दिनों से लगातार आश्वासन दिया जा रहा है।
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त्योहारी सीजन में बढ़ी मुश्किलें
विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारी सीजन से ठीक पहले इस नई प्रणाली को लागू करने से मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जब लेनदेन की संख्या काफी अधिक होती है। व्यापारियों का कहना है कि चेक का भुगतान नहीं होने की वजह से व्यापार प्रभावित हो रहा है। लाखों का माल भुगतान नहीं होने की वजह से फंसा हुआ है।
एक चेक का दो बार हो जा रहा है भुगतान
नई सिस्टम के वजह से एक चक का दो बार भुगतान हो जा रहा है। अगर कोई खाताधारक जागरूक है तो वह बैंक में आकर इसकी जानकारी दे देता है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सिस्टम दुरुस्त होने के बाद बैंकों को ऐसे मामलों में काफी परेशानी झेलनी होगी। लीड बैंक मैनेजर मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि इस तरह के कई मामले बैकों में आ रहे हैं। दोगुना भुगतान पाकर कोई पैसा नहीं लौटाता है तो बाद में बैंक द्वारा जांच के बाद व्यापारियों से वसूला जाएगा।
नई तकनीक की वजह से अभी चेक क्लियर होने में थोड़ी दिक्कत आ रही है। जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी। लोगों को इस नई तकनीक की वजह से काफी फायदा मिलेगा।
सतीश सोनकर, उप महाप्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक
60 प्रतिशत तक चेक का क्लीयरेंस नहीं मिल पा रहा है। नई व्यवस्था के बाद 4000 से कुछ ज्यादा चेक का भुगतान नहीं हो पाया है। जल्द ही यह खामी दूर हो जाने की उम्मीद है।
-मनोज श्रीवास्तव, लीड बैंक मैनेजर
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