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    CBSE बोर्ड परीक्षा के पैटर्न में हो सकता है बदलाव, रटंत विद्या नहीं अब समझ व सोच से तय होगी छात्रों की सफलता

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 02:07 PM (IST)

    नए साल में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के स्वरूप में बदलाव हो सकता है। अब रटने की विद्या से नहीं, बल्कि समझ और सोच से छात्रों की सफलता तय होगी। अब तक अंक के ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से वर्ष 2026 से लागू किए जाने वाले नए बोर्ड परीक्षा स्वरूप ने माध्यमिक शिक्षा की दिशा में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं।

    अब तक अंक केंद्रित और रटंत आधारित रही परीक्षा प्रणाली की जगह अब समझ, विश्लेषण और व्यवहारिक ज्ञान को प्राथमिकता दी जाएगी। यह परिवर्तन विद्यार्थियों और विद्यालयों के लिए जहां एक ओर चुनौती है, वहीं दूसरी ओर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर भी माना जा रहा है।

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    नए परीक्षा स्वरूप के तहत कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं में अवधारणा आधारित, स्थिति परक और विश्लेषणात्मक प्रश्नों का अनुपात उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगा। प्रश्नपत्रों में लगभग 50 प्रतिशत प्रश्न ऐसे होंगे, जिनमें विद्यार्थियों को किसी परिस्थिति को समझकर तार्किक समाधान प्रस्तुत करना होगा।

    विज्ञान, सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में दैनिक जीवन से जुड़े उदाहरण, आंकड़ों की व्याख्या, ग्राफ आधारित प्रश्न और प्रसंग परक समस्याएं पूछी जाएंगी। इसके साथ ही आंतरिक मूल्यांकन की भूमिका भी पहले से अधिक प्रभावी होगी, जिससे साल भर की पढ़ाई का महत्व बढ़ेगा।

    जनपद में अभी भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी पारंपरिक पढ़ाई पद्धति, गाइड पुस्तकों और संभावित प्रश्नों के सहारे परीक्षा की तैयारी करते हैं। ऐसे में यह नया परीक्षा स्वरूप सीधे तौर पर उनकी अध्ययन शैली को चुनौती देता है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विद्यार्थी समय रहते विषय की मूल अवधारणाओं पर ध्यान नहीं देंगे, तो शुरुआती वर्षों में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

    विद्यालय प्रबंधन के सामने भी नई जिम्मेदारियां खड़ी हो गई हैं। अब केवल पाठ्यक्रम पूरा कराना ही लक्ष्य नहीं रहेगा, बल्कि कक्षा शिक्षण को गतिविधि आधारित बनाना, समूह चर्चा, परियोजना कार्य और प्रेजेंटेशन को बढ़ावा देना होगा।

    एकेडमिक ग्लोबल स्कूल के चेयरमैन इं. संजीव कुमार का कहना है कि यह बदलाव शिक्षकों के लिए भी एक परीक्षा है। इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को नए मूल्यांकन स्वरूप के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि पढ़ाई को अधिक व्यवहारिक और रोचक बनाया जा सके।

    प्रधानाचार्य व सीबीएसई की सिटी कोआर्डिनेटर डॉ. सुनीत कोहली का कहना है कि अब विद्यार्थियों को प्रश्न याद कराने के बजाय सोचने और तर्क करने की आदत डालनी होगी। इसके लिए कक्षा में संवाद, उदाहरण आधारित शिक्षण और साप्ताहिक अभ्यास कार्यों को बढ़ाया जा रहा है।

    कई विद्यालयों ने अपनी आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली में भी बदलाव शुरू कर दिया है। करिअर काउंसलर पूर्णेन्दु शुक्ला ने बताया कि यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को कौशल आधारित और भविष्य के लिए तैयार बनाना है।

    अभिभावकों की भूमिका भी इसमें अहम मानी जा रही है। ऐसे में अभिभावक बच्चों पर अतिरिक्त दबाव डालने के बजाय घर में पढ़ाई को लेकर चर्चा, संवाद और समझ आधारित माहौल बनाएं।

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