ट्रैक क्षमता बढ़ाएगी बुढ़वल-जरवल रोड-गोंडा कचहरी चौथी लाइन, 1323 KM लाइन का कार्य हो चुका है पूरा
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में बुढ़वल-जरवल रोड-गोंडा कचहरी के बीच चौथी लाइन बनने से रेल यातायात सुगम होगा। 1323 किमी लाइन का कार्य पूरा हो चुका है, ...और पढ़ें

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश में एक अप्रैल 2025 तक कुल 49 रेल परियोजनाएं स्वीकृत हैं। इन परियोजनाओं की कुल लंबाई 3,807 किलोमीटर और अनुमानित लागत 62,360 करोड़ रुपये है। रेल संपर्क को और सुदृढ़ करने के लिए कई अन्य परियोजनाओं को भी मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें बुढ़वल–जरवल रोड–गोंडा कचहरी चौथी लाइन (56 किमी), बुढ़वल–जरवल रोड–गोंडा तीसरी लाइन (62 किमी), बाराबंकी–बुढ़वल तीसरी लाइन (27 किमी) और बहराइच–खलीलाबाद 240 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन प्रमुख हैं। इनमें से 1,323 किलोमीटर रेल लाइन का कार्य पूरा होकर परिचालन शुरू हो चुका है। अब तक 30,611 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को लोक सभा में बहराइच-जरवल रोड नई रेललाइन के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बहराइच–जरवल रोड के बीच प्रस्तावित नई रेल लाइन को लेकर एक बड़ी प्रगति सामने आई है। 70 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी तैयार कर ली गई है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में बहराइच और जरवल रोड गोंडा जंक्शन के माध्यम से रेल नेटवर्क से जुड़े हुए हैं, लेकिन नई सीधी रेल लाइन के निर्माण से इस क्षेत्र को तेज, सुगम और बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इससे यात्रा समय घटेगा और क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक व औद्योगिक विकास को भी नई गति मिलेगी।
रेल मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में रेल विकास का स्वर्णिम दौर चल रहा है। उत्तर प्रदेश में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत आधार मिल रहा है। यात्रियों को तेज, सुरक्षित व सुविधाजनक यात्रा की सुविधा उपलब्ध हो रही है।
बीते वर्षों में उत्तर प्रदेश में रेलवे के बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2009 से 2014 के बीच रेल परियोजनाओं के लिए औसतन 1,109 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का आवंटन किया जाता था, वहीं वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर लगभग 19,858 करोड़ रुपये हो गया है, जो लगभग 18 गुना वृद्धि को दर्शाता है।
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2009-14 की अवधि में प्रदेश में 996 किलोमीटर नई रेल लाइनों की कमीशनिंग हुई थी, जबकि वर्ष 2014-25 के दौरान यह आकड़ा बढ़कर 5,272 किलोमीटर तक पहुंच गया है। इस दौरान प्रति वर्ष औसतन 479 किलोमीटर नई रेल लाइन शुरू की गई, जो पहले की तुलना में दोगुणा से भी अधिक है।
रेल मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी रेल परियोजना की मंजूरी और उसके पूर्ण होने में भूमि अधिग्रहण, वन स्वीकृति, विभिन्न कानूनी अनुमतियां, क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, कानून व्यवस्था और उपलब्ध निधियों जैसे कई कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन कारणों से परियोजनाओं की लागत और समय-सीमा प्रभावित होती है।

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