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    श्रीप्रकाश शुक्ला (Gangster Shriprakash Shukla)

    By Riya.PandeyEdited By: Riya.Pandey
    Updated: Mon, 24 Jul 2023 02:10 PM (IST)

    Gangster Shriprakash Shukla Biography श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध की दुनिया का वह नाम है जिसका 90 के दशक में दहशत फैला हुआ था जिसके नाम से यूपी व बिहार के ...और पढ़ें

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    90 के दशक का कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला (Gangster Shriprakash Shukla Biography)

    जागरण ऑनलाइन डेस्क : Gangster Shriprakash Shukla: श्रीप्रकाश शुक्ला, अपराध की दुनिया का वह नाम है जिसका 90 के दशक में दहशत फैला हुआ था, जिसके नाम से यूपी व बिहार के लोग थर-थर कांपते थे। शुक्ला की कहानी को फिल्मी पर्दे पर भी उतारा गया लेकिन कहा जाता है अभी तक उसकी कहानी दुनिया को अधूरी ही पता है।

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    कहां हुआ था श्रीप्रकाश का जन्म

    वैसे तो आपने उत्तर प्रदेश के कई माफिया, दबंगों व डकैतों के किस्से सुने होंगे या फिर फिल्मी पर्दे पर उन पर आधारित कहानी देखी होगी, उन्हीं खतरनाक माफियाओं में से एक है श्रीप्रकाश शुक्ला। श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म वर्ष 1973 में गोरखपुर के मामखोर गांव में हुआ था। शुक्ला के पिता एक स्कूल में शिक्षक थे। वह अपने गांव का मशहूर पहलवान हुआ करता था।

    90 के दशक में चलता था सिक्का

    यूपी का सबसे खतरनाक व बेरहम गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला (Shriprakash Shukla), 90 के दशक का वह अपराधी था जो उसके खौफ और काम के बीच आने वाले किसी भी शख्स को मार डालने में जरा भी देरी नहीं करता था। पुलिस के लिए चुनौती बने इस गैंगस्टर ने 25 साल की उम्र में ही बड़े-बड़े उद्योगपतियों, अपराधियों व पुलिस वालों के अंदर दहशत का माहौल पैदा कर दिया था। उसके कारनामों से अखबारों के पन्ने रोज भरे रहते थे। व्यापारियों से उगाही, हत्या, अपहरण और डकैती ही उसका पेशा था।

    कब व कैसे रखा अपराध की दुनिया में कदम?

    गांव के जानकार बताते हैं कि साल 1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला की बहन के साथ छेड़खानी की घटना हुई थी। छेड़खानी करने वाले शख्स की श्रीप्रकाश ने बीच बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी और इस तरह से महज 20 साल की उम्र में अपने पहले अपराध के साथ शुक्ला की क्राइम की दुनिया में एंट्री हुई और इसके बाद वह बैंकॉक भाग गया।

    भारत लौटकर बिहार-यूपी में मचाया आतंक

    बैंकॉक से लौटने के बाद श्रीप्रकाश बिहार के मोकामा के चर्चित गुंडे और कभी निर्दलीय विधायक चुने जाने वाले सूरजभान सिंह की गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद 22 साल की उम्र में रेलवे के ठेके में माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला ने जब एंट्री मारी थी और उसे मोकामा, बिहार के माफिया सूरजभान दादा की शह मिली। श्रीप्रकाश और माफिया सूरजभान दादा की जोड़ी ने बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही व बाहुबली हरिशंकर तिवारी के साम्राज्य को बहुत चोट पहुंचाई। वह राजनेताओं और व्यापारियों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया। उधर, पुलिस पर भी शुक्ला पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ने लगा। हर रोज अखबारों में माफिया श्रीप्रकाश का नाम छपने लगा। बिहार व यूपी दोनों ही राज्यों में छोटे बदमाशों से हत्या, रंगदारी, कमीशनखोरी जैसे काम कराकर माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी के साथ-साथ बिहार का भी सबसे खतरनाक व बेरहम अपराधी बन गया।

    शुक्ला के नाम से डरते थे गुंडे

    साल 1997 में बाहुबली राजनेता वीरेंद्र शाही को गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला ने दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया था। यही नहीं उसने 13 जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी हॉस्पिटल के बाहर बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को उनके सुरक्षाकर्मियों के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना में एके-47 राइफल का इस्तेमाल कर सनसनी फैला दी थी। माफिया शुक्ला के आतंक से बड़े-बड़े गुंडे अंडरग्राउंड हो गए थे।

    तत्कालीन सीएम को मारने की ली सुपारी फिर खात्मे के लिए हुआ एसटीएफ का गठन

    बिहार के मंत्री की हत्या के बाद गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली थी। ये खबर यूपी पुलिस के लिए बम गिरने जैसी थी। जैसे ही इसकी भनक तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को लगी तो उन्होंने माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के मंसूबों व अस्तित्व को खत्म करने के लिए एसटीएफ का गठन करके निर्देश दिया कि वह दुर्दांत अपराधियों से प्रदेश को मुक्त कराए। 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजय राज शर्मा ने पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को चुनकर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाया। इस फोर्स का पहला टास्क श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ना था।

    ऐसे हुआ गैंगस्टर श्रीप्रकाश का खात्मा

    साल 1998 में 23 सितंबर के दिन एसटीएफ के प्रभारी अरुण कुमार को जानकारी मिली थी कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद की ओर आ रहा है फिर क्या जैसे ही उसकी कार वसुंधरा एन्क्लेव को पार करके आगे बढ़ी यूपी एसटीएफ की टीम ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। उस वक्त माफिया को जरा भी शक नहीं हुआ था कि उसके पीछे एसटीएफ है। जैसे ही उसकी कार सुनसान इलाके में पहुंची एसटीएफ की टीम ने अचानक उसकी कार को ओवरटेक कर उसका रास्ता रोक दिया। पुलिस ने उसे सरेंडर करने को कहा लेकिन उसने नहीं माना और फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।

    गर्लफ्रेंड व एक ही सिम का इस्तेमाल करना बनी मौत की वजह  

    पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, श्रीप्रकाश शुक्ला की एक गर्लफ्रेंड भी थी जो दिल्ली में रहती थी। श्रीप्रकाश शुक्ला उससे बात करता था। एसटीएफ को इस बात की जानकारी हो गई थी और पुलिस ने उसका व उसकी गर्लफ्रेंड का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाया था। इस बात की जानकारी श्रीप्रकाश को मिल गई थी, लेकिन फिर भी इश्क में पड़ा गैंगस्टर खतरे को भूलकर अपनी प्रेमिका से बात करने के चक्कर में पीसीओ पर घंटों गुजारता था। यूपी पुलिस ने पहली बार मोबाइल सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड श्रीप्रकाश शुक्ला के सिम कार्ड की ही निकाली। लंबे वक्त से श्रीप्रकाश एक ही सिम का इस्तेमाल करता रहा। उधर, एसटीएफ ने फोन से जानकारी निकालकर एक मास्टर प्लान तैयार कर लिया था। श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे ही अनुज सिंह, सुधीर त्रिपाठी और भरत नेपाली के साथ कार से गाजियाबाद पहुंचा वहां मौजूद एसटीएफ ने मौका लगते ही उसे मौत के घाट उतार दिया। इसी के साथ ही एक लंबे खूनी खेल के आतंक का अंत हो गया।

    फिल्मी पर्दे पर भी दिखाई गई श्रीप्रकाश शुक्ला के आतंक की कहानी

    बेरहम और कुख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला ने सिर्फ 25 साल की उम्र में क्राइम की दुनिया में बादशाहत हासिल कर ली। उसने करीब 20 से अधिक मर्डर किए थे, सीएम की सुपारी ली और उसकी वजह से ही एसटीएफ का गठन हुआ। 90 के दशक का सबसे चर्चित बदमाश होने की वजह से उसके जीवन की कहानी को फिल्मी पर्दे पर भी उतारा जा चुका है। Zee5 पर आई 'सहर' फिल्म की कहानी श्रीप्रकाश शुक्ला की जिंदगी से प्रेरित है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक छोटा-मोटा क्रिमिनल नेताओं के संरक्षण में बाहुबली बन जाता है। भले ही श्रीप्रकाश शुक्ला पर कहानी बन गई हो लेकिन कहा यह जाता है कि कोई भी उसकी कहानी को पूरा नहीं कर पाया। हर बार श्रीप्रकाश शुक्ला की कहानी कई खुलासों से अछूती रह जाती है।

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    श्रीप्रकाश शुक्ला उत्तर प्रदेश में 90 के दशक का कुख्यात गैंगस्टर था।

    साल 1993 में श्रीप्रकाश शुक्ला की बहन के साथ छेड़खानी की घटना हुई थी। छेड़खानी करने वाले शख्स की श्रीप्रकाश ने बीच बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी और इस तरह से महज 20 साल की उम्र में अपने पहले अपराध के साथ शुक्ला की क्राइम की दुनिया में एंट्री हुई।

    श्रीप्रकाश शुक्ला के मौत के पीछे की मुख्य वजह उसकी प्रेमिका मानी जाती है। वह अपनी प्रेमिका से अक्सर एक ही नंबर से बात करता था। इसकी जानकारी लगने पर एसटीएफ ने जाल बिछा एनकाउंटर कर दिया।