आयुष विश्वविद्यालय में जल्द शुरू होगा पंचकर्म कुटिया में उपचार, देना होगा यह मामूली शुल्क
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में जल्द ही काटेज में उपचार की सुविधा शुरू होगी। यहाँ आधुनिक सुविधाओं के साथ प्राकृतिक वातावरण में स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। प्रतिदिन का शुल्क एक हजार रुपये निर्धारित है। कुटिया में एयर कंडीशनर और औषधीय पौधों का बगीचा होगा। आईपीडी के बाद अब काटेज में वीआईपी सुविधा मिलेगी, जिसका उद्देश्य योग और प्राकृतिक चिकित्सा से संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ देना है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने तय किया प्रतिदिन एक हजार रुपये का शुल्क
संवाद सूत्र, भटहट। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में रोगियों को बेहतर उपचार सुविधा देने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया जा रहा है। हाल ही में प्रारंभ हुई आइपीडी (इनडोर पेशेंट विभाग) सेवा के बाद अब विश्वविद्यालय परिसर में काटेज में उपचार की सुविधा भी जल्द शुरू होने जा रही है।
इससे रोगियों को न केवल आधुनिक सुविधाओं से युक्त उपचार मिलेगा, बल्कि प्राकृतिक वातावरण में स्वास्थ्य लाभ लेने का अवसर भी प्राप्त होगा। प्रतिदिन भर्ती के लिए आयुष विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक हजार रुपये का शुल्क तय किया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, काटेज में सिंगल और डबल दोनों तरह की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। प्रत्येक कुटिया (काटेज) में एयर कंडीशनर की व्यवस्था की गई है। भर्ती रोगियों को घर जैसा आराम देने की व्यवस्था है। इसके साथ ही कुटिया के चारों ओर औषधीय पौधों का बगीचा विकसित किया गया है, जो प्राकृतिक माहौल में उपचार की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डा. के रामचंद्र रेड्डी ने बताया कि आइपीडी की सुविधा प्रारंभ हो जाने के बाद अब काटेज से रोगियों को विभिन्न श्रेणी की सुविधाएं मिल सकेंगी। आइपीडी में सामान्य रोगियों को भर्ती किया जा रहा है, जबकि कुटिया में विशेष (वीआइपी) सुविधा प्रदान की जाएगी।
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कुलपति ने कहा कि काटेज में भर्ती होने वाले रोगियों के लिए न्यूनतम शुल्क एक हजार रुपये है। सुविधाओं के स्तर के अनुसार शुल्क में समय-समय पर संशोधन भी किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य रोगियों को औषधीय उपचार के साथ योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा के समन्वय से संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ देना है। काटेज सुविधा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आयुष चिकित्सा की परंपरा को आधुनिक रूप में सशक्त बनाया जा सकेगा।
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