Durga Puja 2025: पंडालों में महिषासुर मर्दन होगा जीवंत, शिव करेंगे तांडव
गोरखपुर में नवरात्र के लिए पंडाल सज रहे हैं जिनमें इस बार स्वचालित मूर्तियां आकर्षण का केंद्र होंगी। लखनऊ आर्ट कॉलेज और गोरखपुर विश्वविद्यालय के कलाकार फाइबर से बनी इन मूर्तियों को बना रहे हैं जिनकी मांग गोरखपुर वाराणसी बिहार और नेपाल तक है। इन मूर्तियों में देवी-देवता जीवंत प्रतीत होंगे जैसे मां दुर्गा का आशीर्वाद देना और शिव का तांडव।

अरुण मुन्ना, जागरण, गोरखपुर। नवरात्र पर शहर समेत आसपास के क्षेत्रों के पंडाल इस बार और भी भव्य होंगे। रंग-बिरंगी रोशनी और आकर्षक सजावट के बीच श्रद्धालुओं को देवी-देवताओं का जीवंत रूप देखने को मिलेगा। कहीं पंडालों में महिषासुर मर्दन का दृश्य साकार होगा तो कहीं भगवान शिव का तांडव वातावरण को भक्तिमय और रोमांचक बनाएगा। इनसे पंडालों में भक्ति और नवाचार का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।
लखनऊ के आर्ट कालेज से फाइन आर्ट स्नातक सुशील कुमार और गोरखपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक भाष्कर विश्वकर्मा अपनी टीम संग लगातार प्रतिमाओं के निर्माण में लगे हुए हैं। उनके साथ अनीसराज, धर्मराज, ओम प्रकाश यादव और राहुल राज जैसे युवा शिल्पकार काम कर रहे हैं। वहीं, अमन चौधरी, रोशन, राज चौधरी और संजय निषाद निश्शुल्क प्रशिक्षण लेकर सहयोग कर रहे हैं।
सुशील कुमार बताते हैं कि अब फाइबर से बनी स्वचालित और इको-फ्रेंडली मूर्तियों की मांग तेजी से बढ़ी है। गोरखपुर, वाराणसी, बिहार, नेपाल और सिद्धार्थनगर सहित कुल 11 स्थानों पर इस बार उनकी टीम के हाथों से बनी मूर्तियां स्थापित की जाएंगी।
भाष्कर विश्वकर्मा ने बताया कि इन मूर्तियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो देवी-देवता सजीव हो उठे हों। मां दुर्गा की आंखें जहां झपकेंगी, वहीं वह हाथ उठाकर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करेंगी। त्रिशुल से राक्षसों का वध भी दिखेगा। साउंड से शेर की गगनभेदी दहाड़ सुनाई देगी। तो राक्षसों की चीख भक्तों को भयभीत करेगी और शिव के हाथ-पैरों की गतिशीलता तांडव को जीवंत बना देगी।
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मूर्तिकारों के अनुसार इन मूर्तियों को गतिशील बनाने के लिए साइकिल में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। डिजाइन पूरी तरह स्वयं तैयार की जाती है।
इमामबाड़ा दक्षिणी फाटक के पास बनने वाले पंडाल में भगवान शिव का तांडव विशेष आकर्षण रहेगा। शिव की गतिशील मूर्ति भक्तों को रोमांचित कर देगी। धर्मशाला बाजार में मां दुर्गा का कल्कि अवतार स्थिर प्रतिमा में स्थापित किया जाएगा। इस स्वरूप में माता पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए महिषासुर का वध करेंगी।
मूर्तिकारों का कहना है कि इन मूर्तियों को विसर्जित नहीं किया जाता। पूजा समितियां प्रतिमाओं को वापिस लौटा देती हैं और अगले वर्ष उन्हें नए स्वरूप और रंग-रूप में पुनः तैयार किया जाता है। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है बल्कि हर साल नई भव्यता का अनुभव भी मिलता है। रोशनी, संगीत, सजीव भाव-भंगिमा और थ्री डी प्रभाव से सजे पंडाल श्रद्धालुओं अलग अनुभव कराते हैं।
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