यूपी के इस शहर में कृत्रिम फूलों से सजा बाजार, अब घर सजाने की बारी
त्योहारों के आगमन के साथ गोरखपुर के बाजारों में कृत्रिम फूलों और पौधों की मांग बढ़ गई है। लोग अपने घरों और मंदिरों को सजाने के लिए प्राकृतिक फूलों के बदले कृत्रिम विकल्पों को पसंद कर रहे हैं। शाहमारूफ में इन सजावटी सामानों की कई दुकानें हैं जहाँ विभिन्न प्रकार के फूल और पौधे उपलब्ध हैं। व्यापारी दिल्ली और मुंबई से स्टॉक मंगवा रहे हैं।

अरुण मुन्ना, जागरण, गोरखपुर। त्योहारों के नजदीक आते ही बाजारों की रौनक बढ़ने लगी है। सजावट के सामान की खरीदारी में कृत्रिम फूलों और पौधों की मांग है। लोग घरों, मंदिरों और दुकानों को सजाने के लिए प्राकृतिक फूलों की तरह से कृत्रिम सजावट को भी पसंद कर रहे हैं।
लंबे समय तक टिकाऊ और कई बार इस्तेमाल किए जा सकने वाले इन फूलों-पौधों की थोक बिक्री पूरे मंडल सहित कई जिलों में होती है। विक्रेताओं का कहना है कि वर्षभर दुकान लगती है, लेकिन त्योहार में महत्व बढ़ जाता है। अब घर सजाने की बारी है।
शाहमारूफ में कृत्रिम सजावटी फूलों, पौधों और पाट की आधा दर्जन से अधिक दुकानें हैं। असुरन, मोहद्दीपुर, गोरखनाथ सहित अन्य जगहों पर बिक्री होती है। थोक बाजार में महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया के अलावा सिद्धार्थनगर सहित अन्य स्थानों के फुटकर विक्रेता खरीदारी करने पहुंचते हैं। दुकानों पर गुलाब, गेंदा, कमल, आर्किड, कनेर जैसे फूलों के कृत्रिम रूप झालर, माला, बुके और पाट में तैयार किए गए सजे हैं।
वहीं सजावटी पौधों में मनी प्लांट, सिंगोनियम, बांस, पाम और रबर प्लांट लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। दुकानों और शो-रूम की सजावट के लिए बड़े गमले और पौधों की मांग भी है। बुधवार को नौगढ़ से खरीदारी करने पहुंचे फैज ने बताया कि जल्द ही इनकी बिक्री तेज हो जाएगी। इसलिए अभी से स्टाक जुटाया जा रहा है।
विक्रेता राहुल शर्मा ने बताया कि कृत्रिम फूलों और पौधों की अलग-अलग किस्में उपलब्ध हैं। मांग के अनुसार दिल्ली और मुंबई से स्टाक मंगाया गया है। दुकान के कर्मचारी हबीब ने बताया कि अभी से ही अच्छी बिक्री शुरू हो गई है।
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विक्रेता संजय कुमार ने बताया कि झालरें 80 से 150 रुपये, मालाएं 50 से 100 रुपये, बुके 200 से 500 रुपये तक बिक रहे हैं। छोटे टेबल पाट की कीमत 50 रुपये से प्रारंभ हो रही है। बड़े सजावटी पौधे 500 से 1200 रुपये तक उपलब्ध हैं।
फूलों का गुलदस्ता लेने पहुंचे ऋषभ ने बताया कि प्राकृतिक फूल दो-तीन दिन में मुरझा जाते हैं, जबकि कृत्रिम फूल लंबे समय तक सजे रहते हैं। दुर्गा पंडाल की सजावट में इनका प्रयोग किया जाएगा। दुकानदारों का कहना है कि दीपावली पर लोग घरों की सजावट करते हैं। कृत्रिम फूल और पौधे आधुनिक और टिकाऊ सजावट का विकल्प बने हैं। इनके प्रयोग से प्रतिदिन फूल बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
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