Ambuj Murder Case: 48 घंटे की भागदौड़ और जांच ने तोड़ी झूठ की दीवार, यह शख्स बना अहम कड़ी
अंबुज हत्याकांड को सुलझाने में पुलिस को 48 घंटे लगे। जांच में एक शख्स के झूठ का पर्दाफाश हुआ, जो इस मामले में अहम कड़ी साबित हुआ। पुलिस ने कॉल रिकॉर्ड ...और पढ़ें

मौके पर जुटी भीड़। इनसेट में मृतक। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। लापता युवक की हत्या का रहस्य दोस्तों के लगातार इनकार और विरोधाभासी बयानों के कारण उलझ गया था।पुलिस की चार टीमों ने 48 घंटे की सघन जांच, सर्विलांस की सटीक पड़ताल, सीसी कैमरे फुटेज के गहन विश्लेषण और जमीनी स्तर पर की गई भागदौड़ से इस जटिल मामले को सुलझा दिया। मोबाइल लोकेशन ने पहला संकेत दिया, फुटेज ने संदेह को मजबूत किया। घटनास्थल पर मौजूद रहे आयुष के बुआ के नाबालिग बेटे तक पुलिस पहुंची तो उसके बयान ने पूरी कड़ी जोड़ दी। इसके बाद पुलिस इस सनसनीखेज हत्या का पर्दाफाश कर दिया।
अंबुज के 26 नवंबर की रात घर से निकला लेकिन उसकी अगले दिन रात से शुरू हुई।स्वजन को लगा कि वह रात में दोस्तों के पास रुक गया होगा। दोस्तों से पूछने पर कोई सुराग नहीं मिला तो संतोष मणि ने 28 नवंबर को तिवारीपुर थाने में अंबुज की गुमशुदगी दर्ज कराई। थाना प्रभारी पंकज सिंह ने गायब होने की कहानी जब सुनी तो अनहोनी होने का संदेह गहराया जिसके बाद अधिकारियों को मामले की जानकारी देने के साथ ही चार टीम गठित कर दी जिसने अलग-अलग बिंदुओं पर छानबीन शुरू की।
सबसे पहले अंबुज के उसके मोबाइल की लोकेशन ट्रैक की। सर्विलांस टीम को पता चला कि उसकी आखिरी लोकेशन आयुष, सदरे आलम और बिट्टू उर्फ अहद खान से मेल खा रही थी। तीनों की मूवमेंट चिलुआताल से लेकर महराजगंज जिले तक रही है। यह मेल संयोग नहीं था, इसलिए पुलिस का प्राथमिक संदेह इन्हीं दोस्तों पर केंद्रित हुआ।
दूसरी टीम ने चिलुआताल व आस-पास के मार्गों पर लगे सीसी कैमरे के फुटेज निकाले। एक फुटेज में सदरे आलम की कार दिखाई दी। यह फुटेज उनके उस बयान के विपरीत था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि वे रात में कहीं नहीं गए थे। बयान और तकनीकी साक्ष्यों के विरोधाभास ने पुलिस की जांच को आगे बढ़ाया।
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पूछताछ में आयुष और उसके साथी हर बार यही कहते रहे कि वे अंबुज से मिले ही नहीं थे, पर सर्विलांस और फुटेज उनकी कहानी को झूठा साबित करते रहे। इसी बीच जांच में एक नई कड़ी सामने आई कि घटनास्थल पर आयुष के बुआ का बेटा भी मौजूद था।पुलिस की चौथी टीम वहां पहुंची और नाबालिग से पूछताछ की।
पहले तो वह बातों को टालता रहा, लेकिन लगातार सवालों के बाद उसने बताया कि आयुष और उसके दोस्त रात में अंबुज को कार से लेकर गए थे। यह बयान इस केस का निर्णायक मोड़ बना। अब पुलिस के पास लोकेशन, सीसी कैमरा फुटेज मौजूद थे। सख्ती दिखाने पर आयुष ने जुर्म स्वीकार कर लिया इसके बाद पुलिस टीम उसे अपने साथ लेकर महराजगंज के भिटौली क्षेत्र पहुंची, जहां मोबाइल की अंतिम लोकेशन दर्ज हुई थी।

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