युवाओं की हड्डियों को लगा बुढ़ापे का रोग, शराब भी जिम्मेदार
गोरखपुर में युवाओं में हड्डियों की समस्या बढ़ रही है जिसका मुख्य कारण शराब का सेवन और गलत जीवनशैली है। डॉक्टरों के अनुसार शराब पीने से कूल्हे की हड्डियों में खून की आपूर्ति बाधित होती है जिससे हड्डियां गलने लगती हैं। इसे एवैस्कुलर नैक्रोसिस (एवीएन) कहा जाता है। विशेषज्ञों ने हड्डियों को मजबूत रखने के लिए विटामिन डी और कैल्शियम के सेवन पर जोर दिया है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। युवावस्था में ही हड्डियाें को बुढ़ापे का रोग लगने लगा है। किसी की हड्डी खोखली होती जा रही है तो किसी को गठिया जकड़ रहा है। हड्डियों की इस हालत की जिम्मेदार जीवनशैली और खराब खानपान तो है ही, शराब भी कम जिम्मेदार नहीं है।
शौक में शुरू शराब पीना युवाओं को इसकी गिरफ्त में लेता जा रहा है। ज्यादा मात्रा में लगातार शराब के सेवन से हड्डियां गलने लग रही हैं। इसका असर कूल्हे की हड्डियों पर पड़ रहा है। कूल्हे की हड्डियों में खून की आपूर्ति में बाधा आने से हड्डी सूख रही है। इसे एवैस्कुलर नैक्रोसिस(एवीएन) कहते हैं। कोरोना संक्रमण काल के बाद इसके मामले बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं।
यह कहना है बीआरडी मेडिकल कालेज में हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डा. पवन प्रधान का। वह शनिवार को हड्डी रोग विशेषज्ञों के राष्ट्रीय कांफ्रेंस आर्थो एज-2025 में साल्वेजिंग एवीएन हिप विषय पर अपने विचार रख रहे थे। यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन और गोरखपुर आर्थोपेडिक क्लब की ओर से आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव ने किया।
डा. पवन प्रधान ने शरीर को सुडौल बनाने के लिए जिम जाने से पहले स्टेरायड मिले प्रोटीन पाउडर को भी हड्डियों को खराब करने का जिम्मेदार बताया। कहा कि हड्डियां इतनी खोखली होती जा रही हैं कि जीवन में दो बार कूल्हा प्रत्यारोपण की नौबत आ जा रही है।
अहमदाबाद से आए डा. निमिष पटेल व डा. जिग्नेश पांड्या ने कूल्हा टूटने पर चर्चा की। कहा कि ज्यादातर बुजुर्गों में बाथरूम में फिसलने या सड़क पर गिरने के कारण यह फ्रैक्चर होता है।
हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. भारतेंद्र जैन ने कहा कि बच्चों की हड्डियों में चोट को गंभीरता से लेना चाहिए। उपचार में देर से हड्डियां सही से नहीं जुड़ पातीं। इससे दिव्यांगता का भी खतरा रहता है।
इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष डा. बीबी त्रिपाठी, सचिव डा. अमित मिश्र, गोरखपुर आर्थोपेडिक क्लब के अध्यक्ष डा. एसके त्रिपाठी, सचिव डा. भारतेंद्र जैन, डा. अजय भारती, डा. सुधीर श्याम कुशवाहा, डा. वत्सल खेतान, डा. अनूप अग्रवाल, डा. संजीव सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. ऋतेश कुमार, डा. आरपी शुक्ल, डा. राघवेंद्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
प्रत्यारोपण से बदल जाती हैं जिंदगी, अच्छा डाक्टर चुनें
कानपुर के वरिष्ठ हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ और प्रख्यात ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डा. एएस प्रसाद कोर्टयार्ड मैरियट में दो दिवसीय आर्थो एज-2025 के दूसरे दिन रविवार को टोटल हिप आर्थोप्लास्टी (टीएचए) विषय पर अपने अनुभव साझा करेंगे। वर्ष 1990 में पहली बार कूल्हा प्रत्यारोपण करने वाले डा. एएस प्रसाद इस क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ हैं। वह अनगिनत प्रत्यारोपण कर चुके हैं। लोग बेहतर जीवन जीते हुए 35 वर्ष से उनके संपर्क में हैं।
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डा. प्रसाद कहते हैं कि यदि किसी के माता-पिता को आर्थराइटिस है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। जोड़ के अंदर सूजन और दर्द हो, दर्द हाथ-पैर अंगुलियों, कूल्हे, घुटने, कमर में हो या गर्दन जकड़ने के लक्षण हों तो चेत जाएं। यह स्थिति महीने में दो से तीन बार हो रही तो इसे असामान्य मानते हुए विशेषज्ञ से सलाह लें। अब कई दवाएं ऐसी आ गई हैं जो इसे बढ़ने से रोकने में सक्षम हैं।
हड्डियों को मजबूत रखने के लिए विटामिन डी का सेवन करें, भोजन में विटामिन, मिनरल और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। व्यायाम जरूरी है क्योंकि कैल्शियम वीडियो गेम खेलने से नहीं बढ़ता है। शरीर का वजन नियंत्रित करें और बैठने की मुद्रा पर ध्यान रखें। समय-समय पर मुद्रा बदलना बहुत जरूरी है।
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