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    उम्र 15 साल, किशोर अवस्था के लक्षण नहीं, एम्स गोरखपुर में हार्मोन न बनने का सामने आया दुर्लभ मामला

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 02:55 PM (IST)

    गोरखपुर एम्स में एक साढ़े 15 वर्षीय किशोर में मल्टीपल पिट्यूटरी हार्मोन डिफिशिएंसी का दुर्लभ मामला सामने आया है। उसकी लंबाई नहीं बढ़ रही और किशोरावस्थ ...और पढ़ें

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    गोरखपुर एम्स। जागरण

    दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। साढ़े 15 वर्ष के किशोर की लंबाई नहीं बढ़ रही है। उसके शरीर में किशोर अवस्था के कोई लक्षण नहीं हैं। शरीर भी बहुत कमजोर है। वह छोटे बच्चे की तरह दिखता है। कमजोरी के कारण हमेशा सुस्त रहता है। शुरू में स्वजन को लगता था कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी, वह ठीक हो जाएगा लेकिन अब सभी परेशान हैं। एम्स इंडोक्रायनोलिस्ट ने किशोर का उपचार शुरू किया है।

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    बिहार निवासी किशोर को लेकर स्वजन कुछ दिन पहले एम्स में पहुंचे। यहां डाक्टरों ने परीक्षण के बाद इंडोक्रायनोलाजिस्ट डा. देबादित्य दास के पास रेफर किया। परीक्षण के बाद पता चला कि यह मल्टीपल पिट्यूटरी हार्मोन डिफिशिएंसी का मामला है। 10 हजार में से किसी एक बच्चे में यह समस्या हो सकती है।

    पिट्यूटरी ग्रंथि का सही से नहीं हुआ विकास
    एम्स में हुई जांच में पता चला कि किशोर की पिट्यूटरी ग्रंथि का सही से विकास नहीं हुआ है। पिट्यूटरी ग्रंथि को 'मास्टर ग्लैंड' भी कहते हैं। मस्तिष्क के आधार पर स्थित मटर के दाने के आकार की एक छोटी ग्रंथि है जो शरीर के विकास, चयापचय, रक्तचाप, प्रजनन और पानी के संतुलन सहित कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करती है। यह अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों (जैसे थायराइड, अधिवृक्क) को हार्मोन बनाने और स्रावित करने का निर्देश देती है। इसकी वजह से शरीर के सभी अंगों और कार्यों में संतुलन बना रहता है।

    यह होते हैं लक्षण
    कम वजन, कम लंबाई, महत्वपूर्ण पड़ावों (जैसे पलटना, बैठना, चलना) में देर, हाथ-पैरों के अनुपात में असामान्यता, कमजोरी, थकान, यौवन के लक्षण देर से आना। भूख, नींद या व्यवहार में बदलाव। सीखने-समझने में दिक्कत आदि।

    यह करें
    बच्चे का शारीरिक विकास नहीं हो रहा है तो विशेषज्ञ डाक्टर को जरूर दिखाएं। डाक्टर कारण की जानकारी कर उच्च कैलोरी वाला भोजन, प्रोटीन, कैल्शियम युक्त आहार, व्यायाम और ज़रूरत पड़ने पर थेरेपी (फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी) की सलाह देते हैं।

    हार्मोन का इंजेक्शन लगाना जरूरी, स्वजन के पास रुपये नहीं
    किशोर को लैब में बना हार्मोन इंजेक्शन लगाना होगा लेकिन इसका खर्च हर महीने तकरीबन 20 हजार रुपये होगा। स्वजन के पास उपचार के लिए रुपये नहीं हैं। इसे देखते हुए एम्स की कार्यकारी निदेशक डा. विभा दत्ता ने कुछ लोगों से संपर्क किया है। एम्स प्रशासन ने समाज के लोगों से भी अपील की है कि वह आगे बढ़कर आएं और किशोर को लगने वाले इंजेक्शन में मदद करें। किशोर को कई तरह के हार्मोन की जरूर पड़ेगी। मदद करने के लिए एम्स में कार्यकारी निदेशक के कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।

    किशोर के ब्रेन का एमआरआइ करने के बाद पता चला कि पिट्यूटरी ग्रंथि सही से विकसित नहीं हुई है। यह आनुवांशिक कारणों से हो सकता है। लंबाई व किशोरावस्था में देरी के साथ अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। किशोर का उपचार थायराइड और कोर्टिसोल दवाओं से किया गया है। रिकाम्बिनेंट ग्रोथ हार्मोन की जरूरत है। यदि बच्चे का समय से विकास नहीं हो रहा है तो इसे गंभीरता से लें और विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क जरूर करें।

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    डा. देबादित्य दास, इंडोक्रायनोलाजिस्ट, एम्स गोरखपुर