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    स्वतंत्रता के सारथी: तुलसी और पतंजलि की जन्‍मस्‍थली संवारने के साथ ही अवि‍रल सरयू का संकल्‍प

    गोंडा में डॉ. स्वामी भगवदाचार्य एक संत हैं जिन्होंने समाज को नई दिशा दी। वे तीन दशक से सरयू नदी की अविरल धारा के लिए मुहिम चला रहे हैं। वे सरयू आरती का आयोजन करते हैं और पसका संगम मेला श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। उन्होंने तुलसीदास की जन्मभूमि और महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि के विकास के लिए संघर्ष किया।

    By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Thu, 14 Aug 2025 06:30 PM (IST)
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    श्री तुलसी जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष डा स्वामी भगवदाचार्य

    संवाद सूत्र, गोंडा। संत वह नहीं जो वैराग्‍य लेकर समाज से व‍िलग हो जाए, असल संत वह है जो समाज को नई द‍िशा और आयाम प्रदान करे। ऐसे ही संत हैं डा स्वामी भगवदाचार्य। सरयू नदी की अविरल धारा के लिए श्री तुलसीदास श्री तुलसी जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष डा स्वामी भगवदाचार्य तीन दशक से मुहिम चला रहे हैं।

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    सरयू नदी के धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाने के लिए न सिर्फ वह सरयू आरती का आयोजन करते हैं बल्कि, प्रत्येक वर्ष पौष में आयोजित होने वाला पसका संगम मेला भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया है।

    उन्होंने राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि व योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि के विकास के लिए न सिर्फ संघर्ष किया बल्कि, लोगों में चेतना भी जगाई।

    राजासूकर खेत में 1992 में हुआ था पहला तुलसी मेला

    डा. स्वामी भगवदाचार्य का जन्म नौ अक्टूबर 1952 को को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद वह अयोध्या में मणिराम छावनी से जुड़ गए और पीठाधीश्वेर नृत्यगोपाल दासजी से दीक्षा प्राप्त की। उनका मन पढ़ाई के समय से ही धार्मिक धरोहर को संजाेने में लगा रहा।

    1980 में उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृति विश्वविद्यालय वाराणसी से विष्णु पुराण पर शोध पूरा करके पीएचडी की डिग्री हासिल की। डा. स्वामी भगवदाचार्य ने 15 नवंबर को 1992 को राजापुर सूकरखेत पसका में प्रथम तुलसी मेले का आयोजन किया, इसके बाद वह जन्मभूमि के विकास को लेकर जुट गए।

    प्रयास करके तत्कालीन जिलाधिकारी से करीब 200 बीघा भूमि जन्मभूमि के नाम दर्ज कराई। राजापुर को तुलसीजन्म भूमि घोषित करने के लिए साक्ष्य के साथ दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, केरल, मैसूर, पूना, भोपाल, जबलपुर, बीएचयू, पटना विश्वविद्यालय में कान्फ्रेंस का आयोजन कराया।

    वह 1987 से ही महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि के विकास को लेकर भी संघर्ष करते है, जो अब पूरा हो गया है। एक करोड़ 42 लाख रुपये तुलसीजन्म भूमि व एक करोड़ 38 लाख रुपये महर्षि पतंजलि जन्मभूमि के लिए पर्यटन विभाग ने आवंटित किया है।

    वह गोस्वामी तुलसीदास के नाम पर विश्वविद्यालय के स्थापना की मांग उठा रहे हैं। राजापुर में सरयू नदी पर घाट का निर्माण कराया जा रहा है। कोंड़र में महर्षि पतंजलि के नाम पर आयुष मेडिकल कालेज के स्थापना का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। 

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