Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Gonda News: बेसिक शिक्षा अधिकारी समेत 7 के खि‍लाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश, फर्जी नियुक्ति और सरकारी धन के गबन का मामला

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 07:15 PM (IST)

    गोण्डा में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी समेत कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी नियुक्तियां कर करोड़ों रुपये का गबन किया गया है। 2020 में अनामिका शुक्ला नाम की एक अभ्यर्थी की फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया था जिसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई थी। न्यायालय ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया।

    Hero Image
    बेसिक शिक्षा अधिकारी समेत सात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    संवाद सूत्र, गोंडा। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित सिंह ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखा अधिकारी सिद्धार्थ दीक्षित, सहायक अनुपम पांडेय, पटल लिपिक सुधीर सिंह, भैया चंद्रभान दत्त स्मारक इंटर कॉलेज रामपुर टेंगरहा के प्रबंधक दिग्विजय नाथ पांडेय, प्रधानाचार्य व अन्य अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नगर को दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आवास विकास निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार पांडेय ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की न्यायालय पर प्रार्थना पत्र दिया था। अधिवक्ता अमित कुमार दुबे ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में आवेदन के दौरान डाटा लीक कर दिया जाता है। इसका इस्तेमाल कर फर्जी नियुक्तियां कर करोड़ों रुपयों की हेराफेरी और गबन कर लिया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसा ही एक प्रकरण वर्ष 2020 में प्रकाश में आया था जिसमें अनामिका शुक्ला नाम की एक अभ्यर्थी की फर्जी नियुक्ति कर करोड़ों रुपये गबन किए गए थे।

    मामला प्रकाश में आने के बाद अनामिका ने विभाग में शिकायत करते हुए स्वयं को बेरोजगार बताया था और कोतवाली नगर में मुकदमा भी कराया था। इसमें कई लोग जेल गए थे। विभाग ने वर्ष 2020 में ही भैया चंद्रभान दत्त स्मारक इंटर कालेज रामपुर टेंगरहा के प्राथमिक वर्ग में उसकी नियुक्ति अस्थाई तौर पर सहायक शिक्षिका के रूप में कर दी थी। उसकी सूचना समाचार पत्रों में विद्यालय प्रबंध समिति ने प्रकाशित करवाई थी।

    बाद में दर्ज मुकदमे में अनामिका को आरोपित बनाया गया था। इंटरनेट मीडिया पर अनामिका को स्थाई शिक्षिका के रूप में वर्ष 2017 से सरकारी वेतन आहरण से संबंधित सूचनाएं प्रसारित हुई थी। उन्होंने बताया कि जब कोई स्थाई तौर पर 2017 से वेतन ले रहा था तो वर्ष 2020 में अस्थाई नियुक्ति देने का औचित्य समझ से परे रहा। उन्होंने बताया कि अनामिका को वित्त एवं लेखा अनुभाग द्वारा बीते नौ जनवरी को भी वेतन भुगतान किया गया है, जो वेतन संशोधन का पृष्ठ बदल कर किया गया। विभाग में शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर न्यायालय में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173(4) के अंतर्गत प्रार्थनापत्र दिया था। इस पर न्यायालय ने आदेश दिया है।

    यह भी पढ़ें- विधायक ने लेखा बाबू के पास सात मकान और नौ गाड़ी होने का किया दावा, हाईकोर्ट ने जांच पर 25 अगस्त तक लगाई रोक