विधायक ने लेखा बाबू के पास सात मकान और नौ गाड़ी होने का किया दावा, हाईकोर्ट ने जांच पर 25 अगस्त तक लगाई रोक
गोंडा में बेसिक शिक्षा विभाग के एक लिपिक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाईकोर्ट ने 25 अगस्त तक रोक लगा दी है। तरबगंज विधायक ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर लिपिक पर गोंडा और लखनऊ में कई मकान गाड़ियां और करोड़ों की संपत्ति होने का आरोप लगाया था। विधायक ने लिपिक पर फर्जी तरीके से भुगतान कराने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
जागरण संवाददाता, गोंडा। बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक (बाबू) के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में हाईकोर्ट ने 25 अगस्त तक रोक लगा दी है। तरबगंज विधायक ने मुख्यमंत्री से शिकायत करके लिपिक के पास गोंडा व लखनऊ में सात मकान, नौ गाड़ियां और करोड़ों रुपये की संपत्ति हाेने का दावा किया था।
तरबगंज विधायक प्रेम नारायण पांडेय ने सात मई को मुख्यमंत्री से भेंट करके बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। विधायक के मुताबिक लिपिक 20 वर्षों से जिले में तैनात हैं और वेतन वितरण का कार्य देखते हैं।
लिपिक ने अपनी पत्नी के नाम से अलग-अलग बैंकों में पहले खाते खुलवाए, इसके बाद वंशीधर लघु माध्यमिक विद्यालय तामापार मनकापुर में सहायक अध्यापक दिखाकर लाखों रुपये का भुगतान कराया।
यही नहीं, फर्जी डिग्री के आधार पर लिपिक ने अपनी साली को शिक्षक दिखाकर कृषक लघु माध्यमिक विद्यालय करमा छपिया में कार्यरत दिखाकर वर्ष 2023 में लाखों रुपये का भुगतान कराया। इसी स्कूल में बेटी को लिपिक दिखाकर जनवरी 2024 का वेतन भुगतान किया गया है जबकि, उनकी बेटी 20 जनवरी को दुबई गई थी, जो 25 फरवरी को वापस लौटी।
बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के एक माह दुबई में रहने के बावजूद वेतन का भुगतान किया गया। यही नहीं, दुबई के जिस होटल में वह अपने भाईयों के साथ ठहरी थी, उस होटल के एक रात का किराया 77 हजार रुपये, एक थाली भोजन की कीमत 6500 व एक बोतल पानी की कीमत 700 रुपये है।
लिपिक पर महंगे उपहार देने, लखनऊ में दो मकान व एक निर्माणाधीन होने, गोंडा में चार मकान के साथ ही पत्नी व करीबियों के नाम से आठ लग्जरी वाहन होने, घर में पांच नौकर होने के साथ ही उनके बैंक खाते में काली कमाई जमा करने का दावा किया गया है। लिपिक के भाईयों के नाम पर अवैध संपत्ति बताई गई है।
विधायक ने प्रकरण की जांच कराकर संबंधित के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की थी। आयुक्त देवीपाटन मंडल शशिभूषण लाल सुशील ने प्रकरण की जांच के लिए अपर आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी।
कमेटी संबंधित बाबू की संपत्तिया खंगाल रही थी, तभी लिपिक ने जांच के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाइकोर्ट ने फिलहाल जांच पर रोक लगा दी है।
अपर आयुक्त कमलेश चंद्र वाजपेयी का कहना है कि प्रकरण की जांच की जा रही है। हाइकोर्ट ने 25 अगस्त तक जांच रोक दी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।