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    गोंडा में शाम होते ही बाजारों में छा जाता है अंधेरा, टॉर्च की रोशनी से गांवों में उजियारा; जानें क्या है वजह

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 05:33 PM (IST)

    गोंडा जिले में चोरी की अफवाहों से लोगों में दहशत है। शाम होते ही दुकानें बंद हो जाती हैं और लोग रात भर पहरा देते हैं। पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है और झूठी सूचना देने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। पकड़े जाने वाले संदिग्धों और उनकी पहचान को लेकर कई सवाल जनता के मन में हैं जिन पर स्पष्टता की आवश्यकता है।

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    शाम होते ही टार्च की रोशनी से गांव में उजियारा। फाइल फोटो

    संवाद सूत्र, गोंडा। सरेशाम चोरी की अफवाह थमने का नाम नहीं ले रही है। हालत यह है कि बाजार हो या गांव का विद्यालय सब जगह रात की घटना की चर्चाएं रहती हैं। शाम होते ही गांव व कस्बों की अधिकांश दुकानें बंद हो जाती हैं। बस गांव के चारों ओर टॉर्च का उजाला दिखता है। युवा से लेकर बुजुर्ग तक टोली बनाकर रतजगा करते हैं। 

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    112 की टीम हो या चौकी की पुलिस शाम होते पुलिस की भागदौड़ बढ़ जाती है। चर्चा यह भी तेज हो रही है,जो व्यक्ति संदिग्ध रूप में पकड़े जाते हैं और उन्हें मानसिक बीमार बताकर छोड़ दिया जाता है, वहीं भटक कर दूसरे गांव में पहुंच जाते हैं और फिर वहां शोर शुरू हो जाता है।

    खास बात यह है कि रात भर चोरों की रखवाली से सुबह की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। यही नहीं दिन भर रात की घटनाओं की चर्चा होने के कारण जहां बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, वही शाम से ही दुकानें बंद हाेने के कारण व्यापार भी प्रभावित है।

    जिले में मिल रहीं चोरी की शिकायतों और आफवाहों की रोकथाम के लिए पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने ग्राम व मुहल्ला सुरक्षा समिति गठन किए जाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही पुलिस गश्त बढ़ाने और अफवाहों पर विराम लगाने का सिलसिला तेज हो गया है।

    झूठी व फर्जी सूचना देने वाले और उनका सहयोग करने वालों पर विधिक कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी है। पुलिस का दावा है कि कई सूचनाओं की जब जांच की गई तो वह झूठी निकली।

    हालांकि, पुलिस अधीक्षक से लेकर थाने की सिपाही व डायल 112 की टीम अफवाहों पर विराम लगाने के लिए हर संभव कार्रवाई कर रही है, लेकिन दिन हो या रात गांव-मुहल्लों और चौराहों पर चोरी की अफवाहों और संदिग्धों के देखे जाने तथा पकड़े की चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है।

    जनमानस के बीच उठ रहे ये सवाल

    अफवाहों के दौरान विभिन्न स्थानों पर पकड़े जाने वाले संदिग्ध कौन हैं? ये कहां से आए और कहां रहते हैं? पकड़े जाने के बाद संदिग्धों की पहचान हुई या नहीं? यदि पकड़ा गया संदिग्ध व्यक्ति मानसिक बीमार बताया जाता है तो पुलिस उसे कहां ले जाती है? किसी अस्पताल या संरक्षण गृह में मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को रखा जाता है या फिर जहां से पकड़ा गया उस मुहल्ले-गांव से दूसरी जगह छोड़ दिया जाता है?

    स्थानीय बोली-भाषा व वेशभूषा न मिलने वाला व्यक्ति यदि कहीं अस्थाई रूप से रह रहा है तो क्या उसकी पूलिस जांच करती है ? दूसरी बोली-भाषा और वेशभूषा का व्यक्ति यदि गांव-मुहल्लों में फेरी कर साड़ी, चद्दर, कपड़े, बर्तन बेच रहे है तो इनकी जांच होती है?

    संदिग्ध व्यक्ति के पकड़े जाने पर उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है? ऐसे ही कई सवाल है जो जनचर्चा का विषय बने हुए हैं।

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