ठंड ने ब्रोंकाइटिस के मरीजों की बढ़ाई परेशानी, क्या होता है इसका लक्षण और कैसे करें बचाव?
गोंडा में ठंड बढ़ने से ब्रोंकाइटिस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में प्रतिदिन 80-100 मरीज पहुंच रहे हैं। चेस्ट ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, गोंडा। मौसम में परिवर्तन हर उम्र वर्ग पर भारी पड़ रहा है। ठंड से सांस लेने में परेशानी बढ़ने लगी है। इलाज के लिए पहुंचने वाले लोगों में ब्रोंकाइटिस अस्थमा, ब्रोंकाइटिस एलर्जी व अस्थमेटिक ब्रोंकाइटिस के करीब 80 से 100 मरीज मेडिकल कालेज से संबद्ध बाबू ईश्वर शरण चिकित्सालय में पहुंच रहे हैं जबकि निजी चिकित्सालयों में यह संख्या अधिक है।
क्या है ब्रोंकाइटिस
मेडिकल कालेज के सहायक आचार्य व चेस्ट फिजीशियन डा. रमेश पांडेय का कहना है कि ब्रोंकाइटिस फेफड़े के अंदर स्थित श्वांस नलियों की सूजन व मियादी इंफेक्शन है। ब्रोकाइटिस होने का मुख्य वजह होती है सीने में स्थित श्वांस नली और उसकी शाखाओं में बार-बार होने वाला संक्रमण, इनमें निमोनिया मुख्य कारण बनती है।
इसके अलावा दूसरा कारण बनता है टीबी का संक्रमण। शुरुआती दिनों में संक्रमण का समुचित इलाज हो जाए तो ब्रोंकाइटिस से बचा जा सकता है जबकि कुछ लोगों में यह रोग जन्मजात होता है। इसके अलावा कभी-कभी खून में मौजूद ऐल्फा-1, ऐंटीट्रिप्सिन नामक एंजाइम की कमी, रयूमेटाइड आर्थराइटिस और अन्य आटोइम्यून बीमारियां भी ब्रोंकाइटिस का कारण बनती हैं।
ब्रोंकाइटिस की चपेट में आने का मुख्य कारण
- बैक्टीरिया या विषाणु का संक्रमण
- धूम्रपान
- वायु प्रदूषण
- वायु में किसी चीज से एलर्जी जैसे पराग कण
ये है लक्षण
- बार-बार छाती में जलन
- सांस फूलना
- बदन दर्द
- बुखार या ठंड लगना
- नाक बहना या बंद होना
- न थमने वाली व काफी देर तक चलने वाली खांसी
- खांसी के साथ बहुत गाढ़ा व मवाद युक्त बलगम का आना
- कभी-कभी केवल सूखी खांसी का आना और सांस लेते समय छाती में घरघराहट की आवाज होना।
ऐसे करें बचाव
- धूमपान छोड़ दें।
- वायु प्रदूषण, धूल और गैस से बचाव करें।
- बलगम पतला रखने के लिए खूब पानी पिएं
- यदि बुखार बढ़ जाए और ठंड लगने लगे तो तुरंत किसी चिकित्सक से संपर्क करें।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।