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    गाजीपुर में खतरे के निशान से महज 0.885 मीटर दूर गंगा, कटान से बच्छलपुर गांव को खतरा; दहशत में लोग

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 08:19 PM (IST)

    गाजीपुर में गंगा का जलस्तर बढ़ने से कई इलाके प्रभावित हैं। मुहम्मदाबाद के बच्छलपुर और हरिहरपुर में कटान तेज हो गया है जिससे बच्छलपुर गांव पर खतरा मंडरा रहा है। खानपुर में शवदाह गृह तक पानी पहुंच गया है वहीं रेवतीपुर में बाढ़ का पानी सड़कों पर आ गया है। औड़िहार में खेत डूब गए हैं और गंगेश्वर महादेव मंदिर जलमग्न हो गया है।

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    बाढ़ के पानी से डुबी रेवतीपुर ब्लॉक के हसनपुरा कि सड़क से आते ग्रामीण।- जागरण

    जागरण संवाददाता, गाजीपुर। गंगा का जलस्तर स्थिर होने के बाद शुक्रवार को एकबार फिर बढ़ने लगा। तीन सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से जलस्तर में बढ़ोतरी हुई तो कई इलाकों में कटान तेज हो गया। नगर के पत्थर घाट, मुहम्मदाबाद के बच्छलपुर व हरिहरपुर काफी भूमि कटान की भेंट चढ़ गई। बच्छलपुर गांव के अस्तित्व पर तो खतरा मंडराने लगा। लोग अब पलायन की तैयारी शुरू कर दिए हैं। तीसरे पहर गंगा का जलस्तर 62.220 मीटर रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में गंगा खतरा निशान 63.105 से महज 0.885 मीटर ही दूर रह गई हैं।

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    गंगा में समाहित हो रही कृषि भूमि

    मुहम्मदाबाद: इलाके में शुक्रवार की सुबह से गंगा का जलस्तर दोबारा बढ़ना शुरू हो गया है। फिलहाल एक सेमी प्रति घंटा से जलस्तर बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांव के लोग परेशान हो गए हैं। बच्छलपुर व हरिहरपुर तट के पास कटान होने से बच्छलपुर गांव के अस्तित्व पर खतरे मंडराने लगा है। इलाके में एकबार फिर बाढ़ की संभावना प्रबल हो गयी है।

    गंगा पूरी तरह से भरकर लबालब अरार से बाहर निकलने को आतुर है। बच्छलपुर व हरिहरपुर तट के पास करीब 50 मीटर की दूरी में कटान हो रहा है। जिससे कृषि भूमि टूटकर गंगा में समाहित हो रही है। सेमरा व शिवरायकापुरा के पास गहराई ज्यादा होने से गांव की सुरक्षा के लिए बनाए गये बोल्डर पिचिंग ठोकर पर खतरा मडरा रहा है। ग्रामीण जीतन प्रसाद,रिंकू राय,रमेश चौधरी,आनंद राय ने बताया कि जलस्तर दोबारा बढ़ने से लोग दहशत में आ गए हैं।

    रामानंद मठ के करीब शवदाह गृह तक पहुंचने लगा बाढ़ का पानी

    खानपुर: पटना गांव के पास गंगा नदी उफान पर हैं। रामानंद मठ के करीब शवदाह गृह तक बाढ़ का पानी पहुंचने लगा है। सादीभादी में आधा दर्जन किसानों के मड़ई तक गंगा नदी का पानी पहुंच चुका है। जिससे सभी मछुआरे और नाविक अपनी झोपड़ी को छोड़ ऊपरी इलाके की ओर आ गए है।

    हंसराज निषाद और रामकुंवर राजभर बताते हैं कि रात में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ा और सुबह तक हमलोगों को जगह छोड़कर भागना पड़ा। गंगा नदी के बाढ़ से किसानों के खेत पूरी तरह से डूब चुके है। अब उपरी इलाके के रिहायशी इलाके में बाढ़ का पानी चढ़ने लगा है। पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर भेजने के साथ ही उनके चारे के प्रबंध करना बहुत जरूरी हो गया है।

    किसान जयप्रकाश कहते है कि नदियों के किनारे रहने वाले पशुपालक अधिकांश हरे घांस और चारे पर निर्भर रहते है। नदियों में बाढ़ आने के बाद सबसे पहले पशुओं के चारे के संकट पैदा होता है। कुसही खरौना में भी किसान अपने डूबने वाले फसलों को निकालने की तैयारी में लग गए है। गंगा के बाढ़ का असर गोमती नदी पर भी दिखने लगा है। गोमती किनारे खेती करने वाले सिधौना, अमेहता, नुरूद्दीनपुर, गौरी, गौरहट और तेतारपुर, नेवादा, बहुरा के सैकड़ों किसान बाढ़ की स्थिति को देखकर परेशान हैं।

    बाढ़ का पानी मार्ग पर आने से कई गांवों का संपर्क टूटा

    रेवतीपुर: गंगा का जलस्तर बढ़ने से एकबार फिर लोग दहशत में आ गए हैं। बाढ़ का पानी सड़कों पर आ जाने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नसीरपुर, हसनपुरा, वीरऊपुर, नगदिलपुर के व रेवतीपुर के मलियाबाग के पास पानी पहुंचने पर पूर्व में आई बाढ़ की याद ताजा हो गई।

    आदित्य बिड़ला घाट पर गंगेश्वर महादेव मंदिर भी पानी से घिरा

    औड़िहार: गंगा नदी का लगातार जलस्तर बढ़ने से किसानों का खेत लबालब भर गया है। ऐसे में उनको भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 300 एकड़ में पटना मठिया औड़िहार में सब्जियों की खेती होती है। सादीभादी के किसान सत्तन यादव ने बताया कि सालाना सात हजार के लगान पर लगभग डेढ़ बीघा खेत लेकर सब्जियों की खेती करतें हैं। करैला नेनुआ,खीरा, लौकी परवल आदि।इस समय नेनुआ परवल आदि लगाया गया था, जो पूरी तरह डूब गया है। वहीं आदित्य बिड़ला घाट पर स्थापित गंगेश्वर महादेव मंदिर भी पानी से घिर गया है। दर्शनार्थी सदानंद ने बताया कि सुबह मंदिर के नंदी महाराज पूरा दिख रहें थे। दोपहर में ही जलमग्न हो गए।

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