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    Gandhi Jayanti: विदेशी वस्तुओं की होली जलाने गाजीपुर आए थे महात्मा गांधी, नाव से संगम पर पहुंचे और फिर...

    By Jagran NewsEdited By: Shubham Sharma
    Updated: Mon, 02 Oct 2023 05:25 AM (IST)

    वर्ष 1929 में गांधीजी सपरिवार गंगा गोमती संगम तट पर स्नान कर गाजीपुर की धरती पर स्वराज आंदोलन का अलख जगाने आए थे। महात्मा गांधीजी अपने 60वें जन्मदिन पर विदेशी वस्तुओं की होली जलाने सैदपुर की धरती पर आए थे। वह वाराणसी से नौकायन कर संगम स्थल पहुंचे थे। महात्मा गांधी को देखने के लिए भारी भीड़ जुट गई थी।

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    1929 में विदेशी वस्तुओं की होली जलाने गाजीपुर पहुंचे थे गांधी जयंती।

    संवाद सूत्र, खानपुर (गाजीपुर) : दुनियाभर को सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी अपनी यात्रा के दौरान जहां-जहां गए, वह स्थल धन्य हो गया। वर्ष 1929 में गांधीजी सपरिवार गंगा गोमती संगम तट पर स्नान कर गाजीपुर की धरती पर स्वराज आंदोलन का अलख जगाने आए थे। गांधीजी से अपने 60वें जन्मदिन पर विदेशी वस्तुओं की होली जलाने सैदपुर की धरती पर आए थे।

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    गांधीजी के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी, बहन मीरा, आचार्य कृपलानी, महादेव देसाई व देवदास गांधी आदि लोग भी थे। वाराणसी से नौकायन कर संगम स्थल पहुंचे महात्मा गांधी को देखने के लिए भारी भीड़ जुट गई थी। इसके बाद फूल मालाओं से उनके स्वागत का दौर औड़िहार के निकट बाराहरूप धाम पर जाकर थमा था, जहां बापू ने पूजा अर्चना व सन्ध्या वंदन किया।

    गांधीजी की एक झलक पाने के उमड़ पड़ी भीड़

    सैदपुर पहुंचकर महात्मा गांधी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. आत्माराम पांडेय के आवास पर अन्य स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से मिले। सैदपुर में चरखा संघ की स्थापना कर मित्रों व स्वजनों संग बूढ़े नाथ महादेव मंदिर तक पैदल गए थे। गांधीजी की एक झलक पाने के लिए बूढ़ेनाथ महादेव मंदिर परिसर में उमड़ी हजारों की भीड़ को देश आजाद कराने का संकल्प दोहराया। बापू ने शिव प्रसाद गुप्त के साथ वराह धाम, रामानंद मठ और बूढ़े महादेव मंदिर सहित गंगा गोमती संगम की नैसर्गिकता देख मोहित हो गए थे।

    समय बदलने के साथ ही गोमती नदी ने अपना जलधारा भी बदल दिया है, जिस समय बापूजी स्वदेशी जागरण की अलख जगाने देशभर की यात्रा करते हुए सैदपुर पहुंचकर गंगा-गोमती नदी के संगम पर स्नान किया था। उस समय गोमती नदी सिधौना खरौना के बाद कुसही गांव के नजदीक से होते हुए पटना गांव के करीब गंगा नदी से जाकर मिलती थी।

    जिला मुख्यालय पहुंचकर सभा को किया संबोधित 

    महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में देश के जिस-जिस हिस्से में गए थे। वहां के लोगों ने उनके आगमन की स्मृतियों को आज तक सहेजकर रखा है। खानपुर के बलदाऊ पांडेय ने चंदा इक्कठा कर बापू के लिए बिना छतरी की बग्गी का इंतजाम किया था। सैदपुर से जिस बग्गी में सवार बापू जी गाजीपुर के लिए निकले थे वह बीच रास्ते खराब हो गई। स्थानीय जमींदारों की मदद से अपने समर्थकों संग गांधीजी गाजीपुर जिला मुख्यालय पहुंचकर सभा को संबोधित किया था।

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