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    मछली माफियाओं की मनमानी से बलिया के किसान परेशान, करीब 20 हजार बीघा खेत जलमग्न; प्रशासन मौन

    Updated: Sun, 13 Oct 2024 04:29 PM (IST)

    यूपी के बलिया जिले में मछली माफियाओं ने मगई नदी में जाल लगाकर पानी का बहाव रोक दिया है जिससे करीब 20 हजार बीघा खेत जलमग्न हो गए हैं। इसके चलते किसानों की रबी की फसल तबाह हो गई है। लगभग चार साल से यहां के किसानों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

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    माफियाओं की मनमानी से कई गावों के सिवान डूबे

    संवाद सूत्र, करीमुद्दीनपुर (गाजीपुर)। शारदा नहर से पानी छोड़े जाने और मछली माफियाओं के जाल ने किसानों के मुंह से निवाला छीन लिया। मंगई नदी का पानी लौवाडीह, जोगामुसाहिब के सिवानों से होते हुए गांव के काफी निकट आ गया है। पानी के प्रवाह से रघुवरगंज गंज से लेकर सोनवानी तक के कई गांव के सिवान डूब चुके हैं, जिससे अब 20 हजार बीघे की रबी की बुआई नहीं हो पाएगी।

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    प्रशासन भी कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है। मछली माफियाओं ने सोनवानी से बलिया जिले के बड़ौरा तक जाल लगा रखा है, जिससे पानी का प्रवाह एकदम रुक सा गया है।

    लगभग 20 हजार बीघे खेत में भरा पानी

    रघुवरगंज, परसा, राजापुर, खेमपुर, सिलाइच, जोगामुसाहिब, देवरिया, सियाड़ी, महेंद, करीमुद्दीनपुर, लट्ठठूडीह, सोनवानी, गोंड़उर, मसौनी नसरथपुर सहित अधिकांश गांव के लगभग 20 हजार बीघे खेत में पानी भर गया है। लगभग चार साल से यहां के किसानों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

    मंगई नदी में लट्ठुडीह से बलिया जिले तक जगह-जगह मछली मारने के लिए बड़ा-बड़ा जाल लगा दिया गया है, जिससे मगई नदी का प्रवाह बाधित हो गया है। मसूर की मुख्य खेती इसी इलाके में होती है जिसकी बुआई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाती है।

    बिना बुआई के छूट जाते हैं आधे से अधिक खेत 

    अगर आज से ही पानी कम होना शुरू हो जाए तो भी खेत की बुआई एक महीने बाद ही शुरू हो पाएगी, क्योंकि खेतों में पानी आ जाने के बाद वापस जाने का कोई रास्ता नहीं होता। ऐसे में पानी को सूखने में काफी समय लगता है। अगर यही हाल रहा तो गेंहू की भी बुआई नहीं हो पाएगी और पिछले दो वर्षों की तरह आधे से अधिक खेत बिना बुआई के ही छूट जाएंगे।

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    प्रशासनिक स्तर पर कोई बड़ी कार्रवाई न होने के कारण प्रतिवर्ष इस समस्या का सामना करना पड़ता है। किसानों की इस समस्या के प्रति प्रशासन का उदासीन रवैया होने के कारण मछली माफियाओं के हौसले बुलंद रहते हैं। उपजिलाधिकारी मुहम्मदाबाद मनोज पाठक ने कहा कि स्थिति का पता लगाकर कार्रवाई की जाएगी।

    मछली के धंधे में बड़े-बड़े सफेदपोश भी हैं शामिल

    मगई नदी में मछली मारने का धंधा इस समय सबसे बड़ा और लाभप्रद है। इसमें बड़े-बड़े सफेदपोश शामिल हैं, जिसके सामने प्रशासन भी कार्रवाई के नाम पर केवल कोरम पूरा करता है। इसमें पुलिस से लेकर प्रशासन की भी मिलीभगत होती है। एक जाल को लगाने में लगभग अस्सी से एक लाख रुपये तक का खर्च आता है।

    ऐसे जाल जगह-जगह लगा दिए जाते हैं जिसमे प्रतिदिन लाखो रुपये की आमदनी होती है। पहले ऐसा नहीं था। मछुआरे छोटे-छोटे जाल लगाते थे। इससे नदी का प्रवाह भी नहीं रुकता था।

    बोले किसान

    परसा के राजेश राय पिंटू ने बताया कि इस क्षेत्र के किसानों की साल भर की रोजी रोटी इसी जमीन की उपज से होती है। ऐसे में जब बुआई ही नहीं होगी तो किसानों की कमर टूट जाएगी। सियाड़ी के धनंजय राय ने बताया कि जब तक आंदोलन नहीं होता है, प्रशासन कुम्भकर्णी नींद से नहीं जागता।

    विनोद ने कहा कि यह समस्या केवल एक वर्ष की नहीं है। बार-बार किसानों मछुवारों और माफियाओ में संघर्ष होता रहता है। कहीं यह संघर्ष कभी जानलेवा न साबित हो जाए। इस पर भी विचार करना चाहिए। बबलू राय ने कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए और प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे सितंबर और अक्टूबर के माह में जाल न लग सके।

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