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    शहर के वैज्ञानिक सुनील पता कर रहे हैं कितना मारक है कोरोना वायरस

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 08 Jun 2020 08:34 PM (IST)

    दुनिया भर में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस के खतरे का पता लगाने के लिए चल रही रिसर्च का नेतृत्व शहर का युवा वैज्ञानिक कर रहा है। क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) और इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) भुवनेश्वर की संयुक्त रिसर्च को लेकर गाजियाबाद के युवा वैज्ञानिक सुनील राघव पिछले तीन महीने से घर नहीं आए हैं। दिन-रात इस वायरस की अलग-अलग जगहों पर की जा रही मारक क्षमता का आंकलन करने में जुटे हुए हैं। डॉ.सुनील राघव ने डासना के पास फ्री होल्ड कॉलोनी राजीव पुरम में रहकर ही केंद्रीय विद्यालय कमला

    शहर के वैज्ञानिक सुनील पता कर रहे हैं कितना मारक है कोरोना वायरस

    मदन पांचाल, गाजियाबाद: कोरोना वायरस किस कदर खतरनाक है, यह पता लगाने के लिए चल रही रिसर्च का नेतृत्व शहर के युवा वैज्ञानिक डॉ. सुनील राघव कर रहे हैं। क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) और इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आइएलएस) भुवनेश्वर की संयुक्त रिसर्च का नेतृत्व कर रहे गाजियाबाद के युवा वैज्ञानिक सुनील राघव पिछले तीन महीने से घर नहीं आए हैं। उनकी टीम दिन-रात इस वायरस की अलग-अलग जगहों पर की जा रही मारक क्षमता का आंकलन करने में जुटी हुई है।

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    युवा वैज्ञानिक सुनील राघव ने फोन पर संवाददाता को बताया कि भारत के अलग-अलग प्रदेशों के कोरोना पॉजिटिव लोगों का सैंपल लेकर यह आंकलन किया जा रहा है कि किस वर्ग (जीन के लिहाज से) के मनुष्य पर वायरस कितना खतरनाक हैं और किन पर बेअसर है। कोविड -19 को लेकर चल रही रिसर्च के तहत इम्यून रेस्पॉन्स, डायग्नोज किए जाने और इलाज पर शोध किया जा रहा है। आइएलएस की टीम को डॉ. सुनील राघव और आरएमआरसी की टीम को डॉ. ज्योतिर्मय लीड कर रहे हैं। डॉ.राघव ने कहा, हम यह भी शोध कर रहे हैं कि यह वायरस एक जगह से दूसरी जगह किस तरह कितनी गति से फैलता है। इस जानकारी से शोधकर्ताओं को आगे का अध्ययन करने में मदद मिलेगी और रोग की रोकथाम, नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी। अभी तक के अध्ययन में 45 कोविड मामलों की जांच करने के बाद हमने पाया कि 36 मामलों में वायरस के जिस स्ट्रेन ने हमला किया वह काफी खतरनाक था। इसमें नजदीक आते ही कोरोना संक्रमण का खतरा था, बाकी ज्यादा खतरनाक नहीं थे।

    राजीव पुरम (डासना) के रहने वाले डॉ. सुनील राघव ने केंद्रीय विद्यालय कमला नेहरू नगर से हाईस्कूल व इंटर की शिक्षा प्राप्त की थी। उनके पिता रघुवीर सिंह सीआरपीएफ में दरोगा थे। मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के गांव भाईपुर (खेड़ा) के रहने वाले वैज्ञानिक सुनील राघव ने गाजियाबाद में रहते हुए ही बीएससी और एमएससी के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की और साल 2013 में वैज्ञानिक के पद पर उनका चयन हो गया। उनकी पत्नी भावना गुप्ता लेक्चरर हैं। उनके दो बेटियां हैं। डॉ. राघव के बड़े भाई एडवोकेट संजीव राघव स्वर्ण जयंती पुरम में रहते हैं और भाई को मिली जिम्मेदारी को लेकर गदगद हैं।