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    Timur Lung: जब तैमूर लंग ने एक लाख हिंदुओं का लोनी में कराया था कत्लेआम

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Sat, 05 Sep 2020 03:14 PM (IST)

    तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा भ्रमण के दौरान एक किले के बारे में सुना जो यमुना के दूसरी ओर था इसके बारे में बताया गया कि वहां एक शहर और किला है।

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    Timur Lung: जब तैमूर लंग ने एक लाख हिंदुओं का लोनी में कराया था कत्लेआम

    गाजियाबाद [दीपा शर्मा]। जिले के लोनी का इतिहास हिंदुओं के खून से रंगा पड़ा है। इतिहासकारों की मानें तो तैमूर ने लोनी में एक लाख हिंदुओं का एक साथ कत्लेआम करा दिया था। तैमूर लंग ने अपनी आत्मकथा में भी इसके बारे में लिखा। इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है कि उस समय में लोनी में एक भी हिंदू नहीं बचा था। कत्लेआम की घटना सन् 1398 की है। हालांकि उस दौरान देशभर में विभिन्न स्थानों पर कितने ही कत्लेआम हुए जिनका न तो कोई स्मारक है न ही कोई अता- पता है। कम ही लोग इन घटनाओं के बारे में जानते हैं। उसी तरह से लोनी के कत्लेआम की भी एक गुमनाम घटना है जिसका अब न तो कोई स्मारक है और न ही लोग इसके बारे में जानते हैं।

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    हिन्दुस्तान उन दिनों काफी समृद्ध देश माना जाता था। तैमूर लंग को जब इसके बारे में पता लगा तो उसने लूट में बड़ा माल मिलने की उम्मीद और इस्लाम का विस्तार करने की नीयत से सिंधु नदीं पार की और फौज के साथ हिंन्दुस्तान में घुस आया। दिल्ली के बारे में उसने काफी कुछ सुना था। आसपास के गांव में कत्लेआम के बाद वह लोनी की तरफ पहुंचा जहां और लूट की व एक लाख हिंदुओं का कत्लेआम कराया।

    तैमूर ने तुजुक-ए-तैमूरी में किया कत्लेआम का जिक्र

    तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा, भ्रमण के दौरान एक किले के बारे में सुना जो यमुना के दूसरी ओर था इसके बारे में बताया गया कि वहां एक शहर और किला है। जिसे लोनी कहा जाता है। किले की सुरक्षा के लिए सुल्तान महमूद ने एक मैमुन नाम के कोतवाल को तैनात किया है। उस किले को पाने का निर्णय लेते हुए उसी दिन यमुना पार कर ली।अमीर जहान शाह और अमीर शाह मलिक और अमीर अल्ला-दाद को लोनी के किले की घेराबंदी करने के लिए भेज दिया।

    मैंने किले के सामने अपना डेरा डाल दिया। किले पर चढ़ाई शुरु कर दी। लोगों ने आत्मसमर्पण की बजाय विरोध करने का संकल्प लिया। ये लोग हिंदू और मल्लू खान के गुट के थे। जब मुझे इसके बारे में जानकारी मिली तो मैंने सभी सैनिकों को बुलाने किले के पास एकत्र हुए करने का निर्णय लिया। कई राजपूतों ने यह देखकर अपनी पत्नियों और बच्चों को घर में बंद करके जला दिया और खुद युद्ध में शामिल हो गए। तैमूर ने लिखा कि मैने मुसलमानों को छोड़कर सभी की हत्या करने, उनके घर लूटने और जलाने का आदेश दिया। लूट में बड़ा धन इकट्ठा हुआ।

    युद्ध के दासों की संख्या लोनी में एक लाख के आसपास पहुंच गई थी। मुस्लिम गुलामों को छोड़कर एक लाख बंदी हिंदुओं के कत्लेआम का आदेश दे दिया। तैमूर ने लिखा मैने अपने शिविर में घोषणा की थी कि सभी बंदी पुरुषों को मार दिया जाए। जो भी इन हत्याओं का विरोध करते हैं उन्हें भी मार दिया जाएगा और उनकी पूरी संपत्ति मारने वाले को दे दी जाएगी। जब गाजियों के इसकी सूचना मिली उन्होंने तुरंत अपनी तलवारें उठाईं और अपने बंदियों को मार डाला। उस दिन एक लाख काफिर (जो खुदा और कुरआन को न मानता हो ) मारे गए थे।

    इतिहासकार विजय कुमार पाल ने अपनी पुस्तक इंवेडर्स एंड हाईडन फैक्ट्स में तैमूर लंग की आत्मकथा के लोनी कत्लेआम की घटना के बारे में लिखा है। किताब में लिखा है कि दिल्ली के पास गाजियाबाद के लोनी में तैमूर लंग ने किस तरह से बेरहमी से हिंदुओं का कत्लेआम कराया था।

    हिन्दुस्तान को बनाना चाहता था इस्लामिक देश

    तैमूर पूरे हिन्दुस्तान को एक इस्लामिक देश बनाना चाहता था। उसने हिन्दुओं के धर्म परिवर्तित कराए और जो इसके लिए राजी नहीं हुए उनकी हत्या करा दी थी। तैमूर को हिंदुओं के कत्लेआम के लिए जाना जाता है। उसने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा "हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का मेरा उद्देश्य काफिरों के खिलाफ एक अभियान का नेतृत्व करना है, उन्हें इस्लाम के सच्चे विश्वास में परिवर्तित करना और भूमि से काफिरों की गंदगी, और बहुदेववाद को मिटाकर उसे शुद्ध करना है।''

    एमएम कॉलेज मोदीनगर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. के के शर्मा ने कहा कि देश पर विभिन्न आक्रांताओं ने आक्रमण किया जिनका देश की जनता ने विद्रोह किया। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शहीद हुए थे। तैमूर भी उनमें से एक था जिसका लोनी के निवासियों ने विद्रोह किया था। लोनी के एक लाख से ज्यादा निवासियों तैमूर ने बंदी बना लिया और कत्लेआम करा दिया था। इससे जुड़ी कोई भी स्मारक लोनी में नहीं है। इसके बारे में जानकारी भी शायद ही लोनी में किसी को होगी।

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