Ghaziabad में एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश, पुलिस के हत्थे चढ़े दो शातिर; पूछताछ में खोले कई गहरे राज
गाजियाबाद पुलिस ने 12 इंश्योरेंस कंपनियों की 25 हजार फर्जी बीमा पालिसी बनाने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इन बदमाशों ने कंपनियों को 30 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया है। आरोपियों से 84 फर्जी पॉलिसी बरामद हुई हैं। यह गिरोह वाहनों का बीमा करने के लिए फर्जीवाड़ा करता था जिससे वाहन मालिकों और कंपनियों दोनों को नुकसान होता था।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गाजियाबाद में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने वाहनों की फर्जी बीमा पॉलिसी तैयार करने वाले गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों से 84 फर्जी पॉलिसी भी बरामद की गई हैं।
वहीं, पूछताछ में सामने आया है कि इस गिरोह ने 12 इंश्योरेंस कंपनियों की करीब 25 हजार बीमा पॉलिसी बनाकर कंपनियों को 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया है। पुलिस इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए मार्च में चार बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। गिरोह ने गाजियाबाद में करीब 100 फर्जी पॉलिसी तैयार की हैं।
एडीसीपी क्राइम पीयूष कुमार सिंह के मुताबिक बुलंदशहर रोड औद्याेगिक क्षेत्र से पकड़े गए आरोपित मेरठ के ब्रहपुरी निवासी सरताज और शास्त्रीनगर निवासी दीपक ठाकुर है। पुलिस इस गिरोह के विकास कश्यप और आकाश सिसौदिया को नौ मार्च को तथा याकूब और आरिम अली को 10 मार्च को गिरफ्तार कर चुकी है।
इस संबंध में आइसीआइसीआइ लोंबर्ड कंपनी के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट संजय ठाकुर की शिकायत पर साइबर क्राइम थाने में नौ मार्च को मुकदमा दर्ज किया गया था। पूछताछ में सामने आया कि गिरोह चार पहिया वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा 10 से 20 प्रतिशत छूट पर करने का झांसा वाहन मालिक को देते थे।
इस तरह चल रहा था फर्जीवाड़ा
इसके बाद कंपनी के एप पर वाहन की श्रेणी को चार पहिया की बजाय दोपहिया कर देते थे। इससे 10-15 हजार रुपये का प्रीमियम देने की बजाय कंपनी को दोपहिया का करीब एक से डेढ़ हजार रुपये ही प्रीमियम बनता था। वाहन मालिक को भी छूट मिल जाती थी इससे उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं होती। पुलिस की चेकिंग में वाहन के बीमा की जांच में वाहन बीमित ही मिलता। इस तरह आरोपितों का फर्जीवाड़ा चल रहा था।
ऑनलाइन की बजाय आफलाइन करते हुए करते थे गड़बड़ी
इंश्योरेंस कंपनी के एप पर बीमा पॉलिसी करते हुए वाहन नंबर डालने पर परिवहन विभाग के डाटाबेस से पूरा डाटा आ जाता है, लेकिन एप पर एक विकल्प आफलाइन का भी होता है। आफलाइन मोड में डाटा फीड करने पर जो डाटा फीड किया जाए पॉलिसी उसी के आधार पर जेनरेट हो जाती है। बीमा एजेंट विकास आफलाइन मोड में ही वाहन का बीमा कर कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहे थे। शुरुआती जांच में सामने आया है कि दो साल में करीब 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान कंपनिमयों को पहुंचाया गया है।
इन कंपनियों की फर्जी पॉलिसी तैयार की
जांच में सामने आया है कि आरोपितों ने आइसीआइसीआइ लौंबार्ड, मैग्मा एचडीआइ, चोलामंडलम, रिलायंस, बजाज आलियांज, टाटा एआइजी, जूनो, नेशनल इंश्योरेंस, श्रीराम जनरल इंश्योरेंस, एचडीएफसी अर्गो, रायल सुंदरम और एसबीआइ जनरल इंश्योरेंस की फर्जी बीमा पॉलिसी तैयार की हैं।
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