दो बच्चों को पति के पास छोड़ महिला ने मांगा तलाक, फिर कोर्ट ने दिया ये आदेश
Ghaziabad News कोर्ट ने एक महिला की तलाक की अर्जी खारिज कर दी है जिसने अपने पति पर मारपीट और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। कोर्ट ने पाया कि महिला के साथ मारपीट नहीं की गई और उसने अपने पत्नी धर्म का पालन नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मां अपने बच्चों की दिमागी हालत ठीक न होने की स्थिति में उन्हें कैसे छोड़ सकती है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। महिला ने अपने पति पर मारपीट और उत्पीड़न का आरोप लगा कोर्ट में तलाक की अर्जी डाली। कोर्ट ने पाया कि महिला के साथ मारपीट नहीं की गई। कोर्ट ने आदेश में कहा कि महिला के दोनों बच्चे जब मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं तब उन बच्चों को मां के प्यार से वंचित क्यों किया गया।
महिला ने अपने पत्नी धर्म का पालन नहीं किया और पति को छोड़ दिया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद महिला की अर्जी निरस्त कर दी है। महिला ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर तलाक की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र में बताया था कि उनकी शादी वर्ष 2002 में हुई थी।
दोनों पुत्र मानसिक रूप से अस्वस्थ
शादी के बाद उनके दो पुत्र हुए। दोनों पुत्र मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। महिला ने आरोप लगाया कि शादी के बाद उनके साथ ससुराल में पति ने दहेज के लिए मारपीट की। पांच लाख रुपये शादी में खर्च करने के बाद उनसे और अधिक रुपयों की मांग की गई।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि कई वर्ष प्रताड़ना झेलने के बाद वर्ष 2019 में वह मायके आ गईं और दोनों बच्चे पति के पास रहे। महिला के पति ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने कभी अपनी पत्नी के साथ मारपीट नहीं की है। दोनों बच्चों की देखभाल वह अकेले ही कर रहे हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मारपीट का आरोप माना गलत
उनके ऊपर मारपीट और दहेज के लगाए आरोप गलत हैं। उन्होंने तो वर्ष 2021 में पत्नी को साथ रखने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की हुई है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मारपीट का आरोप गलत माना। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मां अपने बच्चों की दिमागी हालत ठीक न होने की स्थिति में उन्हें कैसे छोड़ सकती है।
महिला ने अपने पत्नी धर्म का पालन नहीं किया और बिना उचित आधार पति का परित्याग कर दिया। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश परवेंद्र कुमार शर्मा ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद महिला की याचिका निरस्त कर दी।

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