Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP: लोनी को लाल किले से जोड़ती थी बागराणप गांव के किले की सुरंग, मुगलकाल से जुड़ा है इतिहास

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Fri, 09 Oct 2020 08:48 PM (IST)

    लोनी का बागराणप इतिहास के पन्नों में भले ही अपनी विशेष जगह बनाए है। लेकिन यहां रहने वाले लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। आरोप है कि गांव के अधिकां ...और पढ़ें

    Hero Image
    बागराणप गांव में तालाब के पास स्थित किले की मीनार: जागरण

    लोनी (गाजियाबाद) [अजय सक्सेना]। क्षेत्र के बागराणप गांव में मुगलकालीन किले के अवशेष मिलते हैं। यहां बनी लखोरी ईंट, पत्थरों की दीवारें स्वयं के ऐतिहासिक होने की दास्तां बयां करती हैं। तालाब से वर्षों पूर्व मिली ईंटें पुरातत्व विभाग के कब्जे में हैं। जिन पर ओम और स्वास्तिक के निशान मिले थे। इसके बावजूद सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण ऐतिहासिक धरोहर विलुप्त होती जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बागराणप गांव स्थित किले को लेकर कई दंत कथाएं सुनने को मिलती हैं। लोग बताते हैं कि सनातन धर्म के महाकाव्य रामायण में लोनी का पौराणिक इतिहास है। लोनी रावण की मौसी कुंभीनसी के पुत्र लवणासुर ने बसाई थी। वहीं कथाओं के मुताबिक लोनकरण नामक राजा ने लोनी की स्थापना कराई थी। उसके द्वारा किले का निर्माण कराया गया था। 1789 ईसवी तक यह किला मौजूद था। उधर कथाओं के मुताबिक 1398 में तैमूरलंग ने लोनी पर आक्रमण किया था।

    लोनी के लोगों ने तैमूर का मुकाबला करने का निर्णय लिया। तो तैमूर ने दस हजार लोगों की हत्या कर उनके सिर एक स्थान पर एकत्र किए। सिर के टीले पर खडे़ होकर लाल किला दिखाई देता था। लोनी का एक किस्सा महाराणा प्रताप से भी जुड़ा है। कथाओं के मुताबिक इस इलाके में काफी बाग थे। जहां कुछ समय महाराणा प्रताप रूके थे। तभी से गांव का नाम बाग-राणप रखा गया है। लोनी और बागराणप गांव स्थित किले से ऐसे कई किस्से जुडे हैं।

    ऐतिहासिक मीनार पर खेल रहे बच्चे

    लोग बताते हैं कि बागराणप गांव में पहले एक किला था। जिसके पीछे करीब आठ सौ बीघे का तालाब था। तलाब के दौरान ओर मीनारें खड़ी थीं। जो अभी भी देखने को मिलती हैं। तालाब की पत्थरों की बनाकर चारदीवारी की गई थी। उस दीवार के अवशेष गांव में देखने को मिलते हैं। किले की दीवारें पत्थर, लखोरी ईंटों की बनी हुई थीं। जिसकी चैड़ाई चार से पांच फिट थी। खुदाई के दौरान तालाब के नीचे फर्श पर पत्थर मिले। पत्थर पर ओम और स्वास्तिक का निशान बना हुए थे।

    लाल किले से जुड़ी सुरंग

    बागराणप गांव के पूर्व सभासद आदेश कश्यप ने बताया कि कुछ समय पूर्व एक सेफ्टी टैंक के लिए खुदाई की गई थी। खुदाई के दौरान एक सीवर लाइन मिली थी। सीवर लाइन हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलती झुलती थी। सीवर लाइन गमले जैसे मिट्टी के गिलास को जोड़कर बनाई गई थी। वहीं गांव निवासी देवेंद्र नागर बताते हैं कि खुदाई के समय मेरठ यूनिर्वसिटी के प्रोफेसर डाक्टर धर्मेंश त्यागी बागराणप आए थे। उन्होंने गांव के इतिहास का रिसर्च की। गांव के लोगों का आरोप है कि यदि पुरातत्व विभाग इस पर ध्यान देता तो किले को बचाया जा सकता था।

    एतिहासिक स्थल पर रहने वाले लोग परेशान

    लोनी का बागराणप इतिहास के पन्नों में भले ही अपनी विशेष जगह बनाए है। लेकिन यहां रहने वाले लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। आरोप है कि गांव के अधिकांश रास्ते जर्जर हाल हैं। तालाब में कालोनी बसने के कारण जल निकासी की भारी परेशानी है। समुचित दूरी पर खंभे न होने से गलियों में तारों के जाल बिछे हुए हैं।

    Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो