Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ghaziabad: सिर्फ 19 प्रतिशत रह गई थी हृदय की कार्यगति, यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हुआ दुर्लभ प्रोसिजर

    By Jagran NewsEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Thu, 16 Mar 2023 03:37 PM (IST)

    मरीज के लिए यह प्रोसिजर अत्यन्त जरूरी एवं जीवन रक्षक था इसलिए उसने प्रोसिजर कराने का निर्णय लिया और 28 फरवरी 2023 को यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती हुआ। चूंकि मरीज का हृदय काफी कमजोर था। (फोटो- जागरण)

    Hero Image
    यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने हृदय रोग के उपचार के लिए दुर्लभ प्रोसिजर को सफलतापूर्वक किया।

    गाजियाबादा, जेएनएन। कौशाम्बी स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हृदय रोग के उपचार के लिए एक दुर्लभ प्रोसिजर को सफलतापूर्वक किया गया। श्याम पार्क एक्सटेंशन, साहिबाबाद निवासी 65 वर्षीय मरीज का एओर्टिक वॉल्व सिकुड़ गया था, जिसकी वजह से उनकी सांस काफी फूलती थी और छाती में हमेशा भारीपन रहता था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विभिन्न अस्पतालों में एवं डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी उनको कोई आराम नहीं मिला, क्योंकि उनके हृदय की कार्यगति केवल 19 प्रतिशत रह गयी थी, जिसकी वजह से कोई भी अस्पताल उनका प्रोसिजर करने के लिए तैयार नहीं हुआ। काफी जगह भटकने के बाद उन्हें यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के बारे में पता चला और उन्होंने हृदय रोग टीम के विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना और डॉ. आयुष गोयल से परामर्श किया।

    ओपन हार्ट सर्जरी के वैकल्पिक प्रक्रिया से हुआ प्रोसिजर

    परामर्श के पश्चात् यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की हृदय रोग टीम ने इस प्रोसिजर को एक ओपन हार्ट सर्जरी के वैकल्पिक प्रक्रिया ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिपलेस्मेन्ट विधि द्वारा करने की सहमति प्रदान की। चूंकि यह प्रोसिजर काफी मंहगा है इसलिए उन्होंने हॉस्पिटल प्रबन्धन एवं वॉल्व बनाने वाली कम्पनी से बात कर मरीज को काफी रियायत दिलायी।

    मरीज के लिए यह प्रोसिजर अत्यन्त जरूरी एवं जीवन रक्षक था, इसलिए उसने प्रोसिजर कराने का निर्णय लिया और 28 फरवरी 2023 को यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती हुआ। चूंकि मरीज का हृदय काफी कमजोर था, इसलिए पूरी तैयारी के साथ प्रोसिजर को 6 मार्च 2023 को डॉक्टरों की टीम ने जांघ के रास्ते से तार से छतरीनुमा उपकरण को खराब वॉल्व के स्थान पर सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित कर दिया।

    महज डेढ़ घण्टे में हुआ प्रोसिजर

    इस प्रोसिजर में किसी भी तरह की बड़ी चीर-फाड़ नहीं की गई और ओपन हार्ट सर्जरी की अपेक्षा मात्र डेढ़ घण्टे में इस प्रोसिजर को कर दिया गया। इसमे मरीज को बेहोश भी नही किया गया, जबकि ओपन हार्ट सर्जरी में सात से आठ घण्टे लगते हैं और पूरे समय मरीज को बेहोश रखा जाता है।

    डॉक्टरों की टीम में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. असित खन्ना, डॉ. धीरेन्द्र सिंघानिया, कन्सलटेन्ट हृदय रोग एवं ऐओर्टिक सर्जन डॉ. आयुष गोयल तथा कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. गौरव कनवर शामिल थे।  डॉ. असित खन्ना ने बताया की प्रोसिजर के दूसरे दिन ही मरीज चलने-फिरने लगा था और 9 मार्च 2023 को मरीज की अस्पताल से छुट्टी कर दी गयी। छुट्टी के पश्चात् भी फोन द्वारा मरीज की शारीरिक स्थिति की पूर्ण जानकारी यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के द्वारा अपडेट की जाती रही और छुट्टी के चौथे दिन जब मरीज ओ.पी.डी. में फोलोअप के लिए आया तो उसके हृदय की कार्यक्षमता 50 प्रतिशत पायी गयी।

    मरीज अब अपनी सामान्य दिनचर्या और आराम से जीवन यापन कर पा रहा है। डॉ. आयुष गोयल ने बताया कि इस प्रोसिजर में हार्ट या चेस्ट कैविटी को खोलने की जरूरत नहीं होती और जिस तरह से कॉर्डियक स्टेन्ट लगाया जाता है उसी प्रकार वॉल्व का प्रतिस्थापन कर दिया जाता है। यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इससे पूर्व भी सफल TAVI प्रोसिजर एवं जटिल हृदय रोग ऑपरेशन किया जा चुके हैं। भारत में अभी तक कुछ अस्पतालों में ही इस प्रकार की सुविधा होने के कारण, कुछ ही हजार TAVI प्रोसिजर्स किये गये हैं।