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    Ghaziabad: बैंड-बाजा बजाया तो मौलाना नहीं पढ़ाएंगे निकाह, ध्वनि प्रदूषण और जाम की समस्या को लेकर लिया फैसला

    By Hasin ShahjamaEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Wed, 14 Dec 2022 01:06 PM (IST)

    Ghaziabad News ऐसे पहली बार मुस्लिमों के संगठन मुस्लिम महासभा ने बड़ी पहल की है। बैंड-बाजा बजाया तो मौलाना निकाह नहीं पढ़ाएंगे। ध्वनि प्रदूषण और सड़क जाम की समस्या को देखते हुए मुस्लिम संगठन ने यह फैसला लिया गया है।

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    Ghaziabad: बैंड-बाजा बजाया तो मौलाना नहीं पढ़ाएंगे निकाह

    गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। शादी का नाम सुनते ही जेहन में बैंड-बाजा और बरात की तस्वीर उभर आती है। अब तो बैंड के साथ कई तरह के तेज आवाज ध्वनि सिस्टम चलन में आ गए हैं। ध्वनि प्रदूषण फैलानी वाली यह चंद घंटों की खुशी मानव जीवन के लिए खतरा है।

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    ऐसे पहली बार मुस्लिमों के बड़े संगठन मुस्लिम महासभा ने शादी में बैंड बाजा और तेज ध्वनि सिस्टम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बड़ी पहल की है। यदि बैंड बाजा या अन्य तेज ध्वनि का सिस्टम बजाया जाता है तो उस शादी में मौलाना निकाह नहीं पढ़ाएंगे। वह बिना निकाह पढ़ाए ही लौट जाएंगे।

    मौलानाओं को जागरूक करेगी मुस्लिम महासभा

    सड़क पर कई किलोमीटर बैंड बाजे के साथ बरात निकाली जाती है। इससे सड़क पर जाम की स्थिति बन जाती है। तेज ध्वनि के यंत्र बजने से लोगों को नींद खराब होती है। इन सब परेशानी को देखते हुए मुस्लिम महासभा मौलानाओं को इस संबंध में जागरूक करेगा।

    संगठन के सदस्य प्रत्येक मस्जिद के इमाम के पास जाएंगे और उन्हें इस बात के लिए राजी करेंगे कि वह बैंड या फिर अन्य वाद्य यंत्र बजाने वाली शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे। इसके लिए उन्होंने जिला और तहसील स्तर पर टीम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। टीम के सदस्य जिले के गांव, ब्लाक, शहर की कालोनियों की सभी मस्जिद और मदरसों की सूची बनानी शुरू कर दी है। इसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश की जाएगी। इसके बाद देश के प्रत्येक राज्य में इस पहल को सफल बनाया जाएगा।

    इन शर्तों के साथ होगा निकाह

    मौलाना जब निकाह पढ़ाने जाएंगे तो पहले यह पता करेंगे कि इस शादी में बैंड या अन्य ध्वनि यंत्र बजाया गया है या नहीं। यदि बैंड बजाया गया है तो निकाह पढ़ाने से इनकार कर देंगे। यदि परिवार निकाह कराना चाहता है तो उसे तौबा करने के साथ ही लिखित में देना होगा कि वह आगे किसी भी शादी में बैंड बाजा नहीं बजाएंगे। इससे शादी में आये अन्य सैकड़ों को लोग भी जागरूक होंगे। शादी में शिरकत करने वाले अन्य लोगों को मौलाना बिना की किसी शोर के शादी करने की नसीहत देंगे।

    मौलानाओं का मिला समर्थन

    संगठन का दावा है कि उनकी इस पहल को मौलानाओं का समर्थन मिल रहा है। मौलाना इसमें उनका साथ देने का वादा कर रहे हैं। मुफ्ती, मौलाना व अन्य धर्म गुरु से मशविरा करने के बाद ही इसकी शुरूआत की गई है। इस पहल के सफल होने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। फिजूल खर्च भी बचेगा। देहात क्षेत्र में लोग शादी से कई दिन पहले पूरी-पूरी रात तेज ध्वनि सिस्टम बजाते हैं।

    जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल वाहिद ने बताया कि बैंड बाजा बजाने से दूसरे लोगों को तकलीफ होती है। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। मैं कोई भी तेज ध्वनि सिस्टम बजाने का विरोध करता हूं।

    पीर मस्जिद के इमाम मौलाना अमजद ने कहा कि शादी में बैंड बाजा नहीं बजाना चाहिए। यह न केवल शरीयत के खिलाफ है बल्कि इससे ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है। मैं इस पहल का समर्थन करता हूं।

    मुस्लिम महासभा के उत्तर प्रदेश प्रभारी हाजी नाजिम ने कहा कि कोई भी तेज ध्वनि सिस्टम बजने से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। हमने मुफ्ती व मौलाना से मशविरा करने के बाद ही इस पहल की शुरूआत की है। इस पहल को सफलता मिलेगी।