गाजियाबाद में प्रधानमंत्री आवास योजना में देरी, इस वजह से गरीबों का घर का सपना अधूरा
गाजियाबाद में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर पाने का इंतजार कर रहे लोगों को अभी तक निराशा हाथ लगी है। छह साल पहले ड्रा होने के बावजूद कई लाभार्थी अधिकारियों की लापरवाही के कारण अपने घरों पर कब्जा नहीं पा सके हैं। जीडीए अब अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है लेकिन योजना विवादों में भी घिरी हुई है।

शाहनवाज अली, गाजियाबाद। केंद्र सरकार ने सात साल पहले निम्न आय वर्ग के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (प्रधानमंत्री आवास योजना) शुरू की थी। सरकार की मंशा निम्न आय वर्ग के लोगों को घर मुहैया कराना थी। करीब छह साल पहले गाजियाबाद में इस योजना के तहत ड्रॉ भी निकाला गया था।
जिन लोगों को आवंटन पत्र मिले, उन्हें आवंटन पत्र तो मिल गए, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण वे अभी तक अपने घरों पर कब्जा नहीं ले पाए हैं। अब इन आवंटियों की अपने घरों पर कब्जा पाने की उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं।
प्राधिकरण ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत पहली परियोजना 11 जुलाई, 2018 को मधुबन बापूधाम योजना में शुरू की थी। इसमें कम आय वाले व्यक्तियों के लिए कुल 856 घरों का निर्माण शामिल था, और इसे 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
इसके अतिरिक्त, डासना में परियोजना 11 मार्च, 2019 को, प्रताप विहार योजना 2022 में, नूर नगर परियोजना 20 दिसंबर, 2019 में और निवाड़ी परियोजना 10 जून, 2019 को शुरू की गई थी। सभी को दो साल की समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना था। इसके लिए, प्राधिकरण ने छह साल पहले 2019 में एक ड्रॉ आयोजित किया और आवंटियों को भवन आवंटित किए।
हालांकि, लाभार्थियों को फ्लैटों का कब्जा नहीं मिला है। इसका मुख्य कारण यह है कि बाहरी विकास कार्य के लिए कई आदेशों और निर्देशों के बावजूद काम पूरा नहीं हुआ है। जल निगम बाहरी पानी की पाइपलाइन को जोड़ने से लेकर वाटरहेड टैंक के निर्माण तक हर चीज के लिए जिम्मेदार था इन नाकामियों ने प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजना को रोक दिया और आवंटन के बावजूद, गरीब छह साल से अपने आशियाने का इंतज़ार कर रहे हैं।
बोर्ड बैठक में हुआ फैसला: जीडीए पूरा करेगा अधूरा काम
मई 2025 में हुई जीडीए की 169वीं बोर्ड बैठक में सभी परियोजनाओं में बाह्य विकास कार्य प्राधिकरण द्वारा कराए जाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। प्राधिकरण ने लगभग ₹17.62 करोड़ की लागत से इस कार्य की ज़िम्मेदारी ली।
यह कार्य जल निगम, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और विद्युत निगम द्वारा कराया जाना था। जीडीए ने इस मामले में विभागों और शासन से पत्राचार किया, लेकिन नतीजा शून्य रहा। प्राधिकरण शासन को पूरी रिपोर्ट भेजकर अन्य विभागों से इस राशि की प्रतिपूर्ति की मांग करेगा।
योजना विवादों में घिरी
योजना की पहली परियोजना, मधुबन बापूधाम, उस समय विवादों में घिर गई जब एक पूर्व पार्षद ने शिकायत दर्ज कराई कि योजना के तहत कई संदिग्ध आवेदकों को वैध माना गया। गाजियाबाद के अलावा, गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के निवासियों को भी पात्र बनाया गया, जो नियमों के विरुद्ध है।
कुछ आवेदकों की वार्षिक आय ₹10,000 से ₹24,000 तक दर्शाई गई थी। ऐसी शिकायतों के बाद, सीबीआई ने जीडीए और संबंधित आवंटियों से दस्तावेज़ प्राप्त करते हुए जांच शुरू की। मामले की जाँच कर रही सीबीआई टीम ने प्राधिकरण से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मांगे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जीडीए की पांच परियोजनाएं
परियोजना का नाम | आवास इकाइयों की संख्या |
---|---|
मधुबन बापूधाम योजना | 856 |
डासना | 432 |
प्रताप विहार | 1,200 |
नूर नगर | 480 |
निवाड़ी | 528 |
कुल | 3,496 |
सरकारी विभागों को यह कार्य करना था
योजना | विभाग | कार्य | व्यय (₹) |
---|---|---|---|
मधुबन बापूधाम | जल निगम | बाह्य जल आपूर्ति | 1.86 करोड़ |
डासना | उत्तर प्रदेश जल निगम | सीवर और जलापूर्ति | 4.20 करोड़ |
प्रताप विहार | जल निगम | जलापूर्ति | 2.43 करोड़ |
नूरनगर | जल निगम | जलापूर्ति | 1.29 करोड़ |
निवाड़ी | लोक निर्माण विभाग | पहुँच मार्ग | 67.69 लाख |
निवाड़ी | जल निगम | 400 एसटीपी, जलापूर्ति और ट्रंक ड्रेन | 7.13 करोड़ |
नोट: सभी योजनाओं में, पश्चिमी विद्युत वितरण निगम को बिजली लाइनों के लिए ₹19.91 करोड़ खर्च करने थे।
प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत और समापन समय-सीमा
योजना | फ्लैट | शुरुआत | समापन समय-सीमा |
---|---|---|---|
मधुबन बापूधाम | 856 | 2018 | 2020 |
डासना | 432 | 2019 | 2021 |
प्रताप विहार | 1,200 | 2022 | 2024 |
नूरनगर | 480 | 2019 | 2021 |
निवाड़ी | 528 | 2019 | 2021 |
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्रता संबंधी नियम और शर्तें
- आवेदक भारतीय नागरिक और गाजियाबाद के निवासी होने चाहिए।
- आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
- वार्षिक आय ₹3 लाख से कम होनी चाहिए।
- आवेदक, पति/पत्नी या अविवाहित बच्चों के पास भारत में कहीं भी स्थायी घर नहीं होना चाहिए।
- भवन का अनुमानित मूल्य छह लाख रुपये है।
- केंद्रीय अंशदान डेढ़ लाख रुपये है।
- राज्य अंशदान एक लाख रुपये है।
- आवंटी द्वारा देय राशि साढ़े तीन लाख रुपये है।
प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित बोर्ड बैठक में अतिरिक्त कार्य करने हेतु प्राधिकरण को मंजूरी दी गई।
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