जलस्तर घटा पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना, किसानों के सपनों पर फिर गया पानी
लोनी में यमुना नदी का जलस्तर घटने से लोगों ने राहत की सांस ली है लेकिन किसानों को भारी नुकसान हुआ है। जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है जिससे बदरपुर डूब क्षेत्र के लोगों को परेशानी हो रही है। फसलें बर्बाद होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है और वे मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। प्रशासन कटाव रोकने का प्रयास कर रहा है।

संवाद सहयोगी, लोनी (गाजियाबाद)। यमुना नदी का जलस्तर डेढ़ फीट तक घटा है, बावजूद इसके यमुना खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। वहीं, बदरपुर डूब क्षेत्र में रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
डूब क्षेत्र में पानी भरने पर यहां के निवासियों ने पुस्ते पर शरण ली है। खेत में पानी भरने से फसल को हुए नुकसान से किसानों के सपनों पर पानी फिर गया है।
अधिकारियों का दावा है कि पिछले 24 घंटे में जलस्तर तेजी से नीचे गिरा है। लोनी में यमुना किनारे छह गांव बसे हुए है। हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया पानी सोमवार देर रात करीब दो बजे लोनी पहुंचा था। इससे यमुना का जलस्तर करीब 211 मीटर तक पहुंच गया था। जलस्तर बढ़ने पर अधिकारियों ने लोगों को अलर्ट किया था। हालांकि, यमुना में और पानी न छोड़े जाने से बुधवार दोपहर को यमुना जलस्तर डेढ़ फीट तक घटकर 209.35 मीटर पर पहुंच गया है।
मुसीबत की बाढ़ से फसल हुई खराब
यमुना का जलस्तर बढ़ने से पचायरा गांव के खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो गई है। गांव के लोगों के समक्ष पशुओं के लिए चारे की समस्या खड़ी हो गई है। सब्जी की फसल नष्ट होने से लोगों की आमदनी समाप्त हो गई है। दो वर्ष पहले पचायरा के साथ साथ अलीपुर, नवादा, बदरपुर, मीरपुर, और ट्रोनिका सिटी तक पानी भर गया था। इसमें हजारों किसानों का नुकसान हुआ था।
वहीं, कुछ किसानों का आरोप है कि अधिकारियों के लापरवाही के कारण आज तक उन्हें नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है। इस बार भी यमुना जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि से पचायरा सहित कई गांवों के किसानों के खेत में खड़ी फसल डूबने से सैंकड़ों किसानों को नुकसान पहुंचा है।
पुस्ते पर बनाईं हैं झोपड़ियां
लोगों के पानी भरने से घरों को छोड़कर बदरपुर पुस्ते पर ऊंचाई में झोपड़ी बनाकर शरण ली है। वहीं, जलस्तर घटने के बाद कटाव क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों ने मिट्टी के कट्टे भर कर लगवाना शुरू कर दिया है ताकि कटाव होकर खेतों का नुकसान न हो।
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फसलों में बाढ़ का पानी रुक गया है उनमें नुकसान होना तय है। गर्मी बढ़ने और धूप निकलने के साथ ही फसल में गलन के साथ ही फसल सूखना शुरू हो जाएगी। अभी तक कोई अधिकारी पूछने नही आया है। - मुकेश, पचायरा गांव
खेत में चरी की बुआई की हुई है। कुछ हिस्से में पानी आने से ज्यादा नुकसान नही हुआ है, लेकिन दोबारा पानी आया तो पुश्ता के अंदर की फसल पूरी तरह चौपट हो जाएगी। - नरेन्द्र कुमार,खानपुर जप्ती गांव
सब्जी की फसल लगाई थी। इस बार अच्छी फसल होने से अच्छी आमदनी की उम्मीद थी लेकिन बाढ़ ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। - फतेहसिंह, पचायरा
सभी प्रभावित क्षेत्रों में लेखपाल घर घर जाकर किसानों के नुकसान का आकलन कर रहे हैं। आकलन के बाद प्रस्ताव तैयार कर नियमानुसार मुआवजा दिलाया जाएगा। - जय प्रकाश सिंह, तहसीलदार लोनी

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