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    Ghaziabad News: ट्रेन में घायल मरीज की जान खतरे में पड़ गई, इस मामले में रेलवे कितना दोषी?

    By Hasin Shahjama Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 13 May 2025 04:03 AM (IST)

    गाजियाबाद में ट्रेन में घायल हुए एक यात्री की जान खतरे में पड़ गई। आरोप है कि आरपीएफ जवानों ने बिना प्राथमिक उपचार दिए ही उसे एमएमजी अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल के ईएमओ ने रेलवे पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा है। आरपीएफ ने आरोपों को गलत बताया है और कहा कि प्राथमिक उपचार दिया गया था।

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    ट्रेन में घायल मरीज की जान को खतरे में डाला, रेलवे पर होगी एफआइआर! फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। रेलवे पर ट्रेन में घायल मरीज की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगा है। आरपीएफ के जवानों ने मरीज को बिना प्राथमिक उपचार दिए ही जिला एमएमजी अस्पताल पहुंचा दिया।

    ऐसे में अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) ने रेलवे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए शहर थाने में लिखित सूचना दी है।

    ईएमओ ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और कोर्ट को भेजने की बात भी लिखी है। वहीं, आरपीएफ ने ईएमओ के आरोपों को झूठा बताया है।

    ग्राम नानोर, बैरिया जिला रायबरेली के अमित सिंह और उनकी बुआ का लड़का रोहित ट्रेन संख्या 14217 एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे। गाजियाबाद स्टेशन पहुंचने से 30 से 40 मिनट पहले अमित सिंह का पैर किसी स्टेशन पर प्लेटफॉर्म में फंस गया।

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    इससे उनके दोनों पैरों में गंभीर चोट लग गई। दोनों पैरों से खून बहने लगा। ट्रेन गाजियाबाद स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर रुकी। आरपीएफ कर्मियों ने उन्हें जिला एमएमजी अस्पताल पहुंचाया।

    मरीज की हालत काफी गंभीर थी। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए ईएमओ ने शहर कोतवाली में लिखित सूचना दी है। जिसमें ईएमओ ने लिखा है कि मरीज को बिना कोई प्राथमिक उपचार दिए बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया।

    मरीज की हालत काफी गंभीर है। रेलवे ने मरीज की जान से खिलवाड़ किया है और मानवाधिकारों का हनन किया है। थाना पुलिस कृपया एफआईआर दर्ज करे। उन्होंने घटना की जानकारी कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी दी है।

    रेलवे ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

    आरपीएफ कमांडेंट ऑफिसर आशुतोष पांडे ने बताया कि रेलवे के दो कंपाउंडर और आरपीएफ एएसआई चरण सिंह ने घायलों को बचाया। मरीज की मरहम-पट्टी की गई और प्राथमिक उपचार दिया गया।

    बिना किसी देरी के मरीज को जिला एमएमजी अस्पताल ले जाया गया। एमएमजी अस्पताल में मरीज का इलाज नहीं किया गया। जिसके बाद मरीज को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल ले जाया गया। एमएमजी अस्पताल के आरोप बेबुनियाद हैं।

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