'कई-कई दिन घर से बाहर रहता है पति, इस रिश्ते में...' गाजियाबाद में पत्नी ने पुलिस से लगाई गुहार
गाजियाबाद के परिवार परामर्श केंद्र में पति-पत्नी के बीच अजीबोगरीब विवाद सामने आ रहे हैं। एक मामले में पति के लंबे समय तक घर से दूर रहने पर पत्नी ने शिकायत की। वहीं दूसरे मामले में पत्नी के काम करने को लेकर विवाद हुआ। काउंसलरों के अनुसार कामकाजी जोड़ों में ऐसे विवाद आम हैं। परामर्श केंद्र में मामलों की संख्या बढ़ने पर काउंसलिंग कक्ष और काउंसलर भी बढ़ाए गए हैं।
विनीत कुमार, गाजियाबाद। गाजियाबाद के परिवार परामर्श केंद्र में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर विवाद हो रहे हैं। विवाद भी हैं तो अजीबो गरीब।
ऐसा ही एक मामला हैं, जहां पति और पत्नी आमने सामने आ गए हैं। मामला ये है कि पति ट्रक चालक है और अक्सर कई-कई दिन घर से दूर रहता है। पत्नी के लिए यह एडजस्ट करना मुश्किल है कि पति कई दिन तक घर से दूर रहे।
आखिरकर पत्नी परेशान हो गई और उसने पति की शिकायत पुलिस से कर दी। फिर मामला परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचा और अब दोनों की काउसलिंग की जा रही है, जिससे परिवार टूटने से बचाया जा सके।
एक अन्य मामला भी है। इंदिरापुरम में रहने वाली ब्यूटीशियन की करीब ढाई वर्ष पूर्व यहीं रहने वाले युवक से शादी हुई थी। शादी के बाद बेटी को जन्म दिया तो पति ने काम छोड़ने के लिए कह दिया।पत्नी को काम करने से मना कर दिया, लेकिन घर का खर्च चलाने के लिए युवती ने काम करना जारी रखा।
पति और पत्नी के बीच इसी बात पर विवाद हो गया। जब दोनों को कोई रास्ता नहीं दिखा तब परिवार परामर्श केंद्र तक मामला पहुंचा। करीब तीन महीने में तीन बार काउंसलिंग के बाद दोनों पक्ष समझौते पर तैयार हो गए। तय हुआ कि युवती काम करना जारी रखेगी और जब बच्ची को उसकी जरूरत होगी, तब वह काम पर नहीं जाएगी।
पीपीके से जुड़े काउंसलरों का कहना है कि विवाद के कई मामले कामकाजी जोड़ों के होते हैं। इनमें शादी के बाद पति का काम करने से रोकना, महिला का देरी से घर आना विवाद की वजह बनता है।
- 2037 मामले परिवार परामर्श केंद्र में आए हैं
- 1356 मामले सिर्फ तीन महीने में सामने आए
- 1050 मामलों का निस्तारण किया गया
- 189 मामले आपसी समझौते से समाप्त हुए
नोट-सभी आंकड़े इस वर्ष एक जनवरी से 15 अगस्त तक के हैं।
लोहिया नगर स्थित महिला थाना परिसर में चल रहे परिवार परामर्श केंद्र (पीपीके) में तीन महीने से पारिवारिक विवाद के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। पूर्व में जनपद में चल रहे सभी पिकं बूथों पर परिवार परामर्श केंद्र शुरू किए गए थे, लेकिन तीन माह पूर्व पीपीके में ही पूरे जिले के पारिवारिक विवाद से जुड़े मामले दाखिल करना अनिवार्य किया गया।
उसके बाद से लगातार ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। मामलों की संख्या बढ़ने की वजह से काउंसलिंग कक्ष भी बढ़ाए गए हैं। मौजूदा तीन कक्ष से बढ़ाकर पांच किए जा रहे हैं। काउंसलरों की संख्या भी पांच से बढ़ाकर 18 कर दी गई है। जिन मामलों का निपटारा आपसी सहमति से नहीं हो पाता ऐसे मामलों में कोर्ट या एफआईआर का रास्ता अपनाया जाता है।
परिवार परामर्श केंद्र को लगातार उपयोगी बनाया जा रहा है। पीपीके में आने वाले विवाद के दौरान एक टेबल पर दोनों पक्षों को बैठाकर आपसी समन्वय के जरिए सुलझाने का प्रयास रहता है।
- कल्पना सक्सेना, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त
यह भी पढ़ें- 14 वर्षीय किशोरी दुष्कर्म के बाद हुई गर्भवती, कोर्ट ने जमानत देने से किया इंकार, कहा-गवाहों को खतरा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।