गाजियाबाद के समाज कल्याण विभाग में 200 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में बड़ी कार्रवाई, सह वरिष्ठ सहायक निलंबित
गाजियाबाद में समाज कल्याण विभाग के दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में 2013 से 2017 के बीच 200 करोड़ रुपये के घोटाले में सह वरिष्ठ सहायक जाकिर हुसैन को निलंबित किया गया है। एसआइटी जांच के बाद यह कार्यवाही हुई। फर्जी आय और जाति प्रमाणपत्र के आधार पर छात्रवृत्ति बांटने का आरोप है। इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई थी जिसके बाद जांच शुरू हुई।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिले में समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत वर्ष 2013 से 2017 के बीच में किए गए 200 करोड़ रुपये के घोटाले में सह वरिष्ठ सहायक जाकिर हुसैन को निलंबित कर दिया गया है।
समाज कल्याण विभाग के समाज कल्याण विभाग निदेशालय के निदेशक कुमार प्रशांत ने तीन सितंबर को यह आदेश जारी किया। जाकिर हुसैन की वर्तमान में बागपत स्थित जिला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय में तैनाती है
इसके साथ ही उन्हें हापुड़ के जिला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय से भी संबद्ध किया गया है। वर्ष 2013 से 2017 के बीच में उसकी तैनाती गाजियाबाद स्थित जिला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय में थी।
200 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के घोटाले के इस मामले में वर्ष 2021 में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच प्रदेश सरकार द्वारा एसआईटी से कराई गई थी। एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद ही सह वरिष्ठ सहायक को निलंबित किया गया है।
इसके साथ ही उन्हें अब मेरठ मंडल में समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। इसके साथ ही आरोपी के खिलाफ विभागीय अनुशासनिक जांच की कार्यवाही के लिए उप निदेशक को जांच अधिकारी नामित किया गया है।
यह है मामला
वर्ष 2013 से 2017 के बीच पीजीडीएम पाठ्यक्रम संचालित काॅलेजों में छात्रों को अध्ययनरत दिखाकर छात्रवृत्ति बांटी गई। इस मामले में महेंद्रा एन्क्लेव में रहने वाले डाॅ. महेश कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी।
इसमें दस काॅलेज प्रबंधकों से मिलीभगत कर छात्रों के फर्जी आय और जाति प्रमाणपत्र तैयार करवाकर छात्रवृत्ति के 200 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि को गबन करने का आरोप लगाया गया था।
भौतिक सत्यापन में काॅलेजों में छात्र उपस्थित नहीं मिले थे। इस मामले में पूर्व हाई कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने से पहले एक कमेटी ने जांच भी की थी, जांच रिपोर्ट में एसआईटी या स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश की गई थी।
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