पिता की गोद में तड़प-तड़पकर तोड़ा दम, बेजुबानों के लिए चिंता जायज... पर अपनों को खोने वालों के जख्म कौन भरेगा?
गाजियाबाद में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर जंग छिड़ी है। कुछ लोग शेल्टर होम में रखने का विरोध कर रहे हैं तो कुछ ...और पढ़ें

राहुल कुमार, साहिबाबाद (गाजियाबाद)। बेजुबानों के लिए चिंता जायज है, लेकिन उन्हीं बेजुबानों के काटने से जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके जख्म कौन भरेगा। बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के निर्देश के बाद से ही सोशल मीडिया पर गाजियाबाद के लोगों की आपस में कुछ ऐसी ही जंग छिड़ी हुई है। लोग एक-दूसरे पर तंज कस रहे हैं। कोई कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के विरोध में है तो कोई इस फैसले के पक्ष में है।
फेसबुक पर पोस्ट करते हुए एक यूजर ने लिखा कि मात्र आधा लीटर दूध लेकर पूरे शहर में घूमने से कोई डॉग लवर्स नहीं बन जाता है। डॉग्स लवर्स अगर इन कुत्तों की वैक्सीनेशन और इनके द्वारा काटने वालों को वैक्सीन लगवाने की चिंता करते तो शायद ही सर्वोच्च न्यायालय को सख्त आदेश न देना पड़ता।
इस पर कमेंट करते हुए दूसरे यूजर ने तंज कसते हुए लिखा-कुत्तों को आधा लीटर दूध पिलाने के लिए भी दिल होना चाहिए। इन्हें गाली देना बहुत आसान है, क्योंकि इसमें कोई खर्चा नहीं होता। उन्होंने आगे लिखा कि वैसे जो डॉग लवर्स हैं वह काफी हद तक इन कार्यों को भी करते हैं।
वहीं, एक यूजर ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सराहनीय है। आवारा कुत्तों के काटने से बहुत लोगों ने अपने बच्चों को खोया है। उम्मीद है कि इस फैसले के बाद और लोगों के साथ ऐसा मामला नहीं होगा।
कुछ लोगों का कहना है कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है, जो गलत है। कई लोग कुत्तों के लिए कार्य करने वाले संगठनों व जिम्मेदार विभागों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
उनका कहना है कि अगर नगर निगम जैसी सरकारी संस्थाएं अपना कार्य ईमानदारी से करतीं तो उन्हें शेल्टर होम में रखने की जरूरत नहीं पड़ती। लावारिस कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के आदेश के बाद से कुछ ऐसी ही जंग सोशल मीडिया पर रुकने का नाम नहीं ले रही है।
इन मामलों को नहीं भूला पा रहे लोग
पिता की गोद में किशोर ने तड़प-तड़प कर तोड़ा था दम
पांच सितंबर 2023 को विजयनगर की चरण सिंह कालोनी में कुत्ते के काटने के डेढ़ महीने बाद 14 वर्षीय किशोर की मौत हो गई थी। रैबीज के कारण बच्चे की हालत बिगड़ गई थी। बच्चे के पिता एमएमजी अस्पताल से लेकर दिल्ली के जीटीबी और एम्स अस्पताल में उसे लेकर इलाज के लिए खूब भटके, लेकिन डॉक्टरों ने उसे लाइलाज घोषित कर दिया था। किशोर ने एंबुलेंस में ही अपने पिता की गोद में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया था।
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तीन वर्षीय बच्चे की हो गई थी मौत
25 जून 2024 को भोजपुर ब्लाक के गांव बढ़ायला में एक आवारा कुत्ते ने तीन वर्षी बच्चे को मुंह, गर्दन व छाती पर बुरी तरह से काट लिया था। बच्चे के मुंह से झाग निकलने लगे थे। 18 जुलाई को बच्चों को सपने में सांप व छिपकली दिखाई देने लगे थे। बच्चे को कई अस्पतालों में लेकर जाया गया, लेकिन 23 जुलाई 2024 को बच्चे की मौत हो गई थी।

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