तीन दिन में तीन व्यापारियों को धमकी से पुलिस के रडार पर आया था बलराम ठाकुर, ऐसे हुआ खुलासा...
गाजियाबाद में बलराम नामक एक अपराधी जो पिछले 30 वर्षों से अपराध में लिप्त था ने तीन व्यापारियों से एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी। पुलिस जांच में पता चला कि बलराम ही कॉल कर रहा था। मुठभेड़ में बलराम मारा गया। उसका आपराधिक इतिहास रहा है जिसमें हत्या और लूट जैसे मामले शामिल हैं। वह जेल में रहते हुए भी अपराधों को अंजाम देता था।

विनीत कुमार, गाजियाबाद। बीते करीब 30 साल से अपराध कर रहे बलराम ने गाजियाबाद के तीन व्यापारियों को दो दिन में काॅल कर कुल एक करोड़ रुपये रंगदारी मांगी। सबसे पहले उसने मसूरी थानाक्षेत्र के कारोबारी को 16 सितंबर को फोन कर 25 लाख रुपये मांगे।
इसके बाद 17 सितंबर को एक मिष्ठान व्यापारी को फोन कर 50 लाख रुपये और कविनगर के लोहा व्यापारी से 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। जांच के दौरान दो दिन में पुलिस को पता चल गया कि रंगदारी वास्तव में बलराम ठाकुर ही मांग रहा है। इसके बाद पुलिस ने जांच आगे बढ़ाते हुए उसके भाई से पूछताछ की। तब पता चला कि बलराम ने अपने भाई को 15 सितंबर को उसी नंबर से फोन किया था। शनिवार रात उसकी पुलिस से मुठभेड़ हो गई जिसमें बदमाश ढेर हो गया।
हत्या और लूट के सात मुकदमे दर्ज
एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे गए बदमाश अनिल दुजाना का गुरू बताकर व्यापारियों से रंगदारी मांगने वाला जहांगीराबाद का बलराम ठाकुर कई वर्षों से अपराध में लिप्त था। बलराम ठाकुर ने 1997 में बुलंदशहर के डिबाई में पत्नी से विवाद के बाद साले की हत्या कर अपराध के रास्ते में कदम रखा था। उसी वर्ष उसके ऊपर अलीगढ़ और बुलंदशहर के थानों में हत्या और लूट के सात मुकदमे दर्ज हुए।
फोन कर धमकाते हुए रंगदारी मांगी
इसके बाद वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई बड़े बदमाशों के संपर्क में रहा और उनके साथ कई घटनाओं में शामिल रहा। करीब ढाई साल पहले बदमाश अनिल दुजाना की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद उसके गैंग के बदमाशों को बलराम ठाकुर ही लीड कर रहा था। 16 सितंबर को उसने मसूरी थानाक्षेत्र में एक कारोबारी को वाट्सएप काल कर 25 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। पुलिस और क्राइम बांच मामले की जांच कर रही थी इसी बीच 17 सितंबर को उसने शहर के दो और कारोबारियों को फोन कर धमकाते हुए रंगदारी मांगी।
तीनों काॅल एक ही वाट्सएप नंबर से
तीनों काॅल एक ही वाट्सएप नंबर से की गई थीं। कविनगर पुलिस ने जब उस नंबर की जानकारी निकाली तब नंबर सिकंदराबाद में चलता हुआ पाया गया। पुलिस टीम सिकंदराबाद पहुंची तो नंबर एक कामगार का निकला। उसके पास कीपैड वाला फोन था। पुलिस को जांच में पता चला कि कामगार के नंबर का वाट्सअप कोई अन्य व्यक्ति चला रहा है। उस नंबर की जांच के दौरान पाया गया कि कुछ दिन पहले जहांगीराबाद के नीरज से बात हुई है।
तब पुलिस को हो गया यकीन
इसके बाद पुलिस नीरज के पास पहुंची। नीरज से पता चला कि उसके भाई बलराम से उसकी बात हुई थी। तब पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि कुख्यात बदमाश बलराम ठाकुर ही व्यापारियों को फोन कर रंगदारी मांग रहा है। सूत्रों के मुताबिक बलराम जेल में बंद रहने के दौरान भी घटनाओं को अंजाम दिलाया करता था। यही वजह है कि कई मामलों में वह 120 बी का आरोपित है।
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