गाजियाबाद में अपहरण और बलात्कार मामले में 11 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने पिंटू को सभी आरोपों से किया बरी
गाजियाबाद के मोदीनगर में एक युवती के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी को अदालत ने 11 साल बाद बरी कर दिया। युवती ने अपनी पसंद से पिंटू नामक युवक से शादी की थी लेकिन परिवार ने नाबालिग बताकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में युवती ने अदालत में कहा कि उसने अपनी मर्जी से शादी की थी। अदालत ने साक्ष्यों और बयानों के आधार पर आरोपी को बरी कर दिया।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। मोदीनगर थाना क्षेत्र में युवती के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपी युवक को अदालत ने 11 साल बाद बरी कर दिया। पीड़िता को अपनी कंपनी में काम करने वाले एक ड्राइवर से प्यार हो गया था। दोनों हरिद्वार चले गए और शादी कर ली। पीड़िता के परिवार ने नाबालिग होने का दावा करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
11 जून 2014 को मोदीनगर थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि उसकी 17 वर्षीय बेटी 9 जून 2014 को घर से लापता हो गई थी। काफी तलाश के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर पीड़िता को बरामद कर लिया। उसे मेडिकल जांच के लिए भेजा गया, लेकिन पीड़िता ने जांच कराने से इनकार कर दिया।
पीड़िता ने बताया कि वह पिंटू नाम के युवक के साथ गई थी। पुलिस ने पिंटू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जांच के दौरान पुलिस ने पिंटू के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी जोड़ीं। जांच के बाद पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। बाद में, पीड़िता ने बताया कि वह अपनी मर्ज़ी से पिंटू के साथ गई थी। पिंटू उसे हरिद्वार ले गया था, जहां उन्होंने शादी कर ली। फिर पिंटू उसे बुलंदशहर में अपने मामा के घर ले गया।
उनके बीच वैवाहिक संबंध थे। वह पिंटू को एक साल से जानती थी। पिंटू भी उसी कंपनी में ड्राइवर था जहाँ वह काम करती थी। शादी से पहले उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं थे। वह उस समय दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। घटना के समय उसकी उम्र 17 साल और 11 महीने थी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लाल बाबू यादव ने पिंटू को सभी आरोपों से बरी कर दिया। आरोपी इस मामले में जमानत पर था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।