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    गाजियाबाद में 100 करोड़ के बजट के बावजूद महिलाओं के लिए नहीं है ICU, प्रसव के बाद खतरे में जान

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 01:34 AM (IST)

    गाजियाबाद में सरकारी अस्पतालों में प्रसव के बाद महिलाओं के लिए आईसीयू की कमी गंभीर है जिसके कारण कई महिलाओं की जान जा रही है। स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान के बावजूद आधुनिक संसाधनों की कमी है। सिजेरियन के बाद महिलाओं को सामान्य वार्ड में भर्ती किया जाता है जिससे जोखिम बढ़ जाता है। अधिकारियों ने आईसीयू की सुविधाएँ बढ़ाने का आश्वासन दिया है।

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    हर साल सौ करोड़ का बजट जारी, फिर भी आइसीयू की बाट जोह रहीं नारी

    मदन पांचाल, जागरण गाजियाबाद। एक तरफ केंद्र सरकार का स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान चल रहा हैं वहीं पर स्वास्थ्य विभाग के पास भारी भरकम बजट होने के बाद भी अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त एक आईसीयू नहीं है। खास बात यह है कि हर साल स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न मदों में सौ करोड़ का सालाना बजट जारी होता है लेकिन प्रसव के बाद हालत बिगड़ने पर महिलाओं के लिए कोई आईसीयू नहीं है।

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    रेफर करने के चक्कर में कई महिलाओं की मौत होने पर अधिकारियों ने जांच कराने के आदेश जरूर जारी किये हैं। इतना ही नहीं सिजेरियन प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को कहीं सामान्य वार्ड तो कहीं सर्जिकल वार्ड में ही भर्ती किया जाता है। संजयनगर स्थित संयुक्त अस्पताल के ट्रामा सेंटर में नियमानुसार आपरेशन थियेटर के साथ आइसीयू होना चाहिये लेकिन केवल मरहम पट्टी का इंतजाम है।

    जिला एमएमजी अस्पताल के आइसीयू में सामान्य के साथ आपरेशन के बाद कुछ मरीजों को भर्ती किया जाता है। खुद सीएमएस डा. राकेश कुमार सिंह का कहना है कि शासन को पत्र भेजकर पर्याप्त स्टाफ की मांग की गई है। आइसीयू के लिए 24 घंटे न्यूरोसर्जन, आर्थोपेडिक सर्जन, निश्चेतक, कार्डियोलाॅजिस्ट सर्जन,सामान्य सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, डेंटल सर्जन की ड्यूटी जरूरी है। वर्तमान में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन की आपूर्ति और मानीटर के आधार पर मरीज की निगरानी करते हुए स्टाफ नर्स एवं रात को ईएमओ के सहारे मरीजों का इलाज हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार सितंबर माह में सरकारी अस्पतालों में कुल 2245 प्रसव कराये गये हैं।

    सितंबर माह में प्रसव का विवरण

    अस्पताल कुल प्रसव

    50 बेडेड अस्पताल लोनी 132

    50 बेडेड अस्पताल डूंडाहेडा 5

    सीएचसी डासना 260

    सीएचसी लोनी 471

    सीएचसी मोदीनगर 89

    सीएचसी मुरादनगर 157

    सीएचसी बम्हैटा 30

    संयुक्त अस्पताल 155

    जिला महिला अस्पताल 775

    सीएचसी भोजपुर 131

    यूपीएचसी भोवापुर 1

    यूपीएचसी खोड़ा 7

    यूपीएचसी पप्पू कालोनी 19

    यूपीएचसी वेद विहार 14

    केस-1

    सात सितंबर को विजयनगर के रहने वाले विपिन की 37 वर्षीय पत्नी विशाखा को जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर रेफर कर दिया।एंबुलेंस में मौत हो गई। मृत अथवा जिंदा का पता कराने को जिला एमएमजी अस्पताल भेज दिया गया। आइसीयू होता तो शायद महिला को बचाया जा सकता था।

    केस-2

    खिचरा के रहने वाले सलमान की पत्नी साजिदा को प्रसव के बाद गंभीर हालत में जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेफर कर दिया गया। स्वजन लेकर जिला एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। ईएमओ ने मृत घोषित कर दिया। आइसीयू न होने के चलते महिला को इधर-उधर रेफर करने से मौत हो गई।

    केस-3

    सीएचसी डासना में प्रसव के दौरान लेबर रूम में नीतू की कोमा में चली गई। आइसीयू के अभाव में स्टाफ नर्स ही इलाज करती रहीं। सीपीआर भी दिया गया। बाद में नीतू की मौत हो गई।

    सिजेरियन प्रसव से बेटी हुई है। आपरेशन के तुरंत बाद आइसीयू में रखना था लेकिन सर्जिकल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। बेड पर ऑक्सीजन की आपूर्ति भी नहीं है। दिन और रात में स्टाफ नर्स ही देखभाल करती हैं। आइसीयू होना चाहिए।

    -अन्नु पीटर, गिरधरपुर

    ऑपरेशन से बच्चा हुआ है। दर्द से कराहते हुए सर्जिकल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। आइसीयू न होने से परेशानी होती है। सिजेरियन प्रसव के बाद आइसीयूू में चिकित्सकों की देखभाल में इलाज जरूरी है।

    -कामिनी गोस्वामी, कैलाशनगर

    सिजेरियन प्रसव के बाद बिना आइसीयू के बहुत परेशानी हुई। टांके कटवाने आई हूं लेकिन दर्द बरकरार है।

    -पूनम, छपरौला

    आईसीयू बनाना आसान है लेकिन इसकी शासन स्तर से मंजूरी जरूरी है। बनने के बाद स्टाफ की नियुक्ति को लेकर पत्राचार करने पड़ते हैं। क्रिटीकल केयर ब्लाक बनने से आइसीयू की कमी दूर हो जायेगी। जिला एमएमजी अस्पताल के आइसीयू में संसाधन एवं सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। अगले 15 दिन में जिला महिला अस्पताल में भी आइसीयू बनाने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी।

    -डाॅ. अखिलेश मोहन,सीएमओ