साइबर ठगों को खाता मुहैया कराने वाला इंजीनियर गिरफ्तार, एक साल में अकाउंट से हुआ 1.50 करोड़ का ट्रांजेक्शन
गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे इंजीनियर को गिरफ्तार किया है जो साइबर अपराधियों को कमीशन पर बैंक खाते उपलब्ध कराता था। आरोपित 20% कमीशन लेता था और उसके गिरोह ने 14 राज्यों में 6.76 करोड़ रुपये की ठगी की है। पुलिस ने गाजियाबाद के दो लोगों से हुई ठगी में से 17 लाख रुपये वापस कराए हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। साइबर अपराधियों को कमीशन पर बैंक खाता उपलब्ध कराने वाला एक इंजीनियर साइबर क्राइम थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित के गिरोह ने गाजियाबाद के दो लोगों के साथ 72.30 लाख रुपये की ठगी की थी। इसमें से 17.96 लाख रुपये पुलिस ने रिफंड कराए हैं।
40 घटनाओं में 6.76 करोड़ के साइबर फ्रॉड
पुलिस का कहना है कि आरोपित ने 20 प्रतिशत कमीशन पर अपना खाता मुहैया कराया हुआ था। इसके खाते में करीब एक साल में डेढ़ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन मिला है जबकि इसके गिरोह द्वारा 14 राज्यों की 40 घटनाओं में कुल 6.76 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड करने का पता चला है।
एसीपी क्राइम भास्कर वर्मा के मुताबिक इंदिरापुरम निवासी अर्चना कुमारी के साथ शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 45 लाख रुपये का साइबर फ्राड हुआ था। जबकि इंदिरापुरम निवासी सरताज सिंह के साथ 27.30 लाख रुपये का साइबर फ्रॉड हुआ था।
फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर खुलवाया खाता
पुलिस ने जांच करते हुए मामले में दिल्ली के शकरपुर निवासी दीपक ठाकुर को गिरफ्तार किया है। आरोपित बीटेक है और उसने अपने दोस्त सौरभ आनंद के साथ मिलकर फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर बैंक में चालू खाता खुलवाया।
सौरभ उसके खाते में साइबर ठगी की रकम मंगवाता था। ठगी की रकम में आरोपित दीपक को 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता। पुलिस को उसके खाते में एक साल में ही करीब डेढ़ करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन मिला है।
पूछताछ में आरोपित ने बताया कि इनके गैंग के द्वारा 14 राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, गाजियाबाद, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, केरल, बंगाल, बिहार, तमिलनाडु के लोगों के साथ कुल 6.76 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की गई है।
पुलिस सभी राज्यों के पीड़ितों से संपर्क कर रही है। एसीपी का कहना है कि आरोपित को विजयनगर क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से एक मोबाइल भी बरामद हुआ है।
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